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सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम (AFSPA)

Wed 25 Sep, 2024

संदर्भ

  • जातीय हिंसा जारी रहने के कारण, केंद्र और मणिपुर सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम (AFSPA) के दायरे की समीक्षा करने का निर्णय लिया है।
  • मणिपुर में AFSPA का आवधिक छह महीने का विस्तार 30 सितंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है।

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम (AFSPA):

  • यह अधिनियम सुरक्षा बलों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां विद्रोह या अशांति की स्थिति होती है।
  • पूर्व नाम: इसे सशस्त्र बल (असम और मणिपुर) विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 के रूप में जाना जाता था।
  • नगाओं के विद्रोह से निपटने के लिये यह कानून पहली बार वर्ष 1958 में लागू हुआ था।
  • वर्तमान में AFSPA असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है।

AFSPA के तहत सशस्त्र बलों के अधिकारों में मुख्यतः शामिल हैं:

  • किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार: AFSPA के तहत सुरक्षा बल किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं, अगर उन्हें संदेह है कि वह किसी अपराध में शामिल है।
  • किसी भी इमारत या जगह की तलाशी लेने का अधिकार: सुरक्षा बल बिना किसी न्यायिक आदेश के किसी भी इमारत या जगह की तलाशी ले सकते हैं।
  • शक के आधार पर किसी को गोली मारने का अधिकार: अगर कोई व्यक्ति सुरक्षा बलों को खतरा लगता है, तो उन्हें गोली मारी जा सकती है।

विवाद:

AFSPA को लेकर मुख्य रूप से दो तरह के विवाद होते हैं:

  • मानवाधिकारों का उल्लंघन: कई लोगों का मानना है कि AFSPA के तहत दिए गए अधिकारों का अक्सर दुरुपयोग होता है और यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।
  • स्वायत्तता का हनन: AFSPA को अक्सर राज्य सरकारों की स्वायत्तता पर एक हमला माना जाता है।

जीवन रेड्डी समिति, 2004 सिफारिशें: 

  • AFSPA को निरस्त किया जाना चाहिये और गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में उचित प्रावधान शामिल किये जाने चाहिये।
  • सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बलों की शक्तियों को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करने हेतु गैर-कानूनी गतिविधि अधिनियम को संशोधित किया जाना चाहिये।

दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (Administrative Reforms Commission - ARC) की 5वीं रिपोर्ट में भी AFSPA को निरस्त करने की सिफारिश की गई।

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