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समान नागरिक संहिता

Fri 16 Aug, 2024

संदर्भ

  • लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस (78वां स्वतंत्रता दिवस) पर राष्ट्र के नाम अपने 11वें संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'समान नागरिक संहिता' की बात की।
  • प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता (UCC) के विचार को “धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता” के रूप में पुनः परिभाषित करने की बात की।

समान नागरिक संहिता (UCC) क्या है?

  • समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का होना। यह कानून धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव किए बिना सभी पर लागू होगा। 
  • वर्तमान में, भारत में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेना जैसे व्यक्तिगत मामलों के लिए अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून हैं। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य इन सभी कानूनों को एक समान कानून में बदलना है।

संविधान में उल्लेख

  • भाग 4 (अनुच्छेद 44): भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अंतर्गत समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।

समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों है?

  • लैंगिक समानता: समान नागरिक संहिता महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा दे सकती है और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार प्रदान कर सकती है।
  • धार्मिक कट्टरवाद से मुक्ति: एक समान कानून धार्मिक कट्टरवाद को कम करने में मदद कर सकता है और सभी नागरिकों के लिए समान न्याय सुनिश्चित कर सकता है।
  • राष्ट्रीय एकता: एक समान कानून राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दे सकता है और देश में सामाजिक सद्भाव को बढ़ा सकता है।
  • आधुनिक भारत की जरूरत: एक समान नागरिक संहिता आधुनिक भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप होगी और देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद करेगी।

विवाद और चुनौतियां

  • समान नागरिक संहिता एक विवादास्पद मुद्दा है। कुछ लोग इसे देश की एकता और समानता के लिए आवश्यक मानते हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन मानते हैं। इसके अलावा, इस तरह के एक व्यापक कानून को लागू करने में कई चुनौतियां हैं, जैसे कि विभिन्न धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों को समायोजित करना।

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