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SSLV का प्रथम प्रक्षेपण स्‍थल

Tue 18 Mar, 2025

संदर्भ :-

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने 17 मार्च, 2025 को घोषणा की कि तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में स्थित कुलसेकरपट्टिनम अंतरिक्ष केंद्र से 2027 में लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का पहला प्रक्षेपण किया जाएगा।
  • यह घोषणा ISRO की बढ़ती क्षमता और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

कुलसेकरपट्टिनम अंतरिक्ष केंद्र:

  • दूसरा प्रक्षेपण परिसर: कुलसेकरपट्टिनम में स्थापित किया जा रहा यह अंतरिक्ष केंद्र आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के बाद ISRO का दूसरा प्रक्षेपण परिसर होगा।
  • समयसीमा: नारायणन के अनुसार, प्रक्षेपण के लिए सभी सुविधाएं अगले 24 महीनों में चालू हो जाएंगी, और पहला प्रक्षेपण दो वर्षों में होगा।
  • यह ISRO का दूसरा लॉन्च पोर्ट है, जो 2,233 एकड़ भूमि पर बनाया जा रहा है।
  • परियोजना की लागत लगभग ₹950 करोड़ है और इसे 2026 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • भौगोलिक लाभ: यह स्थल समुद्र तट के पास स्थित होने के कारण छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए आदर्श है। इसकी स्थिति SSLV जैसे लॉन्च वाहनों के लिए अधिक अनुकूल है।

SSLV कार्यक्रम :

  • लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक लघु-उपग्रह प्रक्षेपण वाहन है, जिसका उद्देश्य कम लागत पर और कम समय में छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करना है।
  • आकार और वजन: SSLV की लंबाई 34 मीटर और व्यास 2 मीटर है, जबकि इसका वजन लगभग 120 टन है।
  • पेलोड क्षमता: यह 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को 500 किलोमीटर की समतल कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है।
  • प्रक्षेपण की लचीलापन: SSLV को कम लागत, कम तैयारी समय, एकाधिक उपग्रहों को समायोजित करने की क्षमता और न्यूनतम प्रक्षेपण अवसंरचना आवश्यकताओं के साथ डिजाइन किया गया है।

उपलब्धियां:

  • प्रारंभिक प्रक्षेपण: पहली SSLV उड़ान अगस्त 2022 में हुई थी, लेकिन ऊपरी चरण में खराबी के कारण यह असफल रही।
  • सफल प्रक्षेपण: दूसरी उड़ान फरवरी 2023 में सफल रही, जिसमें तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
  • हालिया प्रक्षेपण: अगस्त 2024 में, SSLV-D3 मिशन के तहत EOS-8 पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) :

भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है, जो अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों के क्षेत्र में कार्यरत है।

विवरण  जानकारी (Information)
पूरा नाम  Indian Space Research Organisation (ISRO) / भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
स्थापना  15 अगस्त 1969
मुख्यालय  बेंगलुरु, कर्नाटक
संस्थापक  डॉ. विक्रम साराभाई
अध्यक्ष  डॉ. वी. नारायणन
प्रथम उपग्रह  आर्यभट्ट (प्रक्षेपण: 19 अप्रैल 1975)
प्रथम सफल रॉकेट प्रक्षेपण SLV-3 (रोहिणी उपग्रह, 18 जुलाई 1980)
लॉन्च स्टेशन  सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश
मुख्य उद्देश्य  अंतरिक्ष अनुसंधान, उपग्रह प्रक्षेपण, संचार और पृथ्वी अवलोकन
  • 1962: इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च (INCOSPAR) की स्थापना
  • 1969: ISRO का गठन, INCOSPAR का स्थान लिया
  • 1975: भारत का पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' का प्रक्षेपण
  • 1980: स्वदेशी प्रक्षेपण वाहन SLV-3 द्वारा 'रोहिणी' उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

प्रमुख उपलब्धियां:

  • 2008: चंद्रयान-1 (2008) मिशन द्वारा चंद्रमा पर पानी की खोज
  • 2014: मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) द्वारा मंगल की कक्षा में सफल प्रवेश, ऐसा करने वाला पहला एशियाई देश
  • 2023: चंद्रयान-3 (2023)मिशन द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट सफल लैंडिंग
  • सूर्य मिशन : आदित्य-L1 (2023), सूर्य के लैग्रेंज पॉइंट-1 (L1) पर भेजा गया

वर्तमान और भविष्य की योजनाएं:

  • गगनयान मिशन: भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन
  • अंतरिक्ष स्टेशन: 2035 तक एक स्वतंत्र अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना
  • चंद्रयान-4: चंद्रमा पर रोवर और लैंडर के साथ एक और मिशन की योजना
  • हाल ही में केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दी है।

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