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प्रोजेक्ट चीता

Mon 02 Sep, 2024

संदर्भ

  • हाल ही में मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रिय उद्यान में बाड़ों के बाहर घूम रहे पवन नामक चीता (प्रोजेक्ट चीता के तहत लाया गया) की डूबने से मौत हो गयी।
  • वन अधिकारियों को यह आशंका है कि उसे जहर दिया गया होगा, क्योंकि पिछले दिनों ही चीता को चंबल नदी में तैरते हुए देखा गया था

क्या है प्रोजेक्ट चीता (चीता पुनर्वास परियोजना)?

  • भारत में चीतों की विलुप्त हो चुकी प्रजाति को फिर से बसाने के लिए, 17 सितंबर, 2022 को 'चीता पुनर्वास परियोजना' की शुरुआत की गई।
  • इस परियोजना के तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में लाया गया है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), मध्य प्रदेश वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) इस परियोजना को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों के सहयोग से चला रहे हैं।

यह प्रोजेक्ट/परियोजना क्यों महत्वपूर्ण है?

  • चीता एक प्रमुख मांसाहारी प्रजाति है, जिसका अर्थ है कि वे अपने पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • इस परियोजना का लक्ष्य भारत के वन्य जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बहाल करना है। 
  • यह प्रयास वैश्विक स्तर पर वन्य जीवन संरक्षण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है।

प्रोजेक्ट चीता की चुनौतियाँ:

  • अनुकूलन: दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से आए चीतों को भारतीय जलवायु और पारिस्थितिक तंत्र में ढालना एक बड़ी चुनौती है।
  • रोग: नए वातावरण में बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • शिकार की उपलब्धता: कुनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध कराना भी एक सतत चुनौती है।
  • आवास: कुनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए पर्याप्त और उपयुक्त आवास उपलब्ध कराना आवश्यक है।
  • मानवीय गतिविधियाँ: उद्यान के आसपास मानवीय गतिविधियाँ, जैसे कि शिकार और चराई, चीतों के लिए खतरा पैदा करती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और वर्षा में परिवर्तन चीतों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

भारत में चीता विलुप्त क्यों हो गए?

  • अत्यधिक शिकार: 19वीं और 20वीं शताब्दी में चीतों का बड़े पैमाने पर शिकार किया जाता था। शिकारियों को उनकी खाल, फर और खेल के शिकार के रूप में चीता पसंद था।
  • प्राकृतिक आवास का नुकसान: बढ़ती मानवीय आबादी और कृषि के विस्तार के कारण चीतों का प्राकृतिक आवास लगातार कम होता गया। जंगलों को साफ करके खेतों और बस्तियों में तब्दील किया गया।
  • शिकार की कमी: चीतों के शिकार, जैसे कि हिरण, की संख्या में कमी आई, जिससे चीतों के लिए भोजन की उपलब्धता कम हो गई।
  • रोग: कई बार चीतों को बीमारियों ने भी प्रभावित किया, जिससे उनकी आबादी में कमी आई।
  • अन्य जानवरों के साथ प्रतिस्पर्धा: चीतों को अन्य शिकारियों, जैसे कि तेंदुए और भेड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी, जिससे उनके लिए भोजन और क्षेत्र के लिए संघर्ष करना पड़ा।

चीता (वैज्ञानिक नाम - एसिनोनिक्स जुबेटस/Acinonyx Jubatus)

अफ्रीकी चीता:

  • आवास: मुख्यतः अफ्रीकी सवाना के मैदानों में पाए जाते हैं। 
  • दक्षिणी अफ्रीका इनका क्षेत्रीय गढ़ कहा जाता है। 
  • IUCN संरक्षण स्थिति: "सुभेद्य" (Vulnerable)  

एशियाई चीता:

  •  ये हलके पिले रंग के होते हैं। 
  • आवास: ईरान गणराज्य 
  • IUCN संरक्षण स्थिति: गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति (Critically Endangered)

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA): 

  • यह भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है। 
  • गठन: 1973, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत 
  • मुख्य उद्देश्य: देश में बाघों की घटती संख्या को रोकना और उनकी आबादी में वृद्धि करना है।
  • भारत में 1947 में अंतिम दर्ज चीता को मार दिया गया था, और 1952 तक, उन्हें आधिकारिक तौर पर देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
  • मार्च 2024 तक भारत के मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में, दक्षिण अफ्रीकी चीता गामिनी के पांच शावकों के जन्म के साथ ही, भारत में जन्मे चीतों की आबादी 13 तक पहुँच गई। शावकों सहित कुल चीतों की आबादी अब 25 हो गई है, जो भारत की संरक्षण परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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