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वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक 2024

Thu 13 Jun, 2024

  • संदर्भ: विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक 2024 में भारत दो पायदान नीचे खिसककर 129वें स्थान पर आ गया है, जबकि आइसलैंड ने अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। दक्षिण एशिया में, भारत बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के बाद पांचवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान सबसे निचले स्थान पर है। इस वर्ष के आंकड़ों में अफ़गानिस्तान, मलावी, म्यांमार और रूस को शामिल नहीं किया गया है।

महत्वपूर्ण बिंदु

वैश्विक लिंग अंतर सूचकांक 

  • यह उप-मैट्रिक्स के साथ चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति के आधार पर देशों को मानकीकृत करता है ।
    1. आर्थिक भागीदारी और अवसर
    2. शिक्षा प्राप्ति
    3. स्वास्थ्य और जीवन रक्षा
    4. राजनीतिक सशक्तिकरण
  • चारों उप-सूचकांकों के साथ-साथ समग्र सूचकांक पर GGG सूचकांक 0 और 1 के बीच अंक प्रदान करता है, जहां 1 पूर्ण लिंग समानता दर्शाता है और 0 पूर्ण असमानता दर्शाता है।
  • यह लैंगिक असमानता को कम करने की दिशा में हुई प्रगति को मापने वाला सबसे लंबे समय से चल रहा सूचकांक है। इसकी शुरुआत 2006 में हुई थी और तब से यह निरंतर लैंगिक असमानता को कम की दिशा में हुए बदलावों पर नज़र रखता है।

उद्देश्य:

  • वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक महिलाओं और पुरुषों के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति में सापेक्षिक अंतराल पर प्रगति को ट्रैक करने के लिए एक दिशा सूचक के रूप में कार्य करता है।
  • इस वार्षिक मानदंड के माध्यम से, प्रत्येक देश के हितधारक प्रत्येक विशिष्ट आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भ में प्रासंगिक प्राथमिकताएं निर्धारित करने में सक्षम होते हैं।

वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक 2024 की मुख्य विशेषताएं

  • माध्यमिक शिक्षा और महिलाओं के राजनीतिक क्षेत्र में सुधार के बावजूद, लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भारत की समग्र प्रगति धीमी  है।
  • देश ने लिंग-भेद को 64.1% तक कम कर दिया है, तथा 'शैक्षणिक उपलब्धि' और 'राजनीतिक सशक्तिकरण' संकेतकों में मामूली गिरावट दर्ज की गई है।
  • भारत की आर्थिक भागीदारी और अवसर स्कोर में मामूली सुधार हुआ है।
  • वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट 2024 शिक्षा और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में शेष लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
  • महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण में भारत विश्व स्तर पर 65वें स्थान पर है, जो इस क्षेत्र में प्रगति को दर्शाता है।
  • भारत की आर्थिक समानता 39.8 प्रतिशत है।

लिंग भेद कम करने के लिए सरकारी पहल

  • बेटी बचाओ बेटी पढाओ : यह बालिकाओं की सुरक्षा, जीवन रक्षा और शिक्षा सुनिश्चित करता है।
  • महिला शक्ति केंद्र: इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कौशल विकास और रोजगार के अवसर प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना है।
  • महिला पुलिस स्वयंसेवक: इसमें राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में महिला पुलिस स्वयंसेवकों की नियुक्ति की परिकल्पना की गई है, जो पुलिस और समुदाय के बीच कड़ी के रूप में कार्य करती हैं तथा संकटग्रस्त महिलाओं को सुविधा प्रदान करती हैं।
  • राष्ट्रीय महिला कोष : यह एक शीर्ष सूक्ष्म वित्त संगठन है जो गरीब महिलाओं को विभिन्न आजीविका और आय सृजन गतिविधियों के लिए रियायती शर्तों पर सूक्ष्म ऋण उपलब्ध कराता है।
  • सुकन्या समृद्धि योजना : इस योजना के तहत लड़कियों के बैंक खाते खोलकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
  • महिला उद्यमिता: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया और महिला ई- हाट (महिला उद्यमियों/ SHGs/NGOs को समर्थन देने के लिए ऑनलाइन विपणन मंच), उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम (ESSDP) जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं।
  • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय : इन्हें शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (EBB) में खोला गया है।
  • राजनीतिक आरक्षण: सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित की हैं ।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

विश्व आर्थिक मंच

  • संस्थापक: क्लॉस श्वाब
  • मुख्यालय: कोलोग्नी , स्विटजरलैंड
  • अध्यक्ष: बोर्गे ब्रेंडे
  • स्थापना: 1971

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