12 November, 2024
संजीव खन्ना: भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश
Wed 13 Nov, 2024
संदर्भ
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ का स्थान लिया और उनका कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा।
सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है।
- राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
- राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के परामर्श के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति करता है।
- मुख्य न्यायाधीश के अलावा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश का 'परामर्श' आवश्यक है।
कॉलेजियम प्रणाली
इस प्रणाली या व्यवस्था के तहत, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण का निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के एक मंच द्वारा किया जाता है।
- किसी उच्च न्यायालय के कॉलेजियम का नेतृत्व उसके मुख्य न्यायाधीश और उस न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश करते हैं।
कॉलेजियम प्रणाली का गठन
प्रथम न्यायाधीश मामला (1981) | न्यायिक नियुक्तियों और तबादलों पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के सुझाव की "प्राथमिकता/प्रधानता" को "ठोस कारणों" के चलते अस्वीकार किया जा सकता है। इसमें न्यायालय ने कहा की परामर्श का मतलब सहमति नहीं, बल्कि विचारों का आदान-प्रदान है। |
दूसरा न्यायाधीश मामला (1993) | सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पूर्व के फैसले को परिवर्तित करते हुए कहा कि 'परामर्श' का मतलब 'सहमति' है। अर्थात न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में सर्वोच्च/उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दी गई सलाह, राष्ट्रपति को माननी ही होगी। लेकिन यहाँ पर एक व्यवस्था ये जोड़ दी गई, कि, भारत का मुख्य न्यायाधीश यह सलाह अपने दो वरिष्ठतम सहयोगियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही देगा। |
तीसरा न्यायाधीश मामला, 1998 | भारत के मुख्य न्यायाधीश को चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से सलाह करनी होगी, इनमें से अगर दो का मत भी पक्ष में नहीं है तो वह नियुक्ति के लिए सिफ़ारिश नहीं भेज सकता। 5 न्यायाधीशों के इसी समूह को ‘कॉलेजियम’ कहा जाता है। |
न्यायधीशों का निष्कासन:
- न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा जरूर नियुक्त किए जाते हैं लेकिन राष्ट्रपति उसे अपने मन से हटा नहीं सकता है।
- अनुच्छेद 124(4) के तहत, राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को उसके पद से तभी हटा सकता है, जब उस न्यायाधीश को हटाने का आधार सिद्ध हो जाये और उसके बाद संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत से इस प्रस्ताव को पास किया जाये।
- इसके लिए बकायदा एक कानून है, जिसका नाम है ‘न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968’ इसमें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के संबंध में ‘महाभियोग’ की प्रक्रिया का वर्णन है।
न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के अनुसार न्यायाधीश को हटाने की निम्नलिखित प्रक्रिया है: –
- ‘निष्कासन प्रस्ताव’ पर लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा का सभापति तभी विचार करेगा जब उस प्रस्ताव को लोकसभा में 100 सदस्यों और राज्यसभा में 50 सदस्यों से लिखित सहमति मिलेगी।
- ये अध्यक्ष/ सभापति पर निर्भर करता है, कि वे इसे स्वीकृति दे या नहीं।
- यदि इसे स्वीकार कर लिया जाये तो अध्यक्ष / सभापति को इसकी जांच के लिए तीन सदस्य समिति गठित करनी होगी। इस समिति में - मुख्य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय का कोई न्यायाधीश, किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और प्रतिष्ठित न्यायवादी शामिल होना चाहिए।
- इसके बाद विशेष बहुमत से दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित कर इसे राष्ट्रपति को भेजा जाता है और अंत में राष्ट्रपति न्यायाधीश को हटाने का आदेश जारी करते हैं।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)
- इसे संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 द्वारा पारित किया गया था।
- इसमें कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक स्वतंत्र आयोग के गठन का भी प्रावधान किया गया।
संरचना:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (अध्यक्ष)
- सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश
- केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश, भारत के प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता की समिति द्वारा नामित किए जाने वाले दो अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति
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- लेकिन वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने चौथे न्यायाधीश मामले में इस अधिनियम को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित होगी, इसलिए पुरानी कॉलेजियम प्रणाली को फिर बहाल कर दिया गया।
उच्चतम न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट
- संविधान का भाग 5 (अनुच्छेद 124 से अनुच्छेद 147 तक): उच्चतम न्यायालय के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियाँ, प्रक्रिया आदि का उल्लेख है।
- अनुच्छेद 124: 1950 के मूल संविधान में 1 मुख्य न्यायाधीश और 7 उप-न्यायाधीशों के साथ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई थी।
- न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या: भारत के मुख्य न्यायाधीश और 33 अन्य न्यायाधीश
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय में दो प्रकार की पीठें/बेंच हैं: खंडपीठ और संवैधानिक पीठ
- खंडपीठ: इन पीठों में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सहित अन्य दो या तीन न्यायाधीश होते हैं।
- संवैधानिक पीठ: इन पीठों में पाँच या अधिक न्यायाधीश होते हैं, और कानून के मौलिक प्रश्नों को निपटाने के लिए गठित किये जाते हैं।
- अब तक की सबसे बड़ी बेंच: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला, 1973 (13 जज शामिल थे।)