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उच्च सागरीय जैव विविधता संधि

Sat 08 Jun, 2024

  • 8 जून को विश्व महासागर दिवस 2024 के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के महानिदेशक ग्रेथेल एगुइलर ने दुनिया भर के देशों से “पूरी तरह कार्यात्मक उच्च सागरीय जैव विविधता संधि (High Seas Biodiversity Treaty) के लिए प्रयास करने” का आग्रह किया है।

पृष्ठभूमि

  • यह संधि तभी अंतरराष्ट्रीय कानून बनेगी जब कम से कम 60 देश इस पर हस्ताक्षर करेंगे और इसकी पुष्टि करेंगे। भारत ने न तो इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और न ही इसकी पुष्टि की है।
  • केवल सात देशों जैसे बेलीज, चिली, मॉरीशस, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया, मोनाको, पलाऊ और सेशेल्स ने इस संधि की पुष्टि की है।
  • उच्च सागरीय परिक्षेत्र विश्व के महासागरों के ऐसे क्षेत्र हैं जो राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।
  • ये परिक्षेत्र वैश्विक महासागरों का बड़ा भाग बनाते  हैं और जैव विविधता की एक विस्तृत श्रृंखला को समेटे हुए हैं। इसके बावजूद, विश्व के दो प्रतिशत से भी कम उच्च सागरीय भाग कानून द्वारा संरक्षित हैं।

संधि के बारे में 

  • उच्च सागरीय जैव विविधता संधि, जिसे राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों की सागरीय जैविक विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर समझौते (Agreement on the Conservation and Sustainable Use of Marine Biological Diversity of Areas beyond National Jurisdiction, BBNJ) के रूप में भी जाना जाता है,  जो जून 2023 में अपनाई गई एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संयुक्त राष्ट्र संधि है। 
  • यह राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे के क्षेत्रों पर लागू होती है, जिसमें उच्च सागरीय क्षेत्र और समुद्र तल सम्मिलित हैं। इस संधि का उद्देश्य उच्च सागरीय क्षेत्र  में  ऐसी चुनौतियों का समाधान करना है , जो तटीय देशों के अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (Exclusive Economic Zones, EEZ) से 200 समुद्री मील से परे के क्षेत्रों को इंगित करते हैं।

  •  इस संधि का उद्देश्य इन क्षेत्रों में सागरीय जैव विविधता संरक्षण और स्थायी प्रबंधन करना है, तथा समुद्री पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारकों को दूर करने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करना है।
  • इसका उद्देश्य समुद्री आनुवंशिक संसाधनों (marine genetic resources,  MGR) से होने वाले लाभों का उचित और न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करना तथा पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessments , EIA) के संचालन के लिए नियम स्थापित करना है।

IUCN के बारे में 

  • मुख्यालय: ग्लैंड, स्विटजरलैंड
  • स्थापना: 5 अक्टूबर 1948, फॉनटेनब्लियू, फ्रांस
  • अध्यक्ष: रज़ान अल मुबारक
  • IUCN, रेड लिस्ट भी जारी करता है जो मूल्यांकन की गई प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम को परिभाषित करता है। नौ श्रेणियां NE (Not Evaluated) से लेकर EX (विलुप्त, Extinct) तक फैली हुई हैं। गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered,CR), लुप्तप्राय (Endangered, EN) और कमज़ोर (Vulnerable, VU) प्रजातियों को विलुप्त होने का खतरा माना जाता है।

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