नागरिकता अधिनियम, 1955
 
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नागरिकता अधिनियम, 1955

Tue 22 Oct, 2024

संदर्भ

  • सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने सुनवाई के दौरान असम समझौते के तहत नागरिकता से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। फैसले के तहत अब नागरिकता अधिनियम की धारा 6A लागू रहेगी।

मुख्य बिंदु

  • पांच सदस्यीय बेंच के सदस्य जस्टिस जेबी पारदीवाला ने अपने फैसले में नागरिकता कानून की धारा 6A को असंवैधानिक करार दिया। 
  • जबकि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस मनोज मिश्रा ने नागरिकता कानून की धारा 6A को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया।

याचिकाकर्ताओं का तर्क क्या है? 

  • धारा 6A के प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 6 का उल्लंघन करते हैं, जिसमें अप्रवासियों को नागरिकता देने की कट-ऑफ तारीख 19 जुलाई, 1948 निर्धारित की गयी है।

नागरिकता अधिनियम की धारा 6A

  • नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A, 1 ​​जनवरी, 1966 के बाद लेकिन 24 मार्च, 1971 से पहले असम में प्रवेश करने वाले प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करती है। यह प्रावधान “असम समझौते”, 1985 नामक समझौता ज्ञापन को आगे बढ़ाने के लिए अधिनियम में शामिल किया गया था, जिसका उद्देश्य असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करना और उन्हें देश से बाहर निकालना था।

असम समझौता:

  • असम समझौता एक ऐतिहासिक समझौता है जो 15 अगस्त, 1985 को भारत सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच हुआ था। यह समझौता छह साल तक चले असम आंदोलन को समाप्त करने के लिए किया गया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य असम में अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकालना था।

भारतीय नागरिकता

  • संविधान के भाग-II के तहत अनुच्छेद 5-11 नागरिकता के बारे में चर्चा करता है।
  • संविधान निर्माण (26 जनवरी 1950) के उपरांत, संविधान के अनुसार निम्न श्रेणियों के लोग भारत के नागरिक होंगे:
    • जो व्यक्ति भारत का मूल निवासी है या तीन में से किसी एक शर्त को पूरा करता हो:
    • यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो
    • माता और पिता में से किसी एक का जन्म भारत में हुआ हो
    • भारत में संविधान लागू होने से 5 वर्ष पूर्व से रह रहा/रही हो
  • स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं होगा (अनुच्छेद 9)

नागरिकता अधिनियम, 1955

नागरिकता प्राप्त करने की 5 शर्तों का प्रावधान करता है:

  1. जन्म से: 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद परंतु 1 जुलाई 1947 से पूर्व जन्मा व्यक्ति अपने माता-पिता के जन्म की राष्ट्रीयता के बावजूद भारत का नागरिक माना जाएगा।
  2. वंश के आधार पर: जिस व्यक्ति का जन्म 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद परंतु 10 दिसंबर, 1992 से पूर्व भारत के बाहर हुआ हो, वंश के आधार पर भारत का नागरिक बन सकता है (यदि उसके जन्म के समय पिता भारत का नागरिक हो)
  3. पंजीकरण द्वारा:
  4. प्राकृतिक रूप से: व्यक्ति ऐसे देश से संबंधित ना हो, जहां भारतीय नागरिक प्राकृतिक रूप से नागरिक नहीं बन सकते हैं किसी अन्य देश की नागरिकता को त्यागना होगा
  5. क्षेत्र समवीष्टि द्वारा: किसी विदेशी क्षेत्र द्वारा भारत का हिस्सा बनने पर भारत सरकार और क्षेत्र से संबंधित विशेष व्यक्तियों को भारत का नागरिक घोषित करती है।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 1957, 1960, 1985, 1986, 1992, 2003, 2005, 2015, 2019

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019

पारित: 11 दिसंबर, 2019

प्रभावी: 10 जनवरी. 2020

31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों एवं ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा।

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