01 December, 2024
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता
Sat 05 Oct, 2024
संदर्भ
- संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति खराब होने का आरोप लगाया है।
- भारत सरकार ने इसे “दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट” कहते हुए खारिज कर दिया और आयोग को “पक्षपाती” करार दिया है।
संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित किया गया है। ये अनुच्छेद निम्नलिखित बातों की गारंटी देते हैं:
- अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता: हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने और प्रचार करने का अधिकार है।
- धार्मिक संस्थाओं को स्थापित करने और चलाने का अधिकार: लोग अपने धर्म से संबंधित संस्थाएं स्थापित कर सकते हैं और उन्हें चला सकते हैं।
- धार्मिक शिक्षा का अधिकार: धार्मिक संस्थाएं अपनी शिक्षा दे सकती हैं।
- धार्मिक कार्यों में भाग लेने का अधिकार: लोग अपने धार्मिक कार्यों में स्वतंत्र रूप से भाग ले सकते हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता की चुनौतियाँ:
हालांकि, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- धार्मिक असहिष्णुता: कुछ क्षेत्रों में धार्मिक असहिष्णुता की घटनाएं देखने को मिलती हैं, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और हिंसा शामिल है।
- जातिवाद: जातिवाद भी धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि कई बार धार्मिक अल्पसंख्यक निचली जातियों से होते हैं और उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
- राजनीतिकरण: धर्म को राजनीति से जोड़ने की कोशिश की जाती है, जिससे धार्मिक विभाजन बढ़ता है।
- सामाजिक दबाव: सामाजिक दबाव भी धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है, क्योंकि कई बार लोग अपने धर्म को बदलने से डरते हैं या समाज से बहिष्कृत होने का डर महसूस करते हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के उपाय:
धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- शिक्षा: लोगों को धार्मिक सहिष्णुता और बहुलवाद के बारे में शिक्षित करना।
- कानून का प्रभावी कार्यान्वयन: धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना।
- मीडिया की जिम्मेदारी: मीडिया को धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
- समाज में जागरूकता पैदा करना: धार्मिक सहिष्णुता के महत्व के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करना।