28 May, 2025
धन विधेयक
Fri 02 Aug, 2024
संदर्भ
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की सात न्यायाधीशों की पीठ धन विधेयक की रूपरेखा से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों पर दलीलें सुनेगी, जिसके तहत न्यायालय के अंतिम निर्णय का प्रभाव हाल के वर्षों में राज्य सभा की मंजूरी के बिना पास किये गए अनेक कानूनों पर पड़ेगा।
धन विधेयक (Money Bill)
- धन विधेयक को अनुच्छेद 110 के तहत परिभाषित किया गया है।
- किस विधेयक को धन विधेयक कहना है और किस विधेयक को नहीं यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
- इस मामले में लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम निर्णय होता है।
- उनके निर्णय को किसी न्यायालय, संसद या राष्ट्रपति द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- इस विधेयक को केवल लोकसभा में ही राष्ट्रपति की सिफ़ारिश के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है।
- इसे केवल मंत्री ही प्रस्तुत कर सकता है।
धन विधेयक से संबंधित राज्यसभा की शक्तियां:
- धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा की शक्ति काफी सीमित है। दूसरी ओर साधारण विधेयकों के मामले में दोनों सदनों को समान शक्ति प्रदान की गई है।
- राज्यसभा धन विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित नहीं कर सकती है। यह केवल सिफ़ारिश कर सकती है।
- लोकसभा के लिए यह आवश्यक नहीं होता है, कि वह राज्यसभा की सिफ़ारिशों को स्वीकार ही करें।
- इसके साथ ही 14 दिन के भीतर राज्यसभा को इस पर स्वीकृति देनी होती है अन्यथा वह राज्यसभा द्वारा पारित समझा जाता है।
धन विधेयक से संबंधित राष्ट्रपति की शक्तियां:
- धन विधेयक को राष्ट्रपति को प्रस्तुत करने पर या तो वह इस पर अपनी स्वीकृति दे सकता है या फिर इसे रोककर रख सकता है लेकिन वह किसी भी दशा में इसे पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेज सकता है।
- ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि लोकसभा में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपति की सहमति ली जाती है।
अनुच्छेद 110 के अनुसार कोई विधेयक तभी धन विधेयक माना जाएगा, जब-
- विधेयक में किसी कर का अधिरोपन (Imposition), उत्सादन (Cancellation), परिहार (Avoidance), परिवर्तन या विनियमन (Regulation) होता हो।
- किसी विधेयक में, भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि में से धन जमा करने या उसमें से धन निकालने से संबन्धित प्रावधान हो।
- विधेयक भारत की संचित निधि से धन के विनियोग से संबन्धित हो।
- विधेयक भारत की संचित निधि या लोक लेखा में किसी प्रकार के धन की प्राप्ति या इनसे व्यय या इनका केंद्र या राज्य की निधियों के लेखा परीक्षण से संबन्धित हो।