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मिशन शक्ति के तहत पालना योजना

Mon 07 Apr, 2025

संदर्भ :

  • मिशन शक्ति के तहत पालना योजना, जो कि कामकाजी माताओं के बच्चों के लिए एक राष्ट्रीय क्रेच योजना है, 6 महीने से 6 वर्ष तक के बच्चों को सुरक्षित और देखभाल प्रदान करने के लिए है, जो कि मिशन शक्ति के "सामर्थ्य" घटक का हिस्सा है।

मुख्‍य बिन्‍दु :-

पालना योजना – एक परिचय :

  • पूर्ववर्ती राष्ट्रीय क्रेच योजना को 2022 में पुनर्गठित कर मिशन शक्ति की उप-योजना 'सामर्थ्य' के अंतर्गत पालना योजना बनाया गया।
  • यह योजना केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की भागीदारी से संचालित होती है ताकि बेहतर निगरानी और कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके।

वित्तीय साझेदारी:

  • सामान्य राज्यों के लिए: 60:40 (केंद्र:राज्य)
  • पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए: 90:10
  • विधानसभा रहित केंद्रशासित प्रदेशों के लिए: 100% केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषण
क्षेत्र केंद्र का हिस्सा राज्य/संघ राज्य क्षेत्र हिस्सा
सामान्य राज्य 60 प्रतिशत 40 प्रतिशत
पूर्वोत्तर एवं विशेष श्रेणी राज्य 90 प्रतिशत 10 प्रतिशत
विधानमंडल वाले संघ शासित प्रदेश 60 प्रतिशत 40 प्रतिशत
विधानमंडल रहित संघ राज्य क्षेत्र 100 प्रतिशत 0 प्रतिशत

पालना योजना के उद्देश्य:

  • गुणवत्तापूर्ण क्रेच सुविधा : 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में देखभाल प्रदान करना।
  • पोषण और स्वास्थ्य सहायता : बच्चों को पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य सेवाएं और विकास निगरानी उपलब्ध कराना।
  • सभी माताओं के लिए उपलब्धता : क्रेच सेवाएं सभी माताओं के लिए उपलब्ध हैं, चाहे वे कार्यरत हों या नहीं।
  • मातृत्व लाभ अधिनियम का अनुपालन : प्रतिष्ठानों में क्रेच स्थापना के लिए मातृत्व लाभ अधिनियम की धारा 11A के अनुपालन की निगरानी करना।
  • डिजिटल निगरानी व्यवस्था : राज्य/संघ राज्य क्षेत्र, श्रम एवं रोजगार विभागों के साथ मिलकर एक एप्लीकेशन/पोर्टल विकसित करेंगे, जिससे प्रतिष्ठान क्रेच का पंजीकरण और विवरण ऑनलाइन जमा कर सकें।

पालना के अंतर्गत सेवाओं का एकीकृत पैकेज :

  • मिशन शक्ति योजना के तहत पालना घटक का उद्देश्य 6 महीने से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को सेवाओं का एक व्यापक स्तर प्रदान करना है। ये सेवाएं मिशन पोषण 2.0 के साथ मिलकर बचपन की देखभाल, विकास और पोषण का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं ।

प्रमुख सेवाओं में शामिल हैं:

  • दिन में देखभाल की सुविधा , जिसमें शयन व्यवस्था भी शामिल है
  • 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रारंभिक प्रेरक गतिविधियां
  • 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए स्कूल पूर्व शिक्षा
  • पूरक पोषण , स्थानीय स्रोत से प्राप्त
  • विकास निगरानी , स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण सहायता
  • बाल देखभाल सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने के एक घटक के रूप में, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन किया है, जिसके तहत 50 या अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों के लिए क्रेच सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया गया है।

आंगनवाड़ी सह क्रेच (AWCC) – पालना योजना के अंतर्गत :

क्रेच के प्रकार :

  • पालना योजना के तहत दो प्रकार के क्रेच संचालित होते हैं:
  • स्टैंडअलोन क्रेच (अलग से चलने वाले क्रेच)
  • आंगनवाड़ी सह क्रेच (AWCC)

मानव संसाधन प्रावधान :

स्टैंडअलोन क्रेच में:

  • 1 क्रेच वर्कर
  • 1 क्रेच हेल्पर

AWCC में:

  • पहले से मौजूद आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर
  • अतिरिक्त 1 क्रेच वर्कर और 1 क्रेच हेल्पर (मिशन शक्ति दिशानिर्देशों के अनुसार)

आंगनवाड़ी की भूमिका :

  • आंगनवाड़ी केंद्र विश्व की सबसे बड़ी बाल देखभाल संस्थाएं हैं।
  • ये अंतिम छोर तक बच्चों के लिए देखभाल और सहायता की सुलभ सुविधा प्रदान करती हैं।

