20 November, 2024
भारत ने 'हाई सीज ट्रीटी' पर हस्ताक्षर करने और उसे अनुसमर्थित करने का निर्णय लिया
Tue 09 Jul, 2024
संदर्भ
- भारत ने 'हाई सीज ट्रीटी' पर हस्ताक्षर करने और उसे अनुमोदित करने का निर्णय लिया है, जिसकी पहुंच और प्रभाव के मामले में अक्सर 2015 के पेरिस समझौते से तुलना की जाती है।
मुख्य बिंदु
- यह महासागरों में जैव विविधता के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए एक वैश्विक समझौता है।
- अपेक्षित संख्या में देशों द्वारा इसका अनुमोदन किये जाने पर यह अंतर्राष्ट्रीय कानून बन जाएगा, जिससे यह UNCLOS के फ्रेमवर्क के तहत काम करेगा।
- यह संधि महासागरों के जैव-विविधता संपन्न क्षेत्रों में तनावग्रस्त समुद्री संरक्षित क्षेत्रों का सीमांकन करने में मदद करेगी।
संयुक्त राष्ट्र हाई सीज ट्रीटी
- अन्य नाम: राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता पर समझौता (BBNJ)
- प्रस्तावित: 2015 पेरिस समझौते के दौरान
- इस संधि को अंतर्राष्ट्रीय कानून बनाने के लिए कम से कम 60 देशों को अपना औपचारिक अनुसमर्थन प्रस्तुत करना आवश्यक है।
- 91 देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन उनमें से केवल आठ ने इसकी पुष्टि की है।
'हाई सीज़' क्या है?
- जिनेवा कन्वेंशन, 1958 के अनुसार, समुद्र के वे हिस्से जो किसी देश के प्रादेशिक जल या आंतरिक जल में शामिल नहीं हैं, उन्हें उच्च समुद्र के रूप में जाना जाता है।
- इन क्षेत्रों में पाए जाने वाले संसाधन, जो समुद्र की सतह का लगभग 64% हिस्सा का निर्माण करते हैं, किसी के भी द्वारा प्रयोग किये जा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS)
- अपनाया गया: वर्ष 1982 में
- इसे 'समुद्र के कानून' के नाम से भी जाना जाता है।
- यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है- आंतरिक जल, प्रादेशिक सागर, सन्निहित क्षेत्र, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और हाई सीज़
- COP15: प्रतिभागी देश 2030 तक 30% महासागरों की रक्षा करने पर सहमत हुए थे।
- विश्व महासागर दिवस: 8 जून