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'पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ' रिपोर्ट

Sun 27 Apr, 2025

संदर्भ:-

• विश्व बैंक ने 'पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ' रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट के अनुसार:

  • • भारत ने 2011-12 से 2022-23 के बीच 17.1 करोड़ (171 मिलियन) लोगों को अत्यंत गरीबी से बाहर निकाला है।
  • • श्व बैंक ने अपने स्प्रिंग 2025 गरीबी और समानता ब्रीफ में गरीबी के खिलाफ भारत की निर्णायक लड़ाई को मान्यता दी है।
  • • प्रतिदिन 2.15 अमेरिकी डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों का अनुपात, जो अत्यधिक गरीबी के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक है, 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से तेजी से गिरकर 2022-23 में केवल 2.3 प्रतिशत रह गया।

भारत में अत्यधिक गरीबी में गिरावट (2011-23)

  • ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 18.4% से घटकर 2.8% हो गई।
  • शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 10.7% से घटकर 1.1% रह गई।
  • ग्रामीण-शहरी गरीबी अंतर 7.7% से घटकर 1.7% रह गया।
  • 2011-12 से 2022-23 तक गरीबी में 16% वार्षिक गिरावट दर्ज हुई।

निम्न-मध्यम आय गरीबी रेखा पर प्रगति :

विश्व बैंक के अनुसार, भारत ने प्रतिदिन 3.65 अमेरिकी डॉलर की निम्न-मध्यम आय गरीबी रेखा पर गरीबी घटाने में मजबूत प्रगति की है। इस विकास से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लाखों लोगों को लाभ मिला है-

  • 3.65 डॉलर प्रतिदिन की रेखा पर भारत की गरीबी दर 2011-12 में 61.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 28.1 प्रतिशत हो गई, जिससे 378 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आ गए।
  • ग्रामीण गरीबी 69 प्रतिशत से घटकर 32.5 प्रतिशत हो गयी, जबकि शहरी गरीबी 43.5 प्रतिशत से घटकर 17.2 प्रतिशत हो गयी।
  • ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर 25 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत रह गया है, तथा 2011-12 और 2022-23 के बीच इसमें 7 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट आई है।

गरीबी उन्मूलन में योगदान देने वाले प्रमुख राज्य :

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत भर में अत्यधिक गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, तथा प्रमुख राज्यों ने गरीबी में कमी लाने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है-

  • पांच सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य अर्थात् उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश, 2011-12 में भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोगों का प्रतिनिधित्व करते थे।
  • 2022-23 तक, इन राज्यों ने अत्यधिक गरीबी में समग्र गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया।

बहुआयामी गरीबी में कमी और संशोधित अनुमान :

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने गैर-मौद्रिक गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, तथा अद्यतन वैश्विक मानकों के आधार पर भविष्य में गरीबी के अनुमान में बदलाव होने की उम्मीद है-

  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) द्वारा मापी गई गैर-मौद्रिक गरीबी, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्थितियों जैसे कारकों पर विचार करती है, 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 16.4 प्रतिशत हो गई।
  • विश्व बैंक का बहुआयामी गरीबी माप 2022-23 में 15.5 प्रतिशत रहा, जो जीवन स्थितियों में चल रहे सुधार को दर्शाता है।
  • संशोधित अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखाओं (बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक न्यूनतम आय) और 2021 क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) (जो देशों के बीच जीवन-यापन की लागत में अंतर के लिए समायोजित होती है) को अपनाने के साथ, 2022-23 के लिए नई गरीबी दरें अत्यधिक गरीबी के लिए 5.3 प्रतिशत और निम्न-मध्यम आय वाली गरीबी के लिए 23.9 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
  • भारत का उपभोग आधारित गिनी सूचकांक 2011-12 में 28.8 से सुधरकर 2022-23 में 25.5 हो गया, जो आय असमानता में कमी का संकेत है।

रोजगार वृद्धि और कार्यबल प्रवृत्तियों में बदलाव

2021-22 के बाद से भारत में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार वृद्धि में सकारात्मक सुधार देखा गया है-

