01 December, 2024
निष्क्रिय इच्छामृत्यु
Thu 14 Nov, 2024
संदर्भ
अपने अंतिम कार्य दिवस पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने फैसले के माध्यम से 30 वर्षीय हरीश राणा के माता-पिता को 'निष्क्रिय इच्छामृत्यु' की राहत प्रदान की, जो 13 वर्षों से वानस्पतिक अवस्था में है।
इच्छामृत्यु
- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु को जानबूझकर त्वरित करने के लिए कोई सक्रिय उपाय नहीं किया जाता है, लेकिन मौजूदा उपचार या जीवन-रक्षक उपायों को वापस ले लिया जाता है।
- यह आमतौर पर तब होता है जब एक व्यक्ति असाध्य रोग से पीड़ित होता है और जीवन का गुणवत्ता बहुत खराब हो जाए।
कानूनी स्थिति
- ‘इच्छामृत्यु’ की कानूनी स्थिति देशों के बीच भिन्न होती है।
- कुछ देशों जैसे ऑस्ट्रिया, फ़िनलैंड और नॉर्वे में इसे स्पष्ट रूप से अनुमति दी जाती है, जबकि अन्य में इसे प्रतिबंधित किया गया है।
- कुछ देशों में, निष्क्रिय इच्छामृत्यु को केवल कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में ही अनुमति दी जा सकती है, जैसे कि जब एक व्यक्ति असाध्य रोग से पीड़ित होता है और अपने जीवन का अंत चाहता है।
भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु
- भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की कानूनी स्थिति अस्पष्ट है। हालांकि कोई स्पष्ट कानून नहीं है जो इसे अनुमति देता है, कुछ अदालतों ने कुछ मामलों में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी है।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को यह कहते हुए वैध कर दिया कि यह 'जीवित इच्छा' का मामला है।
- 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति के लिए वैध 'लिविंग विल' बनाने के लिए नोटरी या राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापन पर्याप्त होगा। प्रमाणित करने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट की आवश्यकता नहीं है।
विभिन्न देशों में इच्छामृत्यु
- स्विट्जरलैंड इच्छामृत्यु पर तो प्रतिबंध लगाता है लेकिन डॉक्टर या चिकित्सक की उपस्थिति में 'सहायता प्राप्त मृत्यु' की अनुमति भी देता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कानून हैं। ओरेगॉन और मोंटाना जैसे कुछ राज्यों में इच्छामृत्यु की अनुमति है और कुछ राज्यों में इसकी अनुमति नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, "गरिमापूर्ण मृत्यु अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का ही एक हिस्सा है"। |