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विश्व फार्माकोपिया की 15वीं अंतर्राष्ट्रीय बैठक

Thu 06 Feb, 2025

संदर्भ : 

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने नई दिल्ली में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) द्वारा आयोजित विश्व फार्माकोपिया (IMWP) की 15वीं अंतर्राष्ट्रीय बैठक का उद्घाटन किया।

IMWP के बारे में

  • WHO ने 2012 में "इंटरनेशनल मीटिंग ऑफ द वर्ल्ड फार्माकोपियास (IMWP)" बैठकों की श्रृंखला शुरू की।
  • विश्व फार्माकोपिया (IMWP) एक महत्वपूर्ण मंच है जो वैश्विक स्तर पर दवाओं की गुणवत्ता और पहुंच के बारे में चर्चा को बढ़ावा देता है।
  • फार्माकोपिया एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संग्रह है, जो किसी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय प्राधिकरण द्वारा उस देश या क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली दवाओं के लिए मानकों और गुणवत्ता विनिर्देशों का तैयार किया जाता है।
  • भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र
  • भारतीय फार्मा उद्योग दुनिया भर में अपनी गुणवत्ता, लागत प्रभावी उत्पादन, और अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवा तंत्र का एक अभिन्न हिस्सा है और वैश्विक दवा आपूर्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मुख्य तथ्य और योगदान:

AIDS उपचार में योगदान:

  • विश्व स्तर पर AIDS से निपटने के लिए उपयोग की जाने वाली 80% से अधिक एंटीरेट्रोवायरल दवाएं भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा आपूर्ति की जाती हैं।

भारत के GDP में योगदान:

  • वर्तमान में, भारतीय फार्मा क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 1.72% का योगदान देता है।

भविष्य का अनुमान:

  • 2030 तक भारतीय दवा बाज़ार का मूल्य 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • 2047 तक यह मूल्य 450 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।

वैश्विक स्थान:

  • मात्रा के हिसाब से भारत विश्‍व में तीसरे स्थान पर है।
  • मूल्य के मामले में भारत 14वें स्थान पर है।

जैव प्रौद्योगिकी में स्थान:

  • भारत विश्‍व में जैव प्रौद्योगिकी के लिए शीर्ष 12 गंतव्यों में से एक है।
  • एशिया प्रशांत क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी के लिए भारत तीसरे स्थान पर है।

वित्तीय प्रदर्शन:

  • भारतीय दवा कंपनियों के FY25 (वित्तीय वर्ष 2025) में 9-11% राजस्व वृद्धि हासिल करने का अनुमान है।

प्रमुख कंपनियाँ:

  • सन फार्मास्युटिकल्स भारत की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी है, जो अपने राजस्व और गुणवत्ता दोनों के लिए जानी जाती है।
  • भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियाँ:

मुख्य उपलब्धियाँ:

  • जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता:
  • भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा आपूर्तिकर्ता है।
  • भारतीय दवाओं की लागत प्रभावीता और गुणवत्ता इसे वैश्विक बाजार में एक प्रमुख स्थान प्रदान करती है।

टीकों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता:

  • भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा टीका आपूर्तिकर्ता है।
  • यह वैश्विक टीकों की मांग का 50% से अधिक आपूर्ति करता है।

वैश्विक दवा आपूर्ति में योगदान:

भारतीय फार्मा क्षेत्र:

  • अमेरिका की जेनेरिक दवाओं की मांग का 40% आपूर्ति करता है।
  • ब्रिटेन की सभी दवाओं का 25% उपलब्ध कराता है।

"विश्‍व की फार्मेसी":

  • भारतीय दवा उद्योग को इसकी कम लागत और उच्च गुणवत्ता के कारण "विश्‍व की फार्मेसी" के रूप में जाना जाता है।
  • सस्ती दरों पर उपलब्ध जेनेरिक दवाएँ और टीके विकासशील और गरीब देशों के लिए वरदान साबित हुए हैं।

हैदराबाद – "थोक दवा राजधानी":

  • हैदराबाद को "भारत की थोक दवा राजधानी" (Bulk Drug Capital of India) के रूप में जाना जाता है।
  • शहर फार्मा कंपनियों और अनुसंधान केंद्रों का एक प्रमुख केंद्र है।

विशेष योगदान:

  • भारत ने विभिन्न वैश्विक संकटों, जैसे COVID-19 महामारी, के दौरान दवाओं और टीकों की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सस्ती दवाओं और टीकों के निर्यात के माध्यम से, भारत ने कम और मध्यम आय वाले देशों के स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने में सहायता की है।
  • यह क्षेत्र "मेक इन इंडिया" पहल के अंतर्गत स्वदेशी उत्पादन और अनुसंधान को प्रोत्साहित कर रहा है।

भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र: सरकारी योजनाएँ और पहल

  • भारतीय सरकार ने फार्मास्युटिकल क्षेत्र को आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई योजनाएँ और नीतियाँ लागू की हैं।

प्रमुख सरकारी योजनाएँ और पहलें:

  • फार्मास्युटिकल उद्योग को सुदृढ़ बनाने (एसपीआई) योजना:
  • लक्ष्य: मौजूदा फार्मा क्लस्टरों और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) को आवश्यक सहायता प्रदान करना।
  • वित्तीय परिव्यय: 500 करोड़ रुपये।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र:

  • लक्ष्य: मार्च 2025 तक जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10,500 करना।
  • यह पहल सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।

पीएलआई योजना (Production Linked Incentive):

  • अवधि: 2020-21 से 2028-29 तक।
  • वित्तीय परिव्यय: 15,000 करोड़ रुपये (2.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर)।
  • उद्देश्य: फार्मास्युटिकल्स में उत्पादन को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP):

  • उपलब्धि: अक्टूबर 2024 में 1,000 करोड़ रुपये (119 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की बिक्री हासिल की।
  • सस्ती और सुलभ दवाओं की आपूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम।

ग्रीनफील्ड बल्क ड्रग पार्क परियोजनाएँ:

  • घोषणा: मार्च 2024 में 27 ग्रीनफील्ड बल्क ड्रग पार्क परियोजनाओं का उद्घाटन।
  • लक्ष्य: भारत को बल्क ड्रग उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना।
  • FDI अनुमति: ग्रीनफील्ड फार्मास्यूटिकल्स परियोजनाओं के लिए स्वचालित मार्ग से 100% FDI की अनुमति।

फार्मा-मेडटेक अनुसंधान और नवाचार योजना:

  • अवधि: 2023-24 से 2027-28 तक।
  • वित्तीय परिव्यय: 5,000 करोड़ रुपये (यूएस $604.5 मिलियन)।
  • उद्देश्य: मेडटेक और फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना।
  • राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (NIPER):
  • फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 7 NIPER संस्थानों की स्थापना की गई है।
  • ये संस्थान स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट शिक्षा प्रदान करते हैं।

राष्ट्रीय नीति:

  • घोषणा: अगस्त 2023 में।
  • लक्ष्य: भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करना।

भारतीय फार्माकोपिया आयोग

  • स्थापना: 1956
  • मुख्यालय: गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
  • स्वायत्त संस्था
  • नोडल मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
  • कार्य: भारत में निर्मित, बेची और उपभोग की जाने वाली सभी दवाओं के लिए मानक निर्धारित करता है।

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