  • वर्ष 2021-22 से रोजगार वृद्धि ने कार्यशील आयु वर्ग की आबादी को पीछे छोड़ दिया है, विशेष रूप से महिलाओं के बीच रोजगार दरें बढ़ रही हैं।
  • वित्त वर्ष 2024/25 की पहली तिमाही में शहरी बेरोजगारी दर घटकर 6.6 प्रतिशत हो गई, जो 2017-18 के बाद सबसे कम है।
  • हालिया आंकड़े 2018-19 के बाद पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में पुरुष श्रमिकों के स्थानांतरण का संकेत देते हैं, जबकि कृषि में ग्रामीण महिला रोजगार में वृद्धि हुई है।
  • स्वरोजगार में वृद्धि हुई है, विशेषकर ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के बीच, जिससे आर्थिक भागीदारी में योगदान मिला है।

विश्व बैंक :

  • इसे अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) के रूप में भी जाना जाता है
  • एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन है जो विकासशील देशों को ऋण, वित्तीय सलाह और तकनीकी सहायता प्रदान करता है
  • इसमें पांच संस्थाएं शामिल हैं जो गरीबी उन्मूलन और साझा समृद्धि के निर्माण के लिए काम करती हैं
  • स्थापना: 1944
  • मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी
  • वर्तमान अध्यक्ष : अजय बंगा
  • उद्देश्य: विकासशील देशों में गरीबी कम करना और सतत विकास को बढ़ावा देना
  • कार्य: विकास परियोजनाओं को वित्तपोषण, तकनीकी सहायता और नीतिगत सलाह प्रदान करना
  • नारा (Motto): "Working for a World Free of Poverty" ("गरीबी मुक्त विश्व के लिए कार्य")
  • पांच संस्थाएं शामिल हैं:
  • IBRD (अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक): मध्यम आय वाले और ऋण योग्य निम्न आय वाले देशों को ऋण और वित्तीय सलाह प्रदान करता है
  • IDA (अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ): विश्‍व के सबसे गरीब देशों को ब्याज मुक्त ऋण, अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान करता है
  • IFC (अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम): निजी क्षेत्र के विकास में निवेश करता है और निजी कंपनियों को वित्तीय सलाह प्रदान करता है
  • MIGA (बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी): विकासशील देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देता है
  • ICSID (अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवाद निपटान केंद्र): निवेश विवादों का निपटान करता है

प्रकाशित प्रमुख रिपोर्टें :

रिपोर्ट का नाम विवरण (संक्षेप में)
विश्व विकास रिपोर्ट (World Development Report) प्रत्येक वर्ष एक विशिष्ट विकास विषय (जैसे गरीबी, शिक्षा, श्रम बाजार) पर आधारित व्यापक विश्लेषण।
ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (Ease of Doing Business Report) विभिन्न देशों में व्यापार शुरू करने और संचालन की सुगमता पर रैंकिंग और विश्लेषण (2021 में बंद)।
गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट (Poverty and Equity Brief) गरीबी, असमानता और सामाजिक विकास से संबंधित आंकड़े और विश्लेषण।
वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट (Global Economic Prospects) वैश्विक और क्षेत्रीय आर्थिक विकास का पूर्वानुमान और विश्लेषण।
देश जलवायु और विकास रिपोर्ट (Country Climate and Development Report - CCDR) देश विशेष के जलवायु परिवर्तन और विकास के बीच संबंधों का अध्ययन।
लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (Logistics Performance Index - LPI) विश्व भर के देशों के लॉजिस्टिक्स (ढुलाई, व्यापार आपूर्ति) प्रदर्शन का आकलन।
रचनात्मक वित्त रिपोर्ट (Innovative Finance Reports) विकास परियोजनाओं के लिए वैकल्पिक और अभिनव वित्तीय साधनों का विश्लेषण।
आर्थिक अद्यतन रिपोर्ट्स (Country-specific Economic Updates) किसी विशेष देश की आर्थिक स्थिति और चुनौतियों का विश्लेषण। (जैसे: India Development Update)

 

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