01 May, 2025
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025
Fri 18 Apr, 2025
संदर्भ
हाल ही में जारी की गई इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2025 देश की न्याय व्यवस्था की गुणवत्ता और क्षमता को आंकने वाली एक अग्रणी पहल है। इसे टाटा ट्रस्ट्स के सहयोग से कई नागरिक समाज संगठनों और डेटा भागीदारों द्वारा तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट देश की न्याय व्यवस्था के चार स्तंभों — पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता पर आधारित है और इसमें राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRCs) को भी शामिल किया गया है।
रिपोर्ट के आधार
- प्रकृति: यह एक राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्ट है जो राज्यों की न्यायिक क्षमता की तुलना करती है।
- मूल्यांकन के 5 मापदंड:
1. मानव संसाधन
2. आधारभूत संरचना
3. बजट
4. कार्यभार
5. विविधता
- राज्यों की श्रेणी:
- बड़े और मध्यम राज्य: जनसंख्या 1 करोड़ से अधिक
- छोटे राज्य: जनसंख्या 1 करोड़ से कम
प्रमुख निष्कर्ष
रैंकिंग (राज्यवार श्रेणी)
रैंक | बड़े और मध्यम राज्य | छोटे राज्य |
1 | कर्नाटक | सिक्किम |
2 | आंध्र प्रदेश | अरुणाचल प्रदेश |
3 | तेलंगाना | त्रिपुरा |
सर्वाधिक सुधार: बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा |
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
पुलिस
- मानव संसाधन की कमी:
-
- 28% अधिकारी कमी
- प्रति लाख जनसंख्या पर केवल 120 पुलिसकर्मी (वैश्विक मानक: 222)
- महिला अधिकारी सिर्फ 8%
- • सकारात्मक पहलू:
-
- 78% थानों में महिला सहायता डेस्क
- सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति खर्च: ₹1,275
न्यायपालिका
- न्यायाधीशों की कमी:
- कुल लगभग 21,000 न्यायाधीश — प्रति 10 लाख जनसंख्या पर सिर्फ 15 (अनुशंसित: 50)
- उच्च न्यायालय में 33% रिक्ति, जिला न्यायालयों में 21%
- बजट:
-
- प्रति व्यक्ति न्यायपालिका पर खर्च ₹182
- कोई राज्य 1% से अधिक बजट नहीं देता
कानूनी सहायता और PLVs
- पैरा-लीगल वॉलंटियर्स (PLVs):
-
- 5 वर्षों में 38% की कमी, प्रति लाख जनसंख्या पर सिर्फ 3 PLVs
- कानूनी सहायता खर्च:
-
- मात्र ₹6 प्रति व्यक्ति
जेल
- भीड़भाड़:
- औसतन 131% क्षमता से अधिक बंदी
- 76% बंदी अंडर-ट्रायल (विचाराधीन)
- कर्मचारी कमी:
-
- अधिकारी (28%), सुधारक स्टाफ (44%), मेडिकल स्टाफ (43%)
- डॉक्टर-बंदी अनुपात: 1:775 (मानक: 1:300)
- पुनर्वास की कमी:
- केवल 6% बंदी शिक्षा प्राप्त, 2% को व्यावसायिक प्रशिक्षण
- जातिगत भेदभाव:
-
- 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निषेध के बावजूद, जाति आधारित अलगाव जारी
रिपोर्ट का महत्व
- यह रिपोर्ट भारत की न्याय तक पहुंच की विषमता को उजागर करती है। डिजिटल उपकरणों और सुधारों के बावजूद संरचनात्मक कमियां बनी हुई हैं। यह शासन के लिए सुधार की दिशा में स्पष्ट मार्गदर्शन देती है।
आगे का रास्ता
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 भारत में न्याय की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसके निष्कर्ष बताते हैं कि न्याय तक पहुंच अभी भी सीमित है। इसे बदलने के लिए ज़रूरी है:
- बजट में वृद्धि
- पर्याप्त नियुक्तियाँ
- डिजिटल निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करना
- महिला भागीदारी को बढ़ावा देना
- PLV नेटवर्क को फिर से मजबूत करना
संदर्भित रिपोर्ट न्याय व्यवस्था में बदलाव के लिए एक चेतावनी और अवसर दोनों है।