18 February, 2025
भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र
Fri 14 Feb, 2025
परिचय:
- भारत हाल ही में विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बना है, जो वैश्विक मछली उत्पादन का लगभग 8% योगदान देता है। 7,516 किमी लंबी तटरेखा और नदियों, जलाशयों एवं अंतर्देशीय जल निकायों के विशाल नेटवर्क के साथ, मत्स्य पालन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन, खाद्य सुरक्षा और निर्यात आय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वैश्विक मत्स्य पालन क्षेत्र में भारत की भूमिका :-
भारत वैश्विक मत्स्य पालन में एक प्रमुख स्थान रखता है और शीर्ष मछली उत्पादक देशों में शामिल है। कुछ प्रमुख आँकड़े इस प्रकार हैं:
- वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक, 8% विश्व मछली उत्पादन का योगदान।
- दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक, वैश्विक समुद्री खाद्य निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान।
- शीर्ष झींगा (Shrimp) उत्पादक और पकड़ मत्स्य उत्पादन (Capture Fisheries) में तीसरा स्थान।
- आंध्र प्रदेश भारत में सर्वाधिक मछली उत्पादन करने वाला राज्य है, इसके बाद पश्चिम बंगाल।
- अंतर्देशीय मत्स्य पालन (Inland Fisheries) कुल मछली उत्पादन का 75% से अधिक योगदान देता है।
जलीय कृषि (Aquaculture) और अंतर्देशीय मत्स्य पालन में वृद्धि ने भारत के मछली उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने में मदद की है। तकनीकी प्रगति, बेहतर मत्स्य प्रबंधन और सरकारी पहलों ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र का महत्व:-
आर्थिक वृद्धि एवं रोजगार सृजन
- मत्स्य पालन क्षेत्र भारत के GDP में 1.1% और कृषि GDP में 7.3% का योगदान देता है।
- यह 1.4 करोड़ मछुआरों और मत्स्य किसानों को रोजगार प्रदान करता है।
- भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 2.8 करोड़ लोगों को आजीविका देता है।
खाद्य सुरक्षा एवं पोषण
- मछली प्रोटीन का समृद्ध स्रोत है और कुपोषण को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- मत्स्य पालन खाद्य सुरक्षा में योगदान देता है, विशेष रूप से तटीय और नदी क्षेत्रों में।
निर्यात एवं विदेशी मुद्रा आय:-
- भारत वैश्विक समुद्री खाद्य निर्यात में अग्रणी है, जिसमें झींगा (Shrimp) सबसे बड़ा निर्यातित उत्पाद है।
- भारत से समुद्री उत्पादों का निर्यात वर्षिक $8 बिलियन से अधिक का है।
- प्रमुख निर्यात गंतव्य: अमेरिका, जापान, चीन और यूरोपीय संघ।
भारत में मत्स्य पालन विकास के लिए सरकारी पहलें
योजना का नाम | उद्देश्य | मुख्य विशेषताएँ |
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) | मत्स्य क्षेत्र में उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाना | ₹20,050 करोड़ का निवेश, 2024-25 तक 22 मिलियन मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य |
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) | वित्तीय एवं तकनीकी सहायता द्वारा मत्स्य पालन की कमजोरियों को दूर करना | मछली पालन के बुनियादी ढांचे और विपणन संपर्कों को सुधारना |
ब्लू रिवोल्यूशन योजना | समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन का एकीकृत विकास और प्रबंधन | आधुनिक मत्स्य पालन तकनीकों को अपनाना और वित्तीय सहायता प्रदान करना |
मत्स्य और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF) | मत्स्य पालन अवसंरचना के लिए वित्तीय सहायता | ₹7,522 करोड़ की निधि, मत्स्य पालन से संबंधित बुनियादी ढांचे का निर्माण |
राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य नीति 2017 | समुद्री मत्स्य संसाधनों का सतत विकास | संरक्षण और जिम्मेदार मछली पकड़ने पर ध्यान केंद्रित |
- ये पहलें उत्पादकता बढ़ाने, टिकाऊ मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और मछली किसानों की आय सुधारने के लिए बनाई गई हैं।
भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र की चुनौतियाँ
1. अधिक मछली पकड़ना (Overfishing) एवं संसाधनों की कमी – अनियंत्रित मछली पकड़ने से समुद्री जैव विविधता को नुकसान।
2. जलवायु परिवर्तन प्रभाव – समुद्र स्तर में वृद्धि, महासागरीय अम्लीकरण (Ocean Acidification) और अत्यधिक मौसम की घटनाएँ।
3. आधुनिक अवसंरचना की कमी – कई मछली पकड़ने वाले समुदायों में कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण और परिवहन सुविधाओं की अनुपलब्धता।
4. बाद कटाई (Post-Harvest) हानि – अपर्याप्त प्रसंस्करण और भंडारण सुविधाओं के कारण मछली की बर्बादी।
5. बाजार पहुंच एवं मूल्य अस्थिरता – मछली पालकों को अस्थिर बाजार कीमतों से जूझना पड़ता है।
6. बीमारी एवं जैव सुरक्षा समस्याएँ – झींगा और मछली फार्मों में बीमारियों के प्रकोप से उत्पादकता प्रभावित।