01 December, 2024
शास्त्रीय भाषाएँ
Fri 04 Oct, 2024
संदर्भ
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच और भाषाओं - मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा देने को मंजूरी प्रदान की।
मुख्य बिंदु:
- कैबिनेट के इस फैसले के साथ ही, दर्जा प्राप्त भाषाओं की संख्या 6 से बढ़कर 11 हो जाएगी।
- इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को यह दर्जा प्राप्त था।
- तमिल को 2004 में यह दर्जा दिया गया था और 2014 में ओडिया को यह दर्जा मिला था।
शास्त्रीय भाषाएँ
- शास्त्रीय भाषाएँ वे भाषाएँ होती हैं जिनका एक लंबा और समृद्ध इतिहास होता है, और जो अपनी साहित्यिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए जानी जाती हैं।
- इन भाषाओं में आमतौर पर जटिल व्याकरण होता है और इनका उपयोग धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता रहा है।
शास्त्रीय भाषा का दर्जा क्यों?
- वर्ष 2004 में भारत सरकार ने यह मानते हुए कि कुछ भाषाएँ अपनी विशिष्ट और समृद्ध विरासत के कारण विशेष दर्जे की हकदार हैं, शास्त्रीय भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया।
- वर्ष 2006 में, सरकार ने एक भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए कुछ विशिष्ट मानदंड निर्धारित किए।
मानदंड:
- प्रारंभिक लेखन और ऐतिहासिक विवरणों की प्राचीनता 1,500 से 2,000 BC की है।
- प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का संग्रह जिसे पीढ़ियों द्वारा मूल्यवान विरासत माने जाते है।
- किसी अन्य भाषा समुदाय से उधार न ली गई एक मौलिक साहित्यिक परंपरा की उपस्थिति।
- शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा से भिन्न होने के कारण, शास्त्रीय भाषा तथा उसके बाद के रूपों अथवा शाखाओं के बीच एक विसंगति से भी उत्पन्न हो सकती है।
भाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- 8वीं अनुसूची: संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं- असमिया, बांगला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।
- अनुच्छेद 344(1): संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये हिंदी के प्रगामी प्रयोग हेतु संविधान के प्रारंभ से पाँच वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 351: इसका उद्देश्य हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना, उसका विकास करना ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सब तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके, संघ का कर्त्तव्य है।
22 भाषाओं में से केवल 14 को ही प्रारंभ में आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। |