भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल
 
  • Mobile Menu
HOME
LOG IN SIGN UP

Sign-Up IcanDon't Have an Account?


SIGN UP

 

Login Icon

Have an Account?


LOG IN
 

or
By clicking on Register, you are agreeing to our Terms & Conditions.
 
 
 

or
 
 




भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल

Tue 19 Nov, 2024

संदर्भ

  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 16 नवंबर, 2024 की देर रात ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की उड़ान का सफल परीक्षण किया।
  • मुख्य विशेषता: इस हाइपरसोनिक मिसाइल को सशस्त्र बलों के लिए 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मिसाइल के प्रकार:

  • क्रूज मिसाइल: ये मिसाइलें कम ऊंचाई पर उड़ती हैं और अपने लक्ष्य की ओर एक निश्चित मार्ग का अनुसरण करती हैं। उदाहरण: ब्रहमोस एवं निर्भय, आदि।
  • बैलिस्टिक मिसाइल: ये मिसाइलें एक उच्च चाप पर उड़ती हैं और फिर अपने लक्ष्य की ओर गिरती हैं। उदाहरण: अग्नि-I, अग्नि-II, अग्नि-III, धनुष और प्रहार, आदि।

गति के आधार पर वर्गीकरण:

सुपरसोनिक मिसाइल

विशेषताएं:

  • ध्वनि की गति से अधिक होने के कारण ये मिसाइलें बहुत तेजी से अपने लक्ष्य तक पहुंचती हैं।
  • इनका उपयोग आमतौर पर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में किया जाता है।
  • ये मिसाइलें आकार में अपेक्षाकृत छोटी होती हैं।

हाइपरसोनिक मिसाइल

विशेषताएं:

  • गति: ध्वनि की गति से 5 गुना या उससे अधिक।
  • इनका उपयोग लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों में किया जाता है।
  • ये मिसाइलें बहुत अधिक तापमान और दबाव को सहन कर सकती हैं।
  • इनको रोकना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इनकी गति बहुत अधिक होती है।

हाई-हाइपरसोनिक मिसाइल

विशेषताएं:

  • गति: ध्वनि की गति से 25 गुना या उससे अधिक।
  • ये मिसाइलें हाइपरसोनिक मिसाइलों से भी कहीं अधिक तेज़ होती हैं।
  • इनका उपयोग भविष्य के युद्ध में किया जा सकता है।
  • इनका विकास अभी भी प्रारंभिक चरण में है।

DRDO:

  • DRDO यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण संगठन है जो देश की रक्षा क्षमता को मजबूत बनाने के लिए काम करता है।
  • स्थापना: DRDO की 1958 में हुई थी।
  • प्रमुख: डॉ. समीर वी कामत

प्रमुख कार्य:

  • मिसाइल प्रणाली: अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल जैसी मिसाइलों का विकास।
  • सोनार और राडार प्रणाली: नौसेना के लिए उन्नत सोनार और राडार प्रणालियों का विकास।
  • वैमानिकी: लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन का विकास।
  • संचार प्रणाली: सैन्य संचार के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय प्रणालियों का विकास।
  • सामग्री विज्ञान: हल्के और मजबूत सामग्रियों का विकास जो रक्षा उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं।
  • जैव प्रौद्योगिकी: जैव रक्षा और चिकित्सा उपकरणों का विकास।

Latest Courses