भारत के दूध उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि: 2014-15 से 2023-24 तक
 
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भारत के दूध उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि: 2014-15 से 2023-24 तक

Wed 26 Mar, 2025

संदर्भ:-

  • भारत का दूध उत्पादन पिछले 10 वर्षों में 63.56 प्रतिशत बढ़कर 2014-15 में 146.3 मिलियन टन से 2023-24 के दौरान 239.2 मिलियन टन हो गया है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत है, जबकि विश्व दूध उत्पादन 2 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • इसके अलावा, पिछले दस वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में 48% की वृद्धि हुई है, जिससे यह वैश्विक औसत से अधिक हो गई है।
  • “देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता पिछले एक दशक में 48 प्रतिशत बढ़ी है, जो वर्ष 2023-24 के दौरान 471 ग्राम/व्यक्ति/दिन से भी अधिक है, जबकि विश्व में प्रति व्यक्ति उपलब्धता 322 ग्राम/व्यक्ति/दिन है
  • भारत 1998 से दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है और अब वैश्विक दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का योगदान देता है

पशुपालन और डेयरी विभाग राज्य सरकार द्वारा किए गए दूध उत्पादन और दूध प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे के प्रयासों के पूरक और अनुपूरक के रूप में देश भर में निम्नलिखित योजनाओं को लागू कर रहा है;

  • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD): NPDD को निम्नलिखित 2 घटकों के साथ कार्यान्वित किया जाता है:

घटक 'ए':

  • उद्देश्य: राज्य सहकारी डेयरी संघों, जिला सहकारी दूध उत्पादक संघों, स्वयं सहायता समूहों (SHG), दूध उत्पादक कंपनियों और किसान उत्पादक संगठनों के लिए बुनियादी ढांचे का सृजन/सुदृढ़ीकरण
  • गतिविधियाँ: गुणवत्तायुक्त दूध परीक्षण उपकरण और प्राथमिक शीतलन सुविधाओं का विकास
  • घटक 'बी' – सहकारिता के माध्यम से डेयरी:
  • उद्देश्य: किसानों की संगठित बाजार तक पहुंच बढ़ाना और डेयरी प्रसंस्करण व विपणन बुनियादी ढांचे को उन्नत करना

गतिविधियाँ:

  • डेयरी उत्पादक संस्थाओं की क्षमता में वृद्धि
  • उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाओं को मजबूत करना
  • डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (SDCFPO) को सहायता:
  • उद्देश्य: प्राकृतिक आपदा या प्रतिकूल बाजार स्थितियों में डेयरी सहकारी समितियों को समर्थन देना।
  • सहायता:कार्यशील पूंजी ऋण के लिए ब्याज अनुदान प्रदान किया जाता है
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF)
  • उद्देश्य: पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना
  • पात्रता: व्यक्तिगत उद्यमी, डेयरी सहकारी समितियाँ, किसान उत्पादक संगठन, MSME, निजी कंपनियाँ और धारा 8 कंपनियाँ

गतिविधियाँ:

  • डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन अवसंरचना
  • पशु चारा विनिर्माण संयंत्र।
  • नस्ल सुधार तकनीक और नस्ल गुणन फार्म
  • पशु अपशिष्ट प्रबंधन (कृषि अपशिष्ट से धन सृजन)
  • पशु चिकित्सा टीका और दवा उत्पादन सुविधाएँ

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) :

उद्देश्य:

  • देशी नस्लों का संरक्षण और संवर्धन।
  • गोवंशीय पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना।
  • आनुवंशिक उन्नयन के माध्यम से गोवंशीय आबादी की गुणवत्ता में सुधार।

मुख्य पहल:

  • गोकुल ग्रामों की स्थापना।
  • नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान (AI) कार्यक्रम।
  • कामधेनु हितार्थ एप का उपयोग
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)

उद्देश्य:

  • मुर्गी पालन, भेड़, बकरी और सूअर पालन में उद्यमिता का विकास।
  • नस्ल सुधार अवसंरचना को मजबूत करना।

लाभार्थी:

  • व्यक्ति, किसान उत्पादक संगठन (FPO), स्वयं सहायता समूह (SHG), धारा 8 कंपनियाँ और राज्य सरकारें।

प्रोत्साहन:

  • नस्ल सुधार के लिए वित्तीय सहायता।
  • उद्यमियों को बुनियादी ढांचे के लिए सहायता।
  • पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP)

उद्देश्य:

  • पशु रोगों के विरुद्ध रोगनिरोधी टीकाकरण।
  • पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता निर्माण।
  • रोग निगरानी और पशु चिकित्सा अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना।

मुख्य पहल:

  • पशुधन टीकाकरण शिविर।
  • पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार।
  • सोशल मीडिया जागरूकता अभियान:

उद्देश्य:

  • लोगों को दूध और डेयरी उत्पादों के पोषण लाभों के प्रति जागरूक करना।

प्रचार माध्यम:

  • जागरूकता पोस्ट, इन्फोग्राफिक्स, रील्स और हैशटैग।
  • डिजिटल आउटरीच के माध्यम से जुड़ाव

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