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देश के प्रथम बायो पॉलिमर संयंत्र का शिलान्याश

Mon 24 Feb, 2025

संदर्भ:-

  • देश के प्रथम 'बायोपॉलिमर संयंत्र' का शिलान्यास उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के कुंभी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया।
  • यह संयंत्र बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड द्वारा 2,850 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जा रहा है।
  • यह संयंत्र पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद जैसे डिस्पोजेबल बोतलें, खाद्य ट्रे, कटलरी, आइसक्रीम कप और कैरी बैग बनाएगा।
  • यह 3 से 6 महीनों में स्वयं ही मिट्टी में घुलकर नष्ट हो जाएगा, जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
  • यह संयंत्र शून्य-तरल अपशिष्ट के सिद्धांत पर काम करेगा।

संयंत्र की विशेषताएँ:

  • उद्देश्य: प्लास्टिक के स्थान पर बायोपॉलिमर का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना।
  • उत्पाद: बोतलें, प्लेट, कप, थैले आदि, जो उपयोग के बाद तीन महीने में नष्ट हो जाएंगे।
  • तकनीक: जैविक तरीके से पॉलिमर उत्पादन, जिससे पर्यावरण के अनुकूल औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिलेगा।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:

  • रोजगार सृजन: संयंत्र के संचालन से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
  • औद्योगिक विकास: इस परियोजना से क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
  • स्थानीय विकास: लखीमपुर खीरी में इस संयंत्र की स्थापना से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और यहां के बुनियादी ढांचे में सुधार होगा

सरकारी पहल और समर्थन:

  • मेक इन इंडिया: यह परियोजना 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत देश में बायोपॉलिमर उत्पादन को बढ़ावा देगी।
  • पर्यावरण संरक्षण: बायोपॉलिमर के उपयोग से प्लास्टिक प्रदूषण में कमी आएगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा।

बायो-पॉलिमर :

  • बायो-पॉलिमर, जिसे जैविक पॉलिमर के रूप में भी जाना जाता है, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले या जैविक स्रोतों से प्राप्त पॉलिमर होते हैं। ये पॉलिमर पौधे, जानवर या सूक्ष्मजीवों से प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • बायो-पॉलिमर पारंपरिक सिंथेटिक पॉलिमर की तुलना में अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हैं, जो जीवाश्म ईंधन से बने होते हैं।

बायो-पॉलिमर के लाभ:

  • पर्यावरण के अनुकूल: बायो-पॉलिमर बायोडिग्रेडेबल होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे प्राकृतिक रूप से विघटित हो सकते हैं, जिससे प्लास्टिक कचरे की मात्रा कम हो जाती है।
  • नवीकरणीय संसाधन: बायो-पॉलिमर नवीकरणीय संसाधनों से बने होते हैं, जैसे कि मक्का, गन्ना या आलू, जो उन्हें जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने में मदद करते हैं।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: बायो-पॉलिमर का उत्पादन पारंपरिक सिंथेटिक पॉलिमर की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है।
  • विभिन्न अनुप्रयोग: बायो-पॉलिमर का उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों में किया जा सकता है, जैसे कि पैकेजिंग, चिकित्सा उपकरण, कृषि उत्पाद और वस्त्र।

बायो-पॉलिमर के प्रकार:

  • पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए): मकई या गन्ने से बना एक बायोडिग्रेडेबल थर्मोप्लास्टिक।
  • पॉलीहाइड्रोक्सीअल्कानोएट्स (पीएचए): सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पादित बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर।
  • सेलूलोज़-आधारित पॉलिमर: पौधों से प्राप्त प्राकृतिक पॉलिमर, जैसे कि सेलूलोज़ एसीटेट।
  • स्टार्च आधारित पॉलिमर: यह पॉलीमर स्टार्च के घटकों को परिवर्तित करके बनाया जाता है।

बायो-पॉलिमर के अनुप्रयोग:

  • पैकेजिंग: बायो-पॉलिमर का उपयोग खाद्य पैकेजिंग, बैग और अन्य पैकेजिंग सामग्री बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • चिकित्सा उपकरण: बायो-पॉलिमर का उपयोग सर्जिकल टांके, प्रत्यारोपण और अन्य चिकित्सा उपकरण बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • कृषि उत्पाद: बायो-पॉलिमर का उपयोग खाद, मल्च और अन्य कृषि उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • वस्त्र: बायो-पॉलिमर का उपयोग कपड़े, कालीन और अन्य वस्त्र उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • 3डी प्रिंटिंग: बायो-पॉलिमर का उपयोग 3डी प्रिंटिंग फिलामेंट बनाने के लिए किया जा सकता है।

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