राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की सातवीं बैठक
 
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राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की सातवीं बैठक

Tue 04 Mar, 2025

संदर्भ :-

  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक 3 मार्च 2025 को गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
  • बैठक का उद्देश्य देश में वन्यजीव संरक्षण की विभिन्न पहलों की समीक्षा करना और नई नीतिगत दिशा-निर्देश तय करना था।

मुख्य बिंदु:-

प्रमुख घोषणाएं और पहल:

नदी डॉल्फिन आकलन:

  • भारत की नदियों में कुल 6,327 नदी डॉल्फिन पाई गई, इनमें से सबसे ज़्यादा डॉल्फ़िन उत्तर प्रदेश में हैं।
  • सर्वेक्षण आठ राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब—की 28 नदियों में किया गया

राज्यों में डॉल्फिन की संख्या :

  • उत्तर प्रदेश: सबसे अधिक संख्या में डॉल्फिन पाई गई है, जो लगभग 2,397 है
  • बिहार: बिहार में 2,220 डॉल्फिन हैं
  • पश्चिम बंगाल: यहां 815 डॉल्फिन पाई गई हैं
  • असम: असम में 635 डॉल्फिन हैं
  • झारखंड: झारखंड में 162 डॉल्फिन हैं
  • राजस्थान और मध्य प्रदेश: दोनों राज्यों में कुल 95 डॉल्फिन हैं
  • पंजाब: पंजाब में केवल 3 डॉल्फिन पाई गई हैं
  • सर्वेक्षण 2021 से 2023 तक किया गया
  • 8,500 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र कवर किया गया
  • गंगा नदी डॉल्फिन मुख्य रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना नदी प्रणाली और उसकी सहायक नदियों में पाई जाती हैं। यह सर्वेक्षण 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' के तहत किया गया, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को की थी।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण:

  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB), जिसे 'गोडावण' या 'सोन चिरैया' के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षियों में से एक है, इनकी घटती जनसंख्या के समाधान हेतु राष्ट्रीय संरक्षण योजना की घोषणा की गई है
  • यह मुख्यतः राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में पाया जाता है।
  • वर्तमान में इसकी संख्या में भारी गिरावट आई है, जिससे यह गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति बन गई है।
  • घड़ियाल (वैज्ञानिक नाम: गेविएलिस गैंगेटिकस (Gavialis Gangeticus)) संरक्षण: घड़ियालों की घटती जनसंख्या के समाधान के लिए एक नई संरक्षण पहल शुरू की गई है
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन: कोयंबटूर में मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की घोषणा की गई है। यह केंद्र उन्नत ट्रैकिंग और निगरानी प्रणालियों के साथ त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को सशक्त बनाएगा
  • राष्ट्रीय वन्यजीव रेफरल केंद्र: जूनागढ़ में राष्ट्रीय वन्यजीव रेफरल केंद्र की आधारशिला रखी गई है, जो वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन पर केंद्रित होगा।
  • प्रोजेक्ट चीता का विस्तार: प्रोजेक्ट चीता को मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य और गुजरात के बन्नी घास के मैदानों तक विस्तारित करने की घोषणा की गई है।
  • प्रोजेक्ट लायन का विस्तार: गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में एशियाई शेरों के क्षेत्र का विस्तार करने के लिए प्रोजेक्ट लायन को 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।

16वीं एशियाई शेर ((वैज्ञानिक नाम : Panthera leo persica)) संख्या गणना:

  • मई 2025 में 16वीं बार एशियाई शेरों की आबादी का अनुमान लगाने की घोषणा।
  • 2020 में, एशियाई शेरों की आबादी 674 थी, जो 2015 की जनगणना में 523 से लगभग 29% अधिक है। एशियाई शेर गुजरात के लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं, जिसमें 53 तालुका और 9 जिले शामिल हैं।
  • गणना का आयोजन प्रत्येक पाँच वर्ष में आयोजित किया जाता है।

वन्य जीव संरक्षण पहल:

उद्देश्य : पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाना

1. प्रमुख वन्यजीव संरक्षण कानून और संस्थाएँ

(A) वन्यजीव संरक्षण कानून:

  • भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972:
  • यह अधिनियम भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • इसमें वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) की स्थापना की गई है।
  • 2002 में किए गए संशोधन के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) बनाया गया।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986:
  • इस अधिनियम के तहत विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अनिवार्य है।
  • जैव विविधता अधिनियम, 2002:
  • इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) की स्थापना की गई।

(B) प्रमुख संस्थाएँ और निकाय:

  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) – वन्यजीव संरक्षण के लिए नीतियाँ और योजनाएँ बनाता है।
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) – वन्यजीव अनुसंधान और संरक्षण परियोजनाओं पर कार्य करता है।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) – वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय नीतियों का क्रियान्वयन करता है।

2. प्रमुख वन्यजीव संरक्षण परियोजनाएँ

(A) राष्ट्रीय स्तर की संरक्षण परियोजनाएँ:

परियोजना वर्ष उद्देश्य
प्रोजेक्ट टाइगर 1973 बाघों की घटती संख्या को बढ़ाना और उनके संरक्षण को सुनिश्चित करना।
प्रोजेक्ट एलीफेंट 1992 हाथियों के प्राकृतिक आवास की सुरक्षा और मानव-हाथी संघर्ष को कम करना।
प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड 2009 हिम तेंदुओं के संरक्षण और उनके आवासीय क्षेत्रों को बचाने पर केंद्रित।
प्रोजेक्ट डॉल्फिन 2020 गंगा और समुद्री डॉल्फिन की संख्या बढ़ाना।
प्रोजेक्ट गंगा रिवर डॉल्फिन 1991 गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन को विलुप्त होने से बचाना।
प्रोजेक्ट वल्चर 2006 गिद्धों की तेजी से घटती संख्या को बढ़ाना और डाइक्लोफेनाक के उपयोग को रोकना।
प्रोजेक्ट चीता 2022 नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाकर भारत में पुनः बसाना।

(B) अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण पहलें:

1. CITES (Convention on International Trade in Endangered Species, 1975) – विलुप्तप्राय जीवों के व्यापार को नियंत्रित करने के लिए।

2. IUCN (International Union for Conservation of Nature) – प्रजातियों की संरक्षण स्थिति निर्धारित करता है और रेड लिस्ट प्रकाशित करता है।

3. UNEP (United Nations Environment Programme) – वैश्विक स्तर पर जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देता है।

3. संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas) और उनकी श्रेणियाँ

भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए चार प्रमुख संरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं:

1. राष्ट्रीय उद्यान (National Parks):

    • इन क्षेत्रों में मानव गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध होता है।
    • भारत में कुल 106 राष्ट्रीय उद्यान हैं।
    • उदाहरण: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (उत्तराखंड), काजीरंगा नेशनल पार्क (असम), सुंदरबन नेशनल पार्क (पश्चिम बंगाल)।

2. वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries):

  • इन क्षेत्रों में वन्यजीव संरक्षण के साथ कुछ सीमित मानवीय गतिविधियों की अनुमति होती है।
  • भारत में 573 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य हैं।
  • उदाहरण: रणथंभौर अभयारण्य (राजस्थान), गिर अभयारण्य (गुजरात), पेरियार अभयारण्य (केरल)।

3. बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves):

  • यह क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण के लिए बनाए जाते हैं और यहाँ सतत विकास को बढ़ावा दिया जाता है।
  • उदाहरण: नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व, सुन्दरबन बायोस्फीयर रिजर्व, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व।

4. रामसर स्थल (Ramsar Sites):

  • ये क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि (Wetlands) होते हैं।
  • उदाहरण: चिल्का झील (ओडिशा), लोकटक झील (मणिपुर), केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)।

वन्यजीव संरक्षण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान :

  • अनुच्छेद 48A राज्य को पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने का निर्देश देता है। यह एक नीति निदेशक तत्व है, जिसका अर्थ है कि यह राज्य के लिए एक मार्गदर्शन है, लेकिन इसे अदालत द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है।
  • अनुच्छेद 51A(g) नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा करने का कर्तव्य सौंपता है। यह एक मौलिक कर्तव्य है, जिसका अर्थ है कि यह नागरिकों के लिए बाध्यकारी है।
  • अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार को शामिल करता है, जिसमें स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार भी शामिल है। यह एक मौलिक अधिकार है, जिसका अर्थ है कि इसे अदालत द्वारा लागू किया जा सकता है।
  • सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन करती है। इसके अनुसार, केंद्र सरकार के पास वन्यजीवों को संरक्षित करने और राष्ट्रीय उद्यान स्थापित करने का अधिकार है, जबकि राज्य सरकारें जल, भूमि और कृषि से संबंधित पर्यावरण संरक्षण के कानून बना सकती हैं।
  • 5वीं और 6वीं अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों में वन संरक्षण और पारंपरिक अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान करती हैं।
  • 73वां और 74वां संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को वन्यजीव संरक्षण और स्थानीय पर्यावरण संरक्षण में भाग लेने का अधिकार देता है।
  • वन अधिकार अधिनियम, 2006 वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और अन्य परंपरागत वनवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करता है।

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife : NBWL) :

  • वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WPA, 1972) के तहत गठित वन्यजीव संरक्षण और विकास पर एक सर्वोच्च वैधानिक निकाय है।
  • संरचना: NBWL एक 47 सदस्यीय समिति है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं, जो इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं, जबकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री इसके उपाध्यक्ष हैं।

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