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CROP (Comprehensive Remote Sensing Observation on Crop Progress)

Wed 23 Apr, 2025

संदर्भ

भारत, जो विश्व का एक प्रमुख कृषि उत्पादक देश है, कृषि उत्पादन के पूर्वानुमान और निगरानी के लिए सटीक तकनीकों पर निर्भर करता है। इस दिशा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (NRSC) द्वारा विकसित एक उन्नत प्रणाली CROP (Comprehensive Remote Sensing Observation on Crop Progress) है। इस प्रणाली का उपयोग करते हुए हाल ही में भारत के आठ प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों से 122.724 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया गया है ।

CROP क्या है?

  • CROP का पूर्ण रूप है – Comprehensive Remote Sensing Observation on Crop Progress। यह एक अर्ध-स्वचालित, मापनीय और उपग्रह आधारित कृषि निगरानी प्रणाली है, जो वास्तविक समय (near real-time) में बुवाई से लेकर कटाई तक फसलों की स्थिति की निगरानी करती है।
  • यह प्रणाली खास तौर पर रबी सीजन के दौरान फसलों की निगरणी के लिए ISRO के NRSC द्वारा विकसित की गई है।

CROP के उद्देश्य

  • फसल बुवाई, वृद्धि और कटाई की निगरानी करना।
  • उपज का सटीक अनुमान प्रदान करना।
  • मैदान स्तर के सर्वेक्षण की आवश्यकता को कम करना।
  • नीति-निर्माताओं, बीमा योजनाओं और खाद्य सुरक्षा योजनाओं के लिए निर्णय सहायक उपकरण बनना।

CROP कैसे कार्य करता है?

CROP प्रणाली विभिन्न उपग्रहों से प्राप्त ऑप्टिकल और रडार डेटा (SAR) का उपयोग करती है जिससे हर मौसम और स्थिति में फसल की निगरानी की जा सके।

प्रमुख उपग्रह:

उपग्रह विशेषता उपयोग
EOS-04 (RISAT-1A) SAR इमेजिंग बादलों और रात में निगरानी सक्षम बनाता है
EOS-06 (Oceansat-3) ऑप्टिकल डेटा वनस्पति और सतह की निगरानी
Resourcesat-2A उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग क्षेत्रवार सटीक निगरानी

 

इन उपग्रहों से प्राप्त डेटा से फसल का प्रकार, क्षेत्रफल, स्वास्थ्य और उपज का अनुमान लगाया जाता है।

CROP की प्रमुख विशेषताएं

1. तत्काल डेटा उपलब्धता: वास्तविक समय में फसल की स्थिति की जानकारी मिलती है।

2. मौसम पर निर्भर नहीं: SAR तकनीक से किसी भी मौसम में डेटा मिल सकता है।

3. नीति निर्माण में सहायक: 122.724 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का पूर्वानुमान FCI और कृषि मंत्रालय को योजनाएं बनाने में मदद करेगा।

4. जलवायु-लचीली कृषि: चरम मौसम की स्थितियों में भी फसल की प्रगति पर निगरानी।

 

भारत के लिए इसका महत्व

  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है।
  • सटीक पूर्वानुमान से बाजार में स्थिरता और नुकसान में कमी आती है।
  • खाद्य सुरक्षा, आयात-निर्यात और बीमा जैसी योजनाओं में मददगार।
  • डिजिटल इंडिया और स्मार्ट कृषि की दिशा में बड़ा कदम।

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