01 December, 2024
शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक
Tue 08 Oct, 2024
संदर्भ
- स्कॉलर्स एट रिस्क (SAR) अकादमिक स्वतंत्रता निगरानी परियोजना द्वारा प्रकाशित "फ्री टू थिंक 2024" वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारत अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक रैंक में बहुत नीचे चला गया है।
- रिपोर्ट में 1 जुलाई, 2023 और 30 जून, 2024 के बीच 51 देशों में उच्च शिक्षा समुदायों पर 391 हमलों का दस्तावेजीकरण किया गया है।
शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक
- शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक एक ऐसा मापदंड है जो किसी देश या क्षेत्र में शिक्षा संस्थानों और शिक्षकों को कितनी स्वतंत्रता है, इसे मापता है।
- यह सूचकांक विभिन्न कारकों जैसे कि शैक्षणिक सामग्री पर प्रतिबंध, शिक्षकों की भर्ती और बर्खास्तगी में राजनीतिक हस्तक्षेप, और छात्रों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ध्यान में रखता है।
- सूचकांक में 0-1 के बीच स्कोर दिया जाता है और 1 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बताता है।
शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक का मूल्यांकन निम्नलिखित आठ घटकों के आधार पर किया जाता है:
- शोध और शिक्षा की स्वतंत्रता
- अकादमिक विनिमय और प्रसार की स्वतंत्रता
- संस्थागत स्वायत्तता, परिसर अखंडता
- शैक्षणिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- शैक्षणिक स्वतंत्रता की संवैधानिक सुरक्षा
- शैक्षणिक स्वतंत्रता के तहत अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रतिबद्धता
- आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते और
- विश्वविद्यालयों का अस्तित्व
भारत का प्रदर्शन:
- भारत का शैक्षणिक स्वतंत्रता स्कोर 2013 में 0.6 अंक से गिरकर 2023 में सिर्फ़ 0.2 अंक रह गया।
- रिपोर्ट में भारत को “पूरी तरह से प्रतिबंधित” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो 1940 के दशक के मध्य के बाद से देश का निम्नतम रैंक है।
- इस गिरावट के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें शामिल हैं:
- विश्वविद्यालयों पर राजनीतिक प्रभाव एवं
- छात्र विरोध पर सीमाएँ, आदि
SAR दुनिया भर के 665 विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क है, जिसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय, ड्यूक विश्वविद्यालय और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय शामिल हैं। |