18 February, 2025
'आइंस्टीन वलय' (रिंग) की खोज
Tue 18 Feb, 2025
संदर्भ :
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के यूक्लिड स्पेस टेलीस्कोप ने आकाशगंगा NGC 6505 के चारों ओर 'आइंस्टीन रिंग' नामक प्रकाश के एक दुर्लभ वलय की खोज की है।
- यह आकाशगंगा पृथ्वी से 590 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
आइंस्टीन रिंग :
- एक आइंस्टीन रिंग एक ऐसी घटना है जिसमें एक दूर की आकाशगंगा से आने वाला प्रकाश एक विशाल वस्तु (जैसे कि एक और आकाशगंगा) के चारों ओर मुड़ता है, जिससे एक वलय जैसी आकृति बनती है।
- यह घटना अल्बर्ट आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत द्वारा भविष्यवाणी की गई गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग का एक उदाहरण है।
- गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग तब होती है जब किसी विशाल वस्तु का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र प्रकाश को मोड़ता और बढ़ाता है, जिससे दूर की वस्तुएं बड़ी और चमकीली दिखाई देती हैं।
- इस विशेष आइंस्टीन रिंग में, NGC 6505 आकाशगंगा गुरुत्वाकर्षण लेंस के रूप में कार्य कर रही है, जो 4.42 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक अनाम आकाशगंगा से आने वाले प्रकाश को विकृत और प्रवर्धित करती है।
- प्रथम आइंस्टीन रिंग 1987 में खोजी गई थी
- आइंस्टीन रिंग का नाम गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर रखा गया है।
- आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में भविष्यवाणी की थी कि प्रकाश, ब्रह्मांड में वस्तुओं के चारों ओर फैल सकता है और तीव्र हो सकता है।
गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग (Gravitational Lensing) :
- एक खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब कोई भारी वस्तु (जैसे, एक आकाशगंगा या ब्लैक होल) प्रकाश की किरणों को मोड़ देती है, जिससे वे हमें एक अलग दिशा में दिखाई देती हैं।
- यह घटना आल्बर्ट आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत से संबंधित है, जो कहता है कि भारी वस्तुएं अंतरिक्ष-समय के संरचना को मोड़ देती हैं, और इसके परिणामस्वरूप प्रकाश की यात्रा पर प्रभाव पड़ता है।
- गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के प्रकार: साधारण लेंसिंग (Weak Lensing), मजबूत लेंसिंग (Strong Lensing), अंतरिम लेंसिंग (Microlensing)
यूक्लिड मिशन :
विशेषता | विवरण |
मिशन का नाम | यूक्लिड (Euclid) |
संस्थान | यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) |
लॉन्च तिथि | जुलाई 2023 |
लॉन्च वाहन | स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट |
स्थान | पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर, दूसरे लैगरेंज प्वाइंट (L2) पर |
उद्देश्य | डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का अध्ययन, ब्रह्मांड का त्रिआयामी नक्शा बनाना |
प्रमुख उपकरण | 1.2 मीटर का आईना, नियर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर और फोटोमीटर |
मिशन अवधि | 6 वर्ष |
अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रमुख खोज:
खोज | विवरण |
सापेक्षता का सिद्धांत | आइंस्टीन ने समय, स्थान और गुरुत्वाकर्षण के संबंध को समझाया, जिससे ब्रह्मांड की हमारी समझ में क्रांति आई। |
प्रकाश विद्युत प्रभाव | इस खोज में बताया गया कि प्रकाश धातुओं से इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकाल सकता है, जिससे क्वांटम यांत्रिकी का विकास हुआ। |
ब्राउनियन गति | आइंस्टीन ने दिखाया कि तरल पदार्थों में निलंबित कणों की अनियमित गति होती है, जो परमाणुओं के अस्तित्व का प्रमाण है। |
द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्य (E=mc²) | इस समीकरण के माध्यम से बताया गया कि द्रव्यमान और ऊर्जा एक दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं, जो परमाणु ऊर्जा का आधार बना। |
ब्रह्मांड का विस्तार | आइंस्टीन ने यह सिद्ध किया कि ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है, जो बिग बैंग सिद्धांत के विकास में सहायक था। |
आकाशगंगा :
- एक विशाल प्रणाली है, जिसमें अरबों तारे, गैस, धूल, और अन्य खगोलीय वस्तुएं गुरुत्वाकर्षण के कारण एक साथ बंधी होती हैं।
- आकाशगंगाएं ब्रह्मांड की बुनियादी संरचनाएं हैं और वे विभिन्न आकारों और प्रकारों में आती हैं।
- हमारे सौरमंडल और पृथ्वी का घर, "मिल्की वे आकाशगंगा" एक विशाल आकाशगंगा है।
आकाशगंगा के प्रमुख प्रकार:
1. उलझी हुई आकाशगंगा (Spiral Galaxies): इनमें एक केंद्रीय गोलाकार मंडल और सर्पिल बांहें होती हैं, जैसे कि हमारी मिल्की वे आकाशगंगा।
2. अंडाकार आकाशगंगा (Elliptical Galaxies): ये गोल या अंडाकार आकार की होती हैं, और इनकी संरचना अधिक साधारण होती है।
3. अनियमित आकाशगंगा (Irregular Galaxies): इनकी कोई विशेष संरचना नहीं होती और ये बेतरतीब आकार में होती हैं।
आकाशगंगा के प्रमुख घटक:
- तारे: आकाशगंगा के सबसे प्रमुख घटक, जिनमें हमारी पृथ्वी का सूरज भी शामिल है।
- गैस और धूल: इनका अस्तित्व तारे बनने की प्रक्रिया के दौरान होता है।
- ब्लैक होल: आकाशगंगाओं के केंद्र में अक्सर एक विशाल ब्लैक होल स्थित होता है, जैसे हमारे मिल्की वे के केंद्र में है।