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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI)

Wed 21 Aug, 2024

संदर्भ

  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने 8.5 अरब डॉलर के डिज्नी और रिलायंस विलय के बारे में चिंता जाहिर की है, कि इससे प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचेगा।

मुख्य बिंदु

  • CCI की मुख्य चिंता क्रिकेट प्रसारण के विशेष अधिकारों को लेकर है।
  • डिज़नी-रिलायंस के पास टीवी और स्ट्रीमिंग क्षेत्र में विज्ञापन बाज़ार का 40% हिस्सा होगा।
  • CCI के अनुसार, यह विलय लाइव इवेंट के दौरान विज्ञापनदाताओं के लिए दरें बढ़ा सकती है।
  • Zee और सोनी के 10 बिलियन डॉलर के विलय के खिलाफ़ 2022 में CCI द्वारा इसी तरह की चेतावनी नोटिस के कारण, Zee-सोनी विलय विफल हो गया था।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग: एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय (Quasi-Judicial Body)

  • भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है। यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002) के प्रवर्तन के लिये उत्तरदायी है।
  • मुख्य उद्देश्य: देश में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना 

CCI की स्थापना और उद्देश्य

  • स्थापना: CCI की स्थापना 14 अक्टूबर 2003 को हुई थी, लेकिन 20 मई 2009 से पूरी तरह से कार्य करना शुरू हुआ।

उद्देश्य:

  • स्वस्थ प्रतिस्पर्धा: CCI का मुख्य उद्देश्य बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
  • उपभोक्ताओं का हित: CCI यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक विकल्प मिलें और उन्हें गुणवत्तापूर्ण उत्पादों और सेवाओं पर उचित मूल्य का भुगतान करना पड़े।
  • अन्यायपूर्ण व्यापार प्रथाओं को रोकना: CCI उन व्यापारिक गतिविधियों पर नजर रखता है जो प्रतिस्पर्धा को कम करती हैं या उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाती हैं।
  • विलय और अधिग्रहण का मूल्यांकन: जब दो या दो से अधिक कंपनियां आपस में मिलती हैं, तो CCI यह जांच करता है कि इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा कम तो नहीं होगी।

संरचना

  • एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • वर्तमान में एक अध्यक्ष और दो सदस्यों के साथ कार्यरत है।

CCI के प्रमुख कार्य व अधिकार

  • शिकायतों की जांच: उपभोक्ता या अन्य कंपनियां यदि किसी कंपनी के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों की शिकायत करते हैं, तो CCI उसकी जांच करता है।
  • विलय और अधिग्रहण का अनुमोदन: जब दो या दो से अधिक कंपनियां आपस में मिलती हैं, तो CCI को उसका अनुमोदन लेना होता है।
  • जांच और छापेमारी: CCI अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों की जांच के लिए कंपनियों के कार्यालयों में छापेमारी कर सकता है।
  • सूचना मांगने का अधिकार: CCI किसी भी कंपनी से सूचना, दस्तावेज या रिकॉर्ड मांग सकता है। कंपनियों को CCI को यह जानकारी उपलब्ध करानी होती है।
  • जुर्माना: CCI अपनी जांच के आधार पर निर्णय लेता है और दोषी कंपनियों पर जुर्माना लगा सकता है या अन्य कार्रवाई कर सकता है।
राघवन समिति की अनुशंसा पर एकाधिकार तथा अवरोधक व्यापार व्यवहार. अधिनियम, 1969 (Monopolies and Restrictive Trade Practices Act- MRTP Act) को निरस्त कर इसके स्थान पर प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 लाया गया।

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