महिला कार्यबल को समर्थन :

  • इस पहल का उद्देश्य महिला कार्यबल भागीदारी को बढ़ावा देना है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।

लक्ष्य और प्रगति (2024-25):

  • 17,000 नए AWCC स्थापित करने का लक्ष्य
  • मार्च 2025 तक 34 राज्यों/UTs में 11,395 AWCC को मंजूरी दी जा चुकी है।
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की देखरेख में क्रेच कार्यकर्ता क्रेच में आने वाले बच्चों की उचित देखभाल और सुरक्षा करते हैं:
  • बच्चों की नींद और आराम के लिए उचित व्यवस्था करें ।
  • व्यक्तिगत स्वच्छता सुनिश्चित करें और क्रेच सहायक प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें, शौचालय को साफ रखें और शौचालय प्रशिक्षण में मदद करें।
  • उचित शौचालय संबंधी आदतें और शौचालय प्रशिक्षण विकसित करें।
  • आशा/आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी)/आंगनवाड़ी केंद्र के साथ संपर्क स्थापित कर नियमित स्वास्थ्य जांच और रेफरल की सुविधा प्रदान करना ।
  • सुनिश्चित करें कि भोजन स्वच्छतापूर्वक और उम्र के अनुसार पकाया , संग्रहीत/संरक्षित किया जाए तथा बच्चों को उचित अंतराल पर खिलाया जाए।
  • बच्चे को लेने/सौंपने तथा बच्चों को दिए जाने वाले खिलौनों और अन्य सामग्रियों की गुणवत्ता के संबंध में सभी निर्धारित सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन करें।
  • आंगनवाड़ी सह क्रेच योजना को अंतर-मंत्रालयी अभिसरण के साथ विशेष रूप से एकीकृत बाल विकास सेवाओं और पोषण के साथ लागू किया जाएगा।
  • यह श्रम कानूनों के साथ-साथ मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत कानूनों का अनुपालन करता है।
  • फरवरी 2025 तक , 1,761 एडब्ल्यूसीए 28,783 वर्तमान लाभार्थियों के साथ चालू हैं ।
  • इसके अलावा, देश भर में 1,284 स्टैंडअलोन क्रेच भी चालू हैं, जिनके 23,368 वर्तमान लाभार्थी हैं।

मिशन शक्ति: सामान्य जानकारी

  • 'मिशन शक्ति' को 15वें वित्त आयोग की अवधि वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान लॉन्च किया गया है।
  • मिशन शक्ति एकीकृत महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम है जिसे महिलाओं की रक्षा, सुरक्षा और सशक्तीकरण हेतु अम्ब्रेला योजना के रूप में कार्यान्वयन हेतु शुरू किया गया है।

मिशन शक्ति के मुख्य घटक:

  • मिशन शक्ति को मुख्य रूप से दो उप-योजनाओं में विभाजित किया गया है:
  • संबल (Sambal): यह घटक महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा पर केंद्रित है। इसके तहत निम्नलिखित पहलें शामिल हैं:
  • वन-स्टॉप सेंटर (OSCs): हिंसा से प्रभावित महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और परामर्श सहित एकीकृत सहायता और सेवाएं प्रदान करना।
  • महिला हेल्पलाइन (181): हिंसा से प्रभावित महिलाओं को 24 घंटे आपातकालीन और गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान करना।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित करना और उनकी शिक्षा सुनिश्चित करना।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • नागरिक सुरक्षा दल (Mahila Police Volunteers - MPVs): समुदाय और पुलिस के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करने के लिए स्वयंसेवी महिलाओं को शामिल करना।
  • शक्ति सदन: मुश्किल परिस्थितियों में महिलाओं को आश्रय और सहायता प्रदान करना।
  • 2. सामर्थ्य (Samarthya): यह घटक महिलाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित है। इसके तहत निम्नलिखित पहलें शामिल हैं:
  • उज्ज्वला: मानव तस्करी की शिकार महिलाओं और बच्चों की रोकथाम और बचाव, पुनर्वास और पुन: एकीकरण।
  • स्वाधार गृह: कठिन परिस्थितियों में महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़े, चिकित्सा देखभाल और सामाजिक-आर्थिक सहायता प्रदान करना।
  • वर्किंग वुमेन हॉस्टल: कामकाजी महिलाओं के लिए सुरक्षित और किफायती आवास प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय क्रेच योजना: कामकाजी माताओं के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण डे-केयर सुविधाएँ प्रदान करना।
  • जेंडर बजटिंग: सरकारी बजट में लैंगिक दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाना।
  • आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजनाएं: महिलाओं को कौशल विकास, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना।

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