01 May, 2025
ग्रीन स्टील
Fri 10 May, 2024
सन्दर्भ
- भारत ऑटो-मोबाइल कंपनियों के बीच प्रीमियम या अल्ट्रा हाई-एंड मॉडल के लिए ग्रीन स्टील की खरीद को अनिवार्य करने की संभावना पर विचार कर रहा है, जिसमें ऑडी या बीएमडब्ल्यू जैसी लक्जरी कार निर्माता भी शामिल हैं।
कुछ यूरोपीय उदाहरण
- वोक्सवैगन जैसे यूरोपीय कार निर्माता ग्रीन स्टील के स्रोत के लिए साल्ज़गिटर एजी के साथ साझेदारी कर रहे हैं। वोक्सवैगन ने भविष्य की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में 2025 के अंत से कम CO2 स्टील का उपयोग करने की योजना बनाई है।
- मर्सिडीज-बेंज एजी श्रृंखला उत्पादन में CO2 मुक्त स्टील को पेश करने के तरीके के रूप में स्वीडिश स्टार्ट-अप H2 ग्रीन स्टील में इक्विटी हिस्सेदारी लेने वाली पहली कार निर्माता बन गई।
- बीएमडब्ल्यू और फोर्ड भी अपनी आपूर्ति श्रृंखला के हिस्से के रूप में ग्रीन स्टील को शामिल करने की संभावना तलाश रहे हैं।
- ऐसे में भारत की ऑटोमोबाइल कम्पनियों को भी इस ओर अग्रसर होना चाहिए ।
ग्रीन स्टील के बारे में
- सामान्य तौर पर, 'ग्रीन स्टील' की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है। यह उन विधियों का उपयोग करके उत्पादित धातु को संदर्भित करता है जिनमें न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन होता है ।
- इसके अंतर्गत कोयले से चलने वाले संयंत्रों के पारंपरिक कार्बन-गहन विनिर्माण मार्ग के बजाय हाइड्रोजन का उपयोग, बिजली के नवीकरणीय स्रोत, पुनर्नवीनीकरण स्क्रैप का उपयोग आदि शामिल हैं।
- दूसरे शब्दों में ग्रीन स्टील से आशय जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बिना इस्पात के निर्माण से है।
लाभ
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।
- लागत में कटौती करता है ।
- इससे इस्पात की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- कम-कार्बन हाइड्रोजन (नीली हाइड्रोजन और ग्रीन हाइड्रोजन) इस्पात उद्योग के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद कर सकती है।
उत्पादन के तरीके
- अधिक स्वच्छ विकल्पों के साथ प्राथमिक उत्पादन प्रक्रियाओं को प्रतिस्थापित करना
- कार्बन कैप्चर और यूटिलाइज़ेशन तकनीक
- ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का प्रयोग
- लौह अयस्क के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से प्रत्यक्ष विद्युतीकरण
महत्त्व
- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में की गई प्रतिबद्धताओं के मद्देनज़र भारतीय इस्पात उद्योग को वर्ष 2030 तक अपने उत्सर्जन को काफी हद तक कम करने और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है।
- ऐसे में यह कदम भारत की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकता है ।