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सुप्रीम कोर्ट का फैसला : जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अधिकार एक विशिष्ट मौलिक अधिकार है।

Tue 09 Apr, 2024

सन्दर्भ

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ एक बहुप्रचारित, लेकिन कम स्पष्ट अधिकार को संविधान में एक विशिष्ट मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है।
  • इस निर्णय के अनुसार यह मुद्दा जीवन और समानता के अधिकार के साथ जुड़ा हुआ है जो भारतीय संविधान में अंतर्निहित है।

प्रमुख बिंदु

  • उक्त स्पष्टीकरण भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा ग्रेट इंडिया बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन के संरक्षण पर एक मामले की सुनवाई के फैसले का हिस्सा थीं।
  • शीर्ष कोर्ट ने अपने निर्णय में संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के दायरे का विस्तार करते हुए ‘जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ अधिकार’ को शामिल किया।
  • गौरतलब है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या में चिंताजनक कