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CO2 उत्सर्जन : पशुधन कर

Wed 26 Jun, 2024

  • डेनमार्क ने वर्ष 2030 से पशुधन किसानों पर उनकी गायों, भेड़ों और सूअरों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के लिए कर लगाने की घोषणा की है। डेनमार्क ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है । 
  • यह कदम मीथेन उत्सर्जन के एक प्रमुख स्रोत को लक्षित करता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने वाली सबसे शक्तिशाली गैसों में से एक है।

मुख्य बिंदु

  • गौरतलब है कि डेनमार्क का उद्देश्य वर्ष  2030 तक देश के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 1990 के स्तर से 70% तक कम करना है।
  • वर्ष 2030 तक, डेनमार्क के पशुपालकों पर प्रति टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर 300 क्रोनर ($43) का कर लगाया जाएगा। 2035 तक यह कर बढ़कर 750 क्रोनर ($108) हो जाएगा।
  • स्टैटिस्टिक डेनमार्क के अनुसार, 30 जून, 2022 तक स्कैंडिनेवियाई देश में 1,484,377 गायें थीं, इनकी संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी गिरावट हुई है।
  • ध्यान देने योग्य बात है कि एक सामान्य डेनिश गाय प्रति वर्ष 6 मीट्रिक टन (6.6 टन) CO2 के बराबर उत्पादन करती है। ऐसे में डेनमार्क का यह कदम वैश्विक जलवायु परिवर्तन में कमी लाने में सहायक सिद्ध हो सकता है । 
  • हालांकि अब तक कार्बन डाइऑक्साइड को आमतौर पर जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार माना जाता है। फलतः इसके उत्सर्जन में कमी लाने हेतु प्रयास किया जाता रहा है। किन्तु अब मीथेन पर विभिन्न देशों का फोकस बढ़ा है। 

मीथेन उत्सर्जन 

  • लैंडफिल, तेल और प्राकृतिक गैस प्रणालियों और पशुधन सहित स्रोतों से उत्सर्जित होने वाली मीथेन का स्तर 2020 के बाद से विशेष रूप से तेज़ी से बढ़ा है। 
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का कहना है कि मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन में पशुधन का हिस्सा लगभग 32% है।

मीथेन के बारे में 

  • मीथेन एक सरल हाइड्रोकार्बन है, जिसमें एक कार्बन परमाणु और चार हाइड्रोजन परमाणु (CH4) होते हैं।इसका उपयोग दुनिया भर में ईंधन के रूप में किया जाता है।
  • यह एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस भी है। वैश्विक तापमान की वृद्धि में पिछले 20 साल के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक शक्तिशाली रही है।

मीथेन के स्रोत 

1.तेल और प्राकृतिक गैस प्रणालियाँ

2. कृषि गतिविधियाँ (धान के खेत )

3. कोयला खनन और 

4.अपशिष्ट 

4.आर्द्रभूमियाँ

5.पशुपालन (जुगाली करने वाले पशु )

6.दीमक की बाम्बी इत्यादि 

7.भूमि भराव और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र

8.उर्वरक कारखाने और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाएँ

प्रभाव

  • अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता
  • ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन के उत्पादन को बढ़ावा देता है।

मीथेन उत्सर्जन में कटौती के लिये प्रयास

भारत के प्रयास 

1. एंटी-मिथेनोजज़ेनिक फीड सप्लीमेंट 'हरित धारा' का विकास

2.भारत ग्रीनहाउस गैस कार्यक्रम

3.जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC)

4.भारत स्टेज-VI मानदंड

वैश्विक स्तर पर प्रयास

1.मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS)

2.वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा

3.ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव

4.मीथेनसैट 

मीथेन उत्सर्जन में कमी लाने हेतु किये जाने वाले उपाय

1.मीथेन-कैप्चरिंग तकनीकें:इसके माध्यम से पशुधन संचालन और लैंडफिल में मीथेन कैप्चर तकनीकों को लागू करने से मीथेन को वायुमंडल में छोड़े जाने से पहले ही कैप्चर किया जा सकता है। 

2.बायोगैस उत्पादन: अक्षय ऊर्जा स्रोत की प्राप्ति एवं मीथेन का शमन

3.चावल की खेती की तकनीकें: चावल गहनता प्रणाली और प्रत्यक्ष बीज वाले चावल जैसी प्रथाओं को बढ़ावा देकर चावल के खेतों से मीथेन उत्सर्जन में कमी लायी जा सकती है।

4.उन्नत कृषि पद्धतियाँ:टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाना।

 परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

  • स्थापना : 5 जून ,1972
  • मुख्यालय :नैरोबी, केन्या
  • कार्य : वैश्विक पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करता है।
  • प्रमुख रिपोर्ट:उत्सर्जन गैप रिपोर्ट , वैश्विक पर्यावरण आउटलुक ।

डेनमार्क

  • स्कैंडिनेवियाई देश
  • राजधानी: कोपेनहेगन
  • मुद्रा: डेनिश क्रोन
  • प्रधान मंत्री: मेटे फ्रेडरिक्सन

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