28 May, 2025
हिमनद का पिघलना; जलवायु परिवर्तन का संकेत
Tue 30 Apr, 2024
संदर्भ
- नए शोधों के अनुसार अंटार्कटिका से हिमखंड टूट रहे हैं, तापमान बढ़ने से बर्फ भी तेजी से पिघल रही है।
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में जलवायु परिवर्तन का बड़ा संकेत संयुक्त अरब अमीरात में दिखा है। 75 वर्षों में यहां सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई है।
- यहाँ पर चौबीस घंटे तक दस इंच से ज्यादा हुई वर्षा ने रेगिस्तान के बड़े भू-भाग को जल में डुबो दिया है।
- यहाँ पर अवस्थित दुनिया का सबसे व्यस्त दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी डूब गया।
- इसके अलावा एक अन्य संकेत के रूप में यह द्रष्टव्य हुआ कि वर्ष 1986 में अंटार्कटिका से टूट कर अलग हुआ जो हिमखंड स्थिर बना हुआ था, वह अब समुद्री सतह पर बहने लगा है।
- उपग्रह से लिए गए चित्रों से पता चला है कि करीब एक लाख करोड़ टन वजनी यह हिमखंड अब तेज हवाओं और जल धाराओं के चलते अंटार्कटिका के उत्तरी सिरे की ओर बढ़ रहा है।
- यह हिमखंड करीब चार हजार वर्ग किमी में फैला हुआ है, आकार में यह मुंबई के क्षेत्रफल 603 वर्ग किमी से करीब छह गुना बड़ा है।
- इसकी ऊंचाई 400 मीटर है। यह जिस महानगर की सीमा से टकराएगा, वहां विनाशकारी परिणाम देखने को मिलेंगे।
- इसके साथ ही आर्कटिक की यदि बात की जाए तो अमेरिका के ‘नेशनल स्नो एंड साइंस डाटा सेंटर’ के अध्ययन के अनुसार वर्ष 2014 में ही उत्तरी ध्रुव के 32.90 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में बर्फ की परत पिघली है।
- यह क्षेत्रफल लगभग भारत-भूमि के बराबर है। इस संस्थान के अनुसार 1979 में उत्तरी ध्रुव पर बर्फ जितनी कठोर थी, अब नहीं रह गई है। इसके ठोस हिमतल में चालीस फीसद की कमी आई है।
आर्कटिक पर प्रभाव
- उत्तरी ध्रुव यानी आर्कटिक पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर लगातार अध्ययन किये जा रहे हैं।
- ये अध्ययन विशाल आकार के हिमखंडों के पिघलने, टूटने, दरारें पड़ने, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के खिसकने, ध्रुवीय भालुओं के मानव आबादियों में प्रवेश करने और सील मछलियों में कमी, ऐसे प्राकृतिक संकेत हैं, जिनसे पृथ्वी के बढ़ते तापमान का आर्कटिक पर प्रभाव स्पष्ट होता है।
- पर्यावरण विज्ञानी इस बदलाव को समुद्री जीवों, जहाजों, पेंगुइन, छोटे द्वीपों और महानगरों के लिए एक बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं।
- उत्तरी ध्रुव का कुल क्षेत्रफल 2.1 करोड़ वर्ग किमी है। इसमें से 1.30 करोड़ वर्ग किमी क्षेत्र की सतह बर्फ की मोटी परत से ढकी हुई है।
- बर्फ से आच्छादित होने के कारण यहां का औसत तापमान ऋणात्मक 10 डिग्री सेल्सियस है। जाड़ों में यह 68 डिग्री तक ऋणात्मक हो जाता है। बर्फ से ढके इसी क्षेत्र को आर्कटिक महासागर कहा जाता है।
- आमतौर पर आर्कटिक का उल्लेख उस भाग के परिप्रेक्ष्य में होता है, जो उत्तरी ध्रुव को घेरे हुए है।
- आर्कटिक का भू-क्षेत्र रूस के साइबेरिया के किनारों, आइसलैंड, ग्रीनलैंड, उत्तरी डेनमार्क, नार्वे, फिनलैंड, स्वीडन, अमेरिका, अलास्का, कनाडा का अधिकांश उत्तरी महाद्वीपीय भाग और आर्कटिक टापुओं के समुदाय तथा अन्य अनेक द्वीपों तक फैला है।
- इस क्षेत्र में तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला के अकूत भंडार हैं।
- यहां जलवायु परिवर्तन एवं व्यापारिक गतिविधियों में तीव्रता के कारण पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। फलस्वरूप, यहां पाए जाने वाले जलीय और थलीय जीव ध्रुवीय भालू, सील, बैल्गा व्हेल, नर ह्वेल , नीली ह्वेल और वेलर्स के अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।
जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम
- उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में पृथ्वी पर बढ़ते तापमान के चलते बर्फ का पिघलना एवं अत्यधिक गर्मी या सर्दी पड़ना आदि जलवायु परिवर्तन के ही कारक हैं।
- वैज्ञानिकों द्वारा अंटार्कटिका में तैर रहे हिमनद (ग्लेशियर) टाटेन के पिघलने की जानकारी अनुमानों से कहीं ज्यादा होने का अनुमान लगाया गया है। इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
- वाशिंगटन विश्वविद्यालय के पाल बिनबेरी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार यदि अंटार्कटिका की बर्फ इसी तरह पिघलती रही तो दक्षिणी महासागर के चारों ओर समुद्री जल स्तर बढ़ेगा, इस कारण अन्य समुद्रों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
- यदि इन समुद्रों का जल स्तर बढ़ा, तो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर भी इसका प्रभाव दिखाई देगा।
- बर्फ के पिघलने से वायुमंडलीय परिसंचरण का स्वभाव भी बदल जाता है।
- अंटार्कटिका के ईद-गिर्द ही दक्षिणी महासागर फैला हुआ है। धरती पर उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइआक्साइड की सबसे बड़ी मात्रा को सोखने का काम यही महासागर करता है।
- वर्ष भर में जितना कार्बन उत्सर्जित होता है, उसका लगभग बारह फीसद यह सागर सोख लेता है। लेकिन ऐसा तभी संभव हो पाता है, जब अंटार्कटिका की बर्फ बनी रहे।
- निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के कारगर उपाय किये जाने की आवश्यकता है।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
यूएई
- भौगोलिक अवस्थिति -मध्यपूर्व एशिया
- राजधानी -अबूधाबी
- सबसे बड़ा नगर -दुबई
- राजभाषा -अरबी
- मुद्रा -यूएई दिरहम
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच वर्ष 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए।