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विशेषाधिकार प्रस्ताव

Sat 03 Aug, 2024

संदर्भ

  • भारतीय राष्ट्रीय राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सदन को गुमराह करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया है।

विशेषाधिकार प्रस्ताव (Privilege Motion) 

  • यह एक महत्वपूर्ण संसदीय प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल सांसदों द्वारा सदन के किसी सदस्य या समिति के खिलाफ विशेषाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने के लिए किया जाता है।
  • यह प्रस्ताव किसी सदस्य द्वारा तब पेश किया जाता है, जब उसे लगता है कि मंत्री ने सही तथ्यों को प्रकट नहीं किया या गलत सूचना देकर सदन या सदन के एक या अधिक सदस्यों के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया गया है।
  • इसका उद्देश्य एक प्रकार से निंदा करना होता है।

संसदीय विशेषाधिकार

  • संसद के सदस्यों को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से मिलने वाले कुछ अधिकार और छूट को संदर्भित करता है।
  • अनुच्छेद 105: दो विशेषाधिकारों का उल्लेख है, अर्थात् 'संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' और इसकी 'कार्यवाही के प्रकाशन' का अधिकार।
  • अनुच्छेद 194: यह राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों को समान विशेषाधिकार की गारंटी देता है।
  • ये अधिकार, संसद के सदस्यों को उनके कामकाज में आने वाली बाधाओं से सुरक्षा देते हैं और उनकी गरिमा, अधिकार और सम्मान को बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • संसदीय विशेषाधिकार, देश के कानून का हिस्सा होते हुए भी सामान्य कानून से कुछ छूट देते हैं।
  • विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षा की अवहेलना करने या उस पर हमला करने को विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाता है और यह दंडनीय है।
  • संसदीय विशेषाधिकार राष्ट्रपति को नहीं मिलते जो संसद का अभिन्न अंग भी है, बल्कि संविधान का अनुच्छेद 361 राष्ट्रपति को विशेषाधिकार प्रदान करता है।

विशेषाधिकार समिति

  • यह एक स्थायी समिति होता है। यह समिति सदन और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जाँच करती है तथा उचित कार्रवाई की सिफारिश भी करती है।
  • लोकसभा समिति में 15 सदस्य होते हैं, जबकि राज्यसभा समिति में 10 सदस्य होते हैं।

संसदीय विशेषाधिकार और संबंधित मामले

 

 

 

पी.वी. नरसिम्हा राव बनाम राज्य मामला, 1998

इस मामले ने सांसदों और विधान सभा सदस्यों (विधायकों) को रिश्वतखोरी के मामलों में अभियोजन के खिलाफ उन्मुक्ति स्थापित की।

बाद में 2024 में, इसी निर्णय को पलट कर सर्वोच्च न्यायलय द्वारा यह निर्णय लिया गया कि संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के तहत प्रदान की गई उन्मुक्ति रिश्वतखोरी के मामलों में लागू नहीं होती है।

 

केरल राज्य बनाम के. अजित एवं अन्य 2021

संसदीय विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां, देश के आम कानून से छूट का दावा करने का रास्ता नहीं हैं, खास तौर पर, आपराधिक कानून के मामले में।

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