28 May, 2025
एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025
Fri 25 Apr, 2025
संदर्भ
Times Higher Education (THE) Asia University Rankings 2025 को 23 अप्रैल 2025 को जारी किया गया। इस रैंकिंग में 35 देशों और क्षेत्रों के 853 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया। यह रैंकिंग 13 मानकों के आधार पर की गई है, जिन्हें पाँच व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – शिक्षण, शोध, उद्धरण, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और उद्योग से आय।
भारत की स्थिति
- भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु को 38वाँ स्थान प्राप्त हुआ, जिससे यह भारत का सर्वोच्च रैंकिंग प्राप्त करने वाला संस्थान बना रहा।
- अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई को 111वाँ स्थान मिला, जबकि IIT इंदौर को 131वाँ स्थान प्राप्त हुआ।
- शूलिनी विश्वविद्यालय (हिमाचल प्रदेश) को भारत का शीर्ष निजी विश्वविद्यालय घोषित किया गया, जिसकी रैंकिंग 146वीं रही।
- शीर्ष 200 में भारत के अन्य प्रमुख संस्थान:
-
- महात्मा गांधी विश्वविद्यालय – 140वाँ स्थान
- सवीता मेडिकल एवं टेक्निकल विज्ञान संस्थान – 149वाँ
- जामिया मिलिया इस्लामिया – 161वाँ
- IIT गुवाहाटी और KIIT यूनिवर्सिटी – 184वाँ
- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और UPES – 188वाँ
रुझान और विश्लेषण
- भारत के 14 संस्थानों ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया, जबकि 34 संस्थानों की रैंकिंग गिरी है।
- बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (BITS), पिलानी ने 201–250 की रैंकिंग श्रेणी में प्रवेश किया।
- भारत ने शोध और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्रों में प्रगति दिखाई है, लेकिन वैश्विक दृश्यता और उद्योग भागीदारी में अभी भी सुधार की आवश्यकता है।
भारत की प्रमख उच्च शिक्षा नियामक संस्थाएँ
नियामक संस्था | संक्षिप्त नाम | स्थापना वर्ष |
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग | UGC | 1956 |
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद | AICTE | 1945 |
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग | NMC | 2020 |
दंत चिकित्सा परिषद | DCI | 1948 |
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया | PCI | 1948 |
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद | NCTE | 1993 |
भारतीय विधि परिषद | BCI | 1961 |
भारतीय नर्सिंग परिषद | INC | 1947 |
वास्तुकला परिषद | COA | 1972 |
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद | ICAR | 1929 |
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद | NAAC | 1994 |
राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड | NBA | 1994 |
- भारत का प्रदर्शन एशिया रैंकिंग में बेहतर हो रहा है, खासकर शोध और शैक्षणिक गुणवत्ता के क्षेत्र में। लेकिन वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान, नवाचार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। साथ ही नियामक संस्थाओं की सक्रियता शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती है।