संविधान हत्या दिवस: 25 जून
 
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संविधान हत्या दिवस: 25 जून

Mon 15 Jul, 2024

संदर्भ

भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। 

  •  इसी दिन वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा आपातकाल की घोषणा की गयी थी।

आपातकाल संबंधी संवैधानिक प्रावधान

भारत के संविधान में भाग 18 के तहत अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन प्रावधानों की व्यवस्था की गयी है।

अनुच्छेद 352 इसके तहत युद्ध, बाह्य आक्रमण और सशस्त्र विद्रोह के दौरान आपातकाल लगाया जा सकता है। इस प्रकार के आपातकाल को राष्ट्रीय आपातकाल कहा जाता है।
अनुच्छेद 352 (3) के अनुसार राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की लिखित सिफ़ारिश पर ही राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
अनुच्छेद 356 जब राज्यों में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाये, तब भी आपातकाल लगाया जा सकता है। इस प्रकार के आपातकाल को ‘राष्ट्रपति शासन’ कहा जाता है। संविधान में ‘राष्ट्रपति शासन’ शब्द का जिक्र किया गया है।
अनुच्छेद 360 जब भारत की वित्तीय स्थायित्व अथवा साख खतरे में हो तो उस समय भी आपातकाल लगाया जा सकता है। इस प्रकार के आपातकाल को वित्तीय आपातकाल कहा जाता है।

भारत में आपातकाल 

  • प्रथम आपातकाल: भारत-चीन युद्ध के समय 26 अक्तूबर 1962 में लगाया गया था और 10 जनवरी 1968 को खत्म कर दिया गया।  
  • दूसरा आपातकाल: 3 दिसम्बर 1971 को  भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय लगाया गया था, जिसे इंदिरा गांधी ने लगाया था एवं उन्होने एक और नया आपातकाल (तीसरा आपातकाल) 25 जून 1975 को लागू कर दिया। इन दोनों आपातकालों को 21 मार्च 1977 को एक साथ खत्म किया गया था।
  • 1962 और 1971 के आपातकाल को बाह्य आक्रमण (External attack) के आधार पर लगाया गया था। जबकि, 1975 के आपातकाल को आंतरिक गड़बड़ी (Internal Disturbance) के आधार पर लगाया गया था जिससे यह विवाद का कारण भी बना।
  • इसी को ध्यान में रखते हुए 44वें संविधान संशोधन, 1978 में इसको बदलकर सशस्त्र विद्रोह (Armed revolt) कर दिया गया।
  • भारत में आज तक कभी भी वित्तीय आपातकाल नहीं लगाया गया है।

आपातकाल का मौलिक अधिकारों पर प्रभाव

  • अनुच्छेद 359 के अनुसार, अनुच्छेद 358 के तहत, अनुच्छेद 19 (वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) तो अपने आप ही निलंबित हो जाता है लेकिन अनुच्छेद 359 के तहत अगर राष्ट्रपति चाहे तो अनुच्छेद 20 (अपराधों के मामले में दोषसिद्धि से संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता) को छोड़कर किसी भी अन्य मूल अधिकारों को निलंबित कर सकता है।

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