10 January, 2025
रीयूजेबल हाइब्रिड रॉकेट- ‘RHUMI-1’
Mon 26 Aug, 2024
संदर्भ
तमिलनाडु स्थित स्टार्टअप 'स्पेस ज़ोन इंडिया' ने 24 अगस्त, 2024 को 'RHUMI-2024 मिशन' के तहत अपना प्रथम पुन: प्रयोज्य (reusable) हाइब्रिड रॉकेट 'RHUMI-1' का प्रक्षेपण किया।
मुख्य बिंदु
- यह हाइब्रिड रॉकेट का विश्व का पहला मोबाइल प्रक्षेपण था।
- प्रक्षेपण स्थल: थिरुविदंतई (चेन्नई के पास ईस्ट कोस्ट रोड से)
RHUMI-1
- एक सामान्य ईंधन आधारित हाइब्रिड मोटर और विद्युत चालित पैराशूट डिप्लॉयर।
- लंबाई: यह 3.5 मीटर लंबा रॉकेट है।
- नाम: RHUMI का नाम स्पेस ज़ोन इंडिया के संस्थापक और सीईओ आनंद मेगालिंगम के बेटे रूमिथरन के नाम पर रखा गया है।
- विकास एवं डिज़ाइन: स्पेस ज़ोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप द्वारा
- पेलोड: 3 क्यूब सैटेलाइट और 50 PICO सैटेलाइट
- PICO सैटेलाइट: इन उपग्रहों को विभिन्न वायुमंडलीय पहलुओं जैसे एक्सेलेरोमीटर रीडिंग, ऊंचाई और ओजोन स्तर का अध्ययन करने के लिए भेजा गया है, ताकि पर्यावरणीय गतिशीलता को समझा जा सके।
मुख्य विशेषताएँ:
- समायोज्य लॉन्च कोण (Adjustable Launch Angle): रॉकेट को 0 से 120 डिग्री तक सटीक रूप से समायोजित किया जा सकता है, जिससे इसके प्रक्षेप पथ (trajectory) पर सावधानीपूर्वक नियंत्रण किया जा सकता है।
- शैक्षिक प्रभाव: भारत के छात्रों और सरकारी स्कूलों ने रॉकेट और उपग्रह प्रौद्योगिकी पर मुफ्त कार्यशालाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया है।
- CO2-ट्रिगर्ड पैराशूट सिस्टम: एक अभिनव, लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल पैराशूट सिस्टम रॉकेट के घटकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
- अंतरिक्ष अन्वेषण से परे अनुप्रयोग: इसका अनुप्रयोग अंतरिक्ष अन्वेषण के अलावा कृषि, पर्यावरण निगरानी और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों के लिए किया जा सकता है।
ISRO का 'RLV (Reusable Launch Vehicle) प्रोजेक्ट'
यह इसरो का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रा को अधिक किफायती बनाने के साथ-साथ भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक विश्व प्रणेता के रूप में स्थापित करना है।
RLV प्रोजेक्ट के चरण:
- RLV-TD: इस चरण में, RLV के हाइपरसोनिक वायुगतिकीय विशेषताओं का मूल्यांकन किया गया।
- RLV-LEX: इस चरण में, RLV के उड़ान परीक्षण किए गए।
- RLV- टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर: इस चरण में, RLV के विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
RLV प्रोजेक्ट का महत्व:
- लागत में कमी: वर्तमान में, रॉकेटों का एक बार उपयोग के बाद निस्तारण कर दिया जाता है, जिससे अंतरिक्ष मिशन काफी महंगे हो जाते हैं। RLV प्रोजेक्ट के तहत विकसित किए जा रहे यान को कई बार इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे अंतरिक्ष मिशनों की लागत में काफी कमी आएगी।
- अंतरिक्ष में भारत की पहुंच: RLV प्रोजेक्ट के सफल होने से भारत अंतरिक्ष में अधिक बार और अधिक किफायती तरीके से पहुंच सकता है।
- नई तकनीकों का विकास: इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत कई नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है, जैसे कि हाइपरसोनिक उड़ान, स्वायत्त नेविगेशन, और थर्मल सुरक्षा।
नासा का 'स्पेस शटल' दुनिया का पहला पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष यान था, जो बड़े उपग्रहों को कक्षा में ले जा सकता था और वापस सतह पर उतर सकता था। |