राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)
 
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राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)

Tue 03 Sep, 2024

संदर्भ

  • न्याय विभाग द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2024 में विभिन्न उच्च न्यायालयों में 60 लाख मामले लंबित रही, जबकि 30% सीटें रिक्त रह गयी।
  • न्यायाधीशों की नियुक्ति की समस्या, जो लंबित मामलों की समस्या से जुड़ी है, भारत में हमेशा बहस का विषय रही है। यह तब और बढ़ गया जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 और 99वें संविधान संशोधन, 2014 को असंवैधानिक करार दिया था।  

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)

  • इसे संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 द्वारा पारित किया गया था।
  • इसमें कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक स्वतंत्र आयोग के गठन का भी प्रावधान किया गया।

संरचना:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (अध्यक्ष)
  • सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश
  • केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश, भारत के प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता की समिति द्वारा नामित किए जाने वाले दो अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति
  • लेकिन वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने चौथे न्यायाधीश मामले में इस अधिनियम को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित होगी, इसलिए पुरानी कॉलेजियम प्रणाली को फिर बहाल कर दिया गया।

उच्चतम न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट

  • संविधान का भाग 5 (अनुच्छेद 124 से अनुच्छेद 147 तक): उच्चतम न्यायालय के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियाँ, प्रक्रिया आदि का उल्लेख है।
  • अनुच्छेद 124: 1950 के मूल संविधान में 1 मुख्य न्यायाधीश और 7 उप-न्यायाधीशों के साथ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई थी।
  • न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या: भारत के मुख्य न्यायाधीश और 33 अन्य न्यायाधीश

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में दो प्रकार की पीठें/बेंच हैं: खंडपीठ और संवैधानिक पीठ

  • खंडपीठ: इन पीठों में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सहित अन्य 2 या 3 न्यायाधीश होते हैं।
  • संवैधानिक पीठ: इन पीठों में पाँच या अधिक न्यायाधीश होते हैं, और कानून के मौलिक प्रश्नों को निपटाने के लिए गठित किये जाते हैं।
  • अब तक की सबसे बड़ी बेंच: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला, 1973 (13 जज शामिल थे।)

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