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लद्दाख

Thu 29 Aug, 2024

संदर्भ

  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र-शासित प्रदेश (UT) लद्दाख में 5 नए जिले बनाने की घोषणा की। 
  • नए जिले: ज़ांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग 
  • 5 अगस्त, 2019 को पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। 

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019:

  • अधिनियम के माध्यम से अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त कर दिया गया।
  • जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया:
    • जम्मू और कश्मीर: इस केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा होगी, जो इसे कुछ स्वायत्तता प्रदान करेगी।
    • लद्दाख: यह केंद्र शासित प्रदेश पूरी तरह से केंद्र शासित होगा और इसमें कोई विधानसभा नहीं होगी।

 अनुच्छेद 370 क्या था?

  • विशेष दर्जा: अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग करता था। इस अनुच्छेद के तहत, जम्मू और कश्मीर का अपना संविधान था और केंद्र सरकार के कई कानून इस राज्य पर लागू नहीं होते थे।
  • स्वायत्तता: यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता था। राज्य सरकार अपने स्वयं के कानून बना सकती थी और केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से स्वतंत्र थी।
  • विवाद का विषय: अनुच्छेद 370 हमेशा से विवाद का विषय रहा है। कुछ लोगों का मानना था कि इस अनुच्छेद के कारण जम्मू और कश्मीर में अलगाववाद बढ़ रहा है, जबकि अन्य लोगों का मानना था कि यह अनुच्छेद राज्य की विशिष्ट पहचान को बचाने के लिए आवश्यक है।

अनुच्छेद 35A क्या था?

  • स्थायी निवासियों के अधिकार: अनुच्छेद 35A जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करता था। केवल स्थायी निवासी ही राज्य में संपत्ति खरीद सकते थे, सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते थे और राज्य के विधानसभा चुनावों में भाग ले सकते थे।
  • बाहरी लोगों पर प्रतिबंध: यह अनुच्छेद बाहरी लोगों को राज्य में संपत्ति खरीदने या सरकारी नौकरी प्राप्त करने से रोकता था।

पुनर्गठन के पीछे के कारण:

  • विशेष दर्जा का अंत: जम्मू और कश्मीर को भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त था। इस विशेष दर्जे के कारण केंद्र सरकार के कई कानून जम्मू और कश्मीर पर लागू नहीं होते थे। इस पुनर्गठन के साथ, यह विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया।
  • विकास में तेजी लाना: सरकार का मानना था कि विशेष दर्जे के कारण जम्मू और कश्मीर में विकास बाधित हो रहा था। इस पुनर्गठन के माध्यम से, केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर में विकास कार्यों को गति देने में सक्षम होगी।
  • क्षेत्रवाद को कम करना: जम्मू और कश्मीर में क्षेत्रवाद की समस्या लंबे समय से चली आ रही थी। सरकार का मानना था कि इस पुनर्गठन से क्षेत्रवाद की समस्या कम होगी।

पुनर्गठन के प्रभाव:

  • राजनीतिक परिवर्तन: इस पुनर्गठन ने जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है।
  • विकास में तेजी: सरकार ने जम्मू और कश्मीर में कई विकास परियोजनाएं शुरू की हैं।
  • सुरक्षा स्थिति में सुधार: सरकार का दावा है कि इस पुनर्गठन के बाद जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है।

लद्दाख की हालिया प्रमुख मांगें:

  • राज्य का दर्जा: लद्दाख के लोग चाहते हैं कि उन्हें केंद्र शासित प्रदेश के बजाय एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। इससे उन्हें अधिक स्वायत्तता मिलेगी और स्थानीय मुद्दों पर अधिक नियंत्रण होगा।
  • छठी अनुसूची में शामिल होना: लद्दाख की जनजातियाँ संविधान की छठी अनुसूची में शामिल होने की मांग कर रही हैं। इससे उन्हें अपनी भूमि, संसाधनों और संस्कृति को बचाने में मदद मिलेगी। छठी अनुसूची में शामिल होने से लद्दाख में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा मिलेगा और जनजातीय समुदायों को अधिकार मिलेंगे।
छठी अनुसूची: उत्तर-पूर्व के चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित

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