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गिग वर्कर्स

Mon 11 Nov, 2024

संदर्भ

  • "गिग वर्कर्स" की अवधारणा के निरंतर विकास के बीच, हाल ही में भारत में एक महत्वपूर्ण आंदोलन हुआ, जो इस साल दीपावली पर एक राष्ट्रव्यापी डिजिटल हड़ताल के रूप में आयोजित किया गया। 
  • इसका आयोजन गिग एंड प्लेटफॉर्म सर्विसेज वर्कर्स यूनियन (GIPSWU) द्वारा किया गया था, जो भारत का पहला यूनियन है जो मुख्य रूप से महिला गिग वर्कर्स को समर्पित है।

 गिग वर्कर्स

  • गिग वर्कर वे लोग होते हैं जो पारंपरिक नौकरी के बजाय छोटी-छोटी परियोजनाओं या कार्यों के लिए अलग-अलग कंपनियों या व्यक्तियों के साथ काम करते हैं। 
  • ये कार्य आम तौर पर अस्थायी होते हैं और इनमें कोई दीर्घकालिक रोजगार अनुबंध नहीं होता है।

 गिग इकॉनमी क्या है?

  • गिग वर्कर्स एक नए प्रकार की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं जिसे गिग इकॉनमी कहा जाता है। 
  • इस अर्थव्यवस्था में, पारंपरिक नौकरियों की जगह छोटी-छोटी परियोजनाओं के आधार पर काम किया जाता है।

 उदाहरण:

  • फ्रीलांसर: लेखक, ग्राफिक डिजाइनर, वेब डेवलपर, आदि।
  • ड्राइवर: Uber, Ola जैसे ऐप्स के माध्यम से काम करने वाले ड्राइवर।
  • खाना बनाने वाले: Swiggy, Zomato जैसे ऐप्स के माध्यम से काम करने वाले।
  • घर की सफाई करने वाले
  • ऑनलाइन ट्यूटर: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ट्यूशन देने वाले लोग।

फायदे

  • लचीलापन: गिग वर्कर्स अपने काम के समय और जगह को चुन सकते हैं।
  • विविधता: गिग वर्कर्स विभिन्न प्रकार के काम कर सकते हैं।
  • अधिक कमाई: कई बार गिग वर्कर्स पारंपरिक नौकरी करने वालों से अधिक कमा सकते हैं।

 चुनौतियाँ:

  • अनियमित प्रकृति: गिग इकॉनमी बड़े पैमाने पर अनियमित रूप से विकसित होती है, इसलिये श्रमिकों की नौकरी की सुरक्षा बहुत कम होती है और बहुत सीमित लाभ प्राप्त होते हैं।
  • कौशल की आवश्यकता: एक वर्कर्स को पर्याप्त रूप से कुशल होने की आवश्यकता होती है। जब तक कोई व्यक्ति अत्यंत प्रतिभाशाली नहीं होगा, उसकी सौदेबाज़ी की शक्ति अनिवार्य रूप से सीमित होगी।
  • जबकि कंपनियाँ नियमित रूप से कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में निवेश करती हैं, एक गिग-इकॉनमी वर्कर्स को अपनी लागत पर अपने कौशल को अपग्रेड करना होगा।
  • मांग-पूर्ति असंतुलन: स्थायी नौकरियों की तुलना में अब पहले से ही कई अधिक संभावित ऑनलाइन स्वतंत्र या फ्रीलांस कर्मचारी हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि मांग एवं पूर्ति के बीच यह असंतुलन समय के साथ और अधिक बढ़ जाएगा, जिसके कारण समय के साथ मज़दूरी में कमी आएगी।

 गिग इकॉनमी के लिये श्रम संहिता:

  • मज़दूरी संहिता, 2019 गिग श्रमिकों (संगठित और असंगठित क्षेत्रों सहित) के लिये  सार्वभौमिक न्यूनतम मज़दूरी और न्यूनतम मज़दूरी का प्रावधान करती है।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 गिग श्रमिकों को एक नई व्यावसायिक श्रेणी के रूप में मान्यता देती है।
  • यह गिग वर्कर को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर काम करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसी गतिविधियों से कमाई करता है।

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