10 January, 2025
अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण
Thu 01 Aug, 2024
- सामाजिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच (6-1 से) ने माना कि अनुसूचित जातियों (SC/ST) का उप-वर्गीकरण अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े लोगों को अलग से कोटा देने के लिए अनुमति है।
पृष्ठभूमि
- अनुच्छेद 341(1) के तहत भारत के राष्ट्रपति किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में कुछ समूहों को आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जाति के रूप में नामित कर सकते हैं।
- राज्यों के लिए अनुसूचित जातियों का उक्त नामकरण राज्यपाल के परामर्श से किया जाना चाहिए और फिर सार्वजनिक रूप से अधिसूचित किया जाना चाहिए।
- यह नामकरण जातियों, नस्लों, जनजातियों या उनके उप-समूहों की श्रेणियों के बीच किया जा सकता है। इसमें आगे कहा गया कि संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II (राज्य लोक सेवा; राज्य लोक सेवा आयोग) की प्रविष्टि 41 या सूची III (शिक्षा) की प्रविष्टि 25 से संबंधित कोई भी ऐसा कानून संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।
निर्णय के प्रमुख बिंदु
उप-वर्गीकरण की अनुमतता:
- न्यायालय ने बल दिया कि ऐसा उप-वर्गीकरण उन उप-श्रेणियों की अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को दर्शाने वाले अनुभवजन्य डेटा पर आधारित होना चाहिए।
शर्तें और सीमाएं:
- फैसले में स्पष्ट किया गया कि उप-वर्गीकरण की अनुमति होने के बावजूद, राज्य SCs के किसी विशेष उप-वर्ग के लिए 100% आरक्षण नहीं दे सकता। SC श्रेणी के पूरे वर्ग में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए संतुलन होना चाहिए।
- राज्य को उप-वर्गीकरण को उचित ठहराने के लिए अनुभवजन्य डेटा और साक्ष्य प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी, जो ये दर्शायें SCs के किसी विशेष उप-वर्ग का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है और उसे अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता है।
ई.वी. चिन्नैया फैसले का खंडन:
- पीठ ने 2004 के ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले के फैसले को खारिज कर दिया, जिसने कहा था कि अनुच्छेद 341 के तहत अधिसूचित SCs एक समरूप समूह बनाते हैं और उन्हें आगे उप-श्रेणीकृत नहीं किया जा सकता।
- बहुमत के विचार में, जिसमें छह सहमतिपूर्ण निर्णय शामिल हैं, आरक्षण को एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया गया जो श्रेणी के भीतर की असमानताओं को संबोधित करता है।
विभाजनकारी राय:
- न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी अकेली असहमत न्यायाधीश थीं, जिन्होंने कहा कि अनुच्छेद 341 के तहत अधिसूचित अनुसूचित जातियों (SCs) की राष्ट्रपति सूची में राज्य द्वारा कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
- इनके अनुसार संसद द्वारा पारित कानून के द्वारा ही जातियों को राष्ट्रपति सूची में शामिल या बाहर किया जा सकता है। उप-वर्गीकरण राष्ट्रपति सूची में छेड़छाड़ के समान होगा। अनुच्छेद 341 का उद्देश्य SC/ST सूची में भूमिका निभाने वाले किसी भी राजनीतिक कारक को समाप्त करना था
निर्णय का आरक्षण पर प्रभाव
लक्षित सकारात्मक कार्रवाई:
- यह निर्णय अधिक लक्षित सकारात्मक कार्रवाई नीतियों की अनुमति देता है, जिससे राज्य SC श्रेणी के सबसे वंचित वर्गों को लाभ पहुंचा सकते हैं। यह आरक्षण नीति प्रभावशीलता को बढ़ा सकता है।
अनुभवजन्य डेटा की आवश्यकता:
- निर्णय ने उप-वर्गीकरण को उचित ठहराने में अनुभवजन्य डेटा के महत्व पर बल दिया। राज्यों को अब SCs को उप-वर्गीकृत करने के निर्णय का समर्थन करने के लिए विस्तृत अध्ययन और डेटा एकत्र करने की आवश्यकता होगी।
संतुलन कार्य:
- न्यायालय ने यह शर्त रखी कि किसी उप-वर्ग के लिए 100% आरक्षण की अनुमति नहीं है, यह सुनिश्चित करते हुए कि आरक्षण प्रणाली की समग्र निष्पक्षता बनी रहे। इससे SC श्रेणी के भीतर नई असमानताएं पैदा नहीं होंगी।
- अन्य प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के फैसले जो आरक्षण से संबंधित हैं
मामले का नाम | वर्ष | प्रभाव/महत्व |
मद्रास राज्य बनाम चंपकम दोरैराजन | 1951 | संविधान के पहले संशोधन का कारण बना, जिसमें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करने के लिए अनुच्छेद 15(4) जोड़ा गया। |
एम.आर. बालाजी बनाम मैसूर राज्य | 1963 | आरक्षण पर 50% की सीमा |
इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ | 1992 | "क्रीमी लेयर" अपवर्जन का प्रावधान |
ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य | 2005 | राज्यों को आरक्षण में SCs को उप-वर्गीकृत करने पर प्रतिबंध |
एम. नागराज बनाम भारत संघ | 2006 | दक्षता से समझौता नहीं |
अशोक कुमार ठाकुर बनाम भारत संघ | 2008 | शैक्षिक संस्थानों में OBC आरक्षण की पुष्टि |
जरनैल सिंह बनाम लछ्मी नारायण गुप्ता | 2018 | SC/ST आरक्षण में पदोन्नति की शर्तों को संशोधित किया। |
चेब्रोलु लीला प्रसाद राव बनाम आंध्र प्रदेश राज्य | 2020 | आरक्षण नीतियों को समानता के सिद्धांतों के साथ संतुलित करने के महत्व को उजागर किया। |
पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह | 2020 | SCs के भीतर उप-वर्गीकरण की पुनः मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू की। |