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चांदीपुरा वायरस (CHPV)

Fri 30 Aug, 2024

संदर्भ

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में भारत में चांदीपुरा वायरस के वर्तमान प्रकोप को 20 वर्षों में सबसे बड़ा बताया है। 

मुख्य बिंदु:

  • वर्तमान में भारत भर के 43 जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के मामले सामने आ रहे हैं।
  • इनमें से 64 चांदीपुरा वायरस (CHPV) संक्रमण के पुष्ट मामले हैं।

चांदीपुरा वायरस क्या है?

  • चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus या CHPV) एक दुर्लभ और खतरनाक वायरस है जो मुख्यतः मच्छरों के काटने से फैलता है। 
  • यह वायरस पहली बार भारत के चांदीपुरा क्षेत्र (ओड़िशा राज्य) में पाया गया था, इसलिए इसका नाम ‘चांदीपुरा वायरस’ पड़ा। 
  • यह वायरस मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।

चांदीपुरा वायरस के लक्षणों में शामिल हैं:

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • उल्टी
  • दस्त
  • मांसपेशियों में दर्द
  • सुस्ती
  • दौरे
  • मस्तिष्क ज्वर

उपचार और टीका

  • अभी तक चांदीपुरा वायरस के लिए कोई विशिष्ट उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है। 
  • उपचार: मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने पर केंद्रित होता है। 
  • गंभीर मामलों में, रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है और उन्हें सघन देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES)

  • AES एक गंभीर स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क की सूजन होती है। 
  • कारण: यह विभिन्न वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी और अन्य कारकों के कारण हो सकता है। 
  • AES का सबसे आम कारण जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है।

CHPV की पहली बार पहचान: वर्ष 1965 में डेंगू के प्रकोप के दौरान महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में इसकी सबसे पहली बार पहचान की गयी थी।

सबसे अधिक संक्रमण: जहाँ सैंड फ्लाई की आबादी अधिक है।

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