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पीएम सूर्य घर — मुफ़्त बिजली योजना

Fri 13 Sep, 2024

  • हाल ही में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 'पीएम सूर्य घर- मुफ़्त बिजली योजना' के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता और भुगतान सुरक्षा तंत्र के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं ।

मसौदा दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं:

योजना मॉडल:

  • अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (RESCO) मॉडल: RESCO उपभोक्ता की संपत्ति पर छत पर सौर प्रणाली विकसित करेगी और कम से कम पांच साल तक उसका स्वामित्व रखेगी। उपभोक्ता उत्पादित बिजली के लिए भुगतान करते हैं, जबकि RESCO परिचालन व्यय और रखरखाव का प्रबंधन करता है। RESCO वितरण कंपनियों (DISCOM) के साथ समझौतों के माध्यम से ग्रिड को अतिरिक्त बिजली भी बेच सकते हैं।
  • उपयोगिता आधारित परिसंपत्ति (यूएलए) मॉडल: इसमें, राज्य डिस्कॉम न्यूनतम पांच वर्षों के लिए सौर प्रणालियों का स्वामित्व रखता है, तथा उसके बाद स्वामित्व घरों को हस्तांतरित कर देता है।
  • केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA): यह योजना ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने वाले परिवारों को सब्सिडी प्रदान करती है, जिसमें छतों, बालकनियों और ऊंचे ढांचों तक पात्रता शामिल है। हालांकि, पहले से मौजूद सोलर सिस्टम वाले घरों को इस योजना से बाहर रखा गया है।
  • भुगतान सुरक्षा तंत्र: योजना के तहत परियोजनाओं के लिए भुगतान सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए 100 करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया जाएगा।

पीएम सूर्य घर— मुफ़्त बिजली योजना  के उद्देश्य:

  • प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है। इससे देश की सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ेगी, कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में हरित ऊर्जा अपनाने को प्रोत्साहन मिलेगा।

कार्यान्वयन तंत्र:

  • राष्ट्रीय स्तर: राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) द्वारा प्रबंधित।
  • राज्य स्तर: राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIAs) द्वारा प्रबंधित, मुख्य रूप से डिस्कॉम या विद्युत/ऊर्जा विभाग।

सब्सिडी संरचना:

  • क्षमता तक के सौर ऊर्जा प्रणालियों के लिए 60% सब्सिडी ।
  • 2 किलोवाट से 3 किलोवाट क्षमता के बीच प्रणालियों के लिए 40% सब्सिडी ।

अतिरिक्त सुविधाओं:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में आदर्श सौर गांवों का विकास ।
  • शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को प्रोत्साहन ।

अपेक्षित लाभ:

  • आर्थिक लाभ: घरों में बिजली के बिलों में बचत होगी और उन्हें DISCOMs को अधिशेष बिजली बेचने का अवसर मिलेगा। 3 kW सिस्टम प्रति माह 300 यूनिट से अधिक बिजली पैदा कर सकता है।
  • सौर क्षमता वृद्धि: इस योजना से छतों पर सौर ऊर्जा स्थापित करने के माध्यम से 30 गीगावाट सौर क्षमता जुड़ने की उम्मीद है , जिससे 25 वर्षों में 1,000 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: इस पहल से CO2 उत्सर्जन में 720 मिलियन टन की कमी आएगी , जिससे भारत के पर्यावरणीय स्थिरता लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा।
  • रोजगार सृजन: विनिर्माण, बिक्री और परिचालन सहित विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 17 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।

कार्यान्वयन चुनौतियाँ:

  • घरेलू अनिच्छा: हो सकता है की राज्य सरकारें अपने राज्यों मुफ्त बिजली का प्रावधान कर लोगों में सौर पैनल लगाने  में अनिच्छा लायें।
  • स्थान की कमी: सीमित स्थान या असमान सतहों वाले घरों में स्थापना में कठिनाइयां आती हैं।
  • डिस्कॉम्स पर परिचालन संबंधी दबाव: वर्तमान नेट मीटरिंग प्रणाली डिस्कॉम्स पर वित्तीय बोझ डाल सकती है, क्योंकि वे दिन में ऊर्जा उत्पन्न करने वाले तथा रात में ग्रिड से ऊर्जा प्राप्त करने वाले गृहस्वामियों के लिए अवैतनिक भंडारण बन जाते हैं।
  • भंडारण एकीकरण: अनिवार्य भंडारण प्रणालियों की कमी से ग्रिड प्रबंधन संबंधी चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे "डक कर्व", जो बिजली की मांग में उतार-चढ़ाव के कारण उत्पन्न होता है।

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल:

पहल प्रारंभ वर्ष
एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड 2020
प्रधान मंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) 2017
राष्ट्रीय सौर मिशन 2010
किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) 2019
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) 2015

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