01 May, 2025
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की 10वीं वर्षगाँठ
Tue 08 Apr, 2025
संदर्भ :-
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने 8 अप्रैल 2025 को अपने 10 वर्ष पूरे किया।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) :
- शुरूआत : 8 अप्रैल 2015
- मुख्य उद्देश्य : सूक्ष्म और लघु उद्योगों को संस्थागत क्रेडिट प्रदान करना था, ताकि वे अपने व्यवसाय को स्थापित और विकसित कर सकें।
प्रमुख विशेषताएँ:
- प्रकार: केंद्रीय क्षेत्रक योजना
- वित्तपोषण प्रावधान: इसके अंतर्गत सदस्य ऋण संस्थाओं (एमएलआई) जैसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, RRB, NBFC और MFI के माध्यम से ऋण प्रदान किये जाते हैं।
- पुनर्वित्त: यह MUDRA लिमिटेड (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) द्वारा प्रबंधित है, जो MLI को पुनर्वित्त प्रदान करता है, लेकिन उधारकर्त्ताओं को प्रत्यक्ष ऋण नहीं देता है।
- ऋण गारंटी: वर्ष 2015 में स्थापित माइक्रो यूनिट्स के लिये ऋण गारंटी फंड (CGFMU) के माध्यम से प्रदान की जाती है।
लोन श्रेणियाँ:
- योजना चार श्रेणियों में लोन प्रदान करती है: शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 से 5 लाख रुपये), तरुण (5 लाख से 10 लाख रुपये), और तरुण प्लस (10 लाख से 20 लाख रुपये)
- लोन दिया : 32.61 लाख करोड़ रुपए वैल्यू के 52 करोड़ से अधिक
- बैंकिंग प्लेटफॉर्म: SCB, RRB, SFB, NBFC और MFI जैसे वित्तीय संस्थान
प्रमुख उपलब्धियाँ :
SBI की रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रा योजना के प्रभाव से MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र को ऋण प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।
ऋण प्रवाह में वृद्धि:
- वित्त वर्ष 2014 में MSME के लिए कुल ऋण ₹8.51 लाख करोड़ था।
- वित्त वर्ष 2024 में यह बढ़कर ₹27.25 लाख करोड़ हो गया।
- वित्त वर्ष 2025 में इसके ₹30 लाख करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।
बैंक ऋण में MSME की हिस्सेदारी:
- वर्ष 2014 में MSME ऋण की हिस्सेदारी 15.8% थी।
- वर्ष 2024 में यह बढ़कर लगभग 20% हो गई है।
- यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था में MSME की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
क्षेत्रीय प्रभाव:
- योजना ने छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत व्यवसायों को औपचारिक वित्तीय सहायता तक पहुंच दिलाई है।
- इससे वे व्यवसाय भी संस्थागत ऋण प्राप्त कर सके हैं जिन्हें पहले यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
वित्तीय समावेशन: महिलाओं का सशक्तिकरण :
महिलाओं की भागीदारी:
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के कुल लाभार्थियों में से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं।
यह आँकड़ा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि यह योजना महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा देने में कितनी प्रभावशाली रही है।
प्रति महिला वितरण और जमा वृद्धि:
वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2025 के बीच:
- प्रति महिला मुद्रा ऋण वितरण राशि में 13% वार्षिक वृद्धि हुई, जो अब ₹62,679 तक पहुँच गई है।
- प्रति महिला वृद्धिशील जमा राशि में 14% वार्षिक वृद्धि हुई, जो अब ₹95,269 हो गई है।
राज्य स्तर पर प्रभाव:
- जिन राज्यों में महिलाओं को अधिक मात्रा में मुद्रा ऋण वितरित किया गया है, वहाँ पर:
- महिलाओं के नेतृत्व वाले MSMEs के ज़रिये रोजगार के नए अवसर तेजी से बढ़े हैं।
- इससे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता में इज़ाफा हुआ है।
समावेशी वित्तीय पहुँच:
- PMMY लाभार्थियों में 68% महिलाएँ हैं। वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2025 तक प्रति महिला ऋण वितरण में 13% की CAGR और जमा में 14% की दर से वृद्धि हुई।
- SBI के अनुसार, PMMY खातों में से आधे खाते SC, ST और OBC उद्यमियों के पास हैं, तथा 11% अल्पसंख्यकों के पास हैं।
प्रगतिशील ऋण: शिशु से तरुण तक :
कुल लोन खाते (2015–2025): 52 करोड़ से अधिक लोन खाते खोले गए
- किशोर ऋण (₹50,000 – ₹5 लाख):
- वित्त वर्ष 2016 में हिस्सेदारी – 5.9%
- वित्त वर्ष 2025 में हिस्सेदारी – 44.7%
- तरुण ऋण (₹5 लाख – ₹10 लाख): तेजी से वृद्धि, यह दर्शाता है कि योजना केवल शुरुआत के लिए नहीं है, बल्कि व्यवसाय को विस्तार देने के लिए भी सहायक है।
- अधिक ऋण, सशक्त कारोबार: वित्त वर्ष 2016: ₹38,000, वित्त वर्ष 2023: ₹72,000, वित्त वर्ष 2025: ₹1.02 लाख
ऋण वितरण (28 फरवरी, 2025 तक):
- तमिलनाडु ₹3,23,647.76 करोड़ के साथ शीर्ष पर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश ₹3,14,360.86 करोड़ और कर्नाटक ₹3,02,146.41 करोड़ के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- पश्चिम बंगाल और बिहार में भी क्रमशः ₹2,82,322.94 करोड़ और ₹2,81,943.31 करोड़ का वितरण हुआ है। महाराष्ट्र ₹2,74,402.02 करोड़ के साथ छठे स्थान पर है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान:
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पीएमएमवाई की लगातार सराहना की है:
वर्ष 2017 :
- महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को वित्तीय पहुंच प्रदान करने में भूमिका को सराहा।
- बिना गारंटी (कोलेटरल-फ्री) ऋण देकर वंचित वर्गों तक PMJDY के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक बताया।
वर्ष 2019:
- पीएमएमवाई के माध्यम से माइक्रो यूनिट्स को सहायता प्रदान करने और वित्तीय संस्थानों को पुनर्वित्त देने की भूमिका की सराहना की गई।
- योजना को विनिर्माण, व्यापार और सेवाओं में लगे सूक्ष्म उद्यमों के विकास में सहायक बताया गया।
वर्ष 2023:
- कोलेटरल-फ्री ऋण और महिला उद्यमिता पर केंद्रित योजना ने 2.8 मिलियन से अधिक महिला MSME को बढ़ावा दिया।
वर्ष 2024
- PMMY जैसे कार्यक्रमों को स्वरोजगार, औपचारिकता और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने वाला सशक्त नीतिगत उपकरण बताया।