28 May, 2025
एसडीजी 7 : एनर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2024
Thu 20 Jun, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में एसडीजी 7 : एनर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2024 जारी किया गया।
- यह रिपोर्ट सतत विकास लक्ष्य की ओर प्रगति को ट्रैक करने के लिए जिम्मेदार पांच संरक्षक एजेंसियों यथा;अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी , अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग , विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वार्षिक रूप से तैयार की जाती है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- वैश्विक ऊर्जा पहुंच: रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक ऊर्जा पहुंच में सुधार हुआ है, लेकिन महत्वपूर्ण असमानताएं बनी हुई हैं। दुनिया भर में लगभग 760 मिलियन लोग अभी भी बिजली की पहुंच से वंचित हैं, जिसमें उप-सहारा अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है।
- नवीकरणीय ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग वैश्विक स्तर पर तेज हो गया है, फिर भी 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इस गति को चार गुना करना होगा। सौर और पवन ऊर्जा इस संक्रमण में अग्रणी हैं, लेकिन ग्रिड एकीकरण और भंडारण में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा दक्षता में सुधार ने ऊर्जा बचत और उत्सर्जन में कमी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालाँकि, वर्तमान सुधार की दर 2030 के वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
- स्वच्छ खाना पकाने के समाधान: रिपोर्ट में स्वच्छ खाना पकाने के समाधान के महत्व पर जोर दिया गया है, यह बताते हुए कि 2.4 बिलियन लोग अभी भी पारंपरिक बायोमास, कोयले और केरोसिन पर निर्भर हैं। इसका स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव गंभीर है।
भारत का ऊर्जा परिदृश्य
- बिजली पहुंच: भारत ने बिजली पहुंच में सुधार के लिए उल्लेखनीय प्रगति की है। 2017 में शुरू की गई सौभाग्य योजना का उद्देश्य सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण था, जो काफी हद तक सफल रहा है। 2024 तक, 99% से अधिक भारतीय घरों का विद्युतीकरण हो चुका है।
- नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण: भारत आक्रामक रूप से नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का पीछा कर रहा है। देश का लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना और 2030 तक 500 गीगावॉट प्राप्त करना है। 2024 तक, भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 150 गीगावॉट से अधिक हो गई है, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
- ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए कई कार्यक्रम लागू किए हैं। प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना और उजाला (सभी के लिए किफायती एलईडी द्वारा उज्जवल ज्योति) जैसी पहलों ने महत्वपूर्ण ऊर्जा बचत और उत्सर्जन में कमी का नेतृत्व किया है।
- स्वच्छ खाना पकाना: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) ने 80 मिलियन से अधिक परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे खाना पकाने के लिए पारंपरिक बायोमास पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई है। हालाँकि, निरंतर उपयोग और वहनीयता सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति में बाधा डालने वाले प्रमुख कारक
आर्थिक कारक
- अनिश्चित व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण, मुद्रास्फीति के उच्च स्तर
- बढ़ती संख्या में देशों में ऋण संकट
- वित्त और अन्य संसाधनों का असमान वितरण
- आपूर्ति श्रृंखला की अड़चनें और सामग्रियों की बढ़ती कीमतें इत्यादि ।
अन्य कारक
- कोविड-19 महामारी,
- यूक्रेन में युद्ध की स्थिति
- वर्ष 2021 से ऊर्जा की कीमतों में लगातार वृद्धि का होना इत्यादि ।
आगे की राह
रिपोर्ट में दिए गए सुझाव
- ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाने के प्रयासों को तीव्र करना होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देना ।
- ऊर्जा दक्षता में सुधार किया जाना ।
- स्वच्छ ऊर्जा पहल के लिए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता में उल्लेखनीय वृद्धि करना इत्यादि।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी
- प्रकार : अंतर-सरकारी संगठन
- स्थापना: 1974
- मुख्यालय : पेरिस
- उद्देश्य :अंतर्राष्ट्रीय तेल आपूर्ति की स्थिरता बनाए रखना ।
17 सतत विकास लक्ष्य
- पूरे विश्व से गरीबी के सभी रूपों की समाप्ति।
- भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना।
- सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना ।
- समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करना।
- लैंगिक समानता प्राप्त करना।
- सभी के लिए स्वच्छता एवं जल के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना।
- सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देना ।
- लचीले बुनियादी ढांचे, समावेशी और सतत औद्योगीकरण को बढ़ावा देना।
- देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना।
- सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण करना।
- स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।
- जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना।
- स्थायी सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
- स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और सतत उपयोग को सुरक्षित करना।
- सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देना।
- सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के साथ ही कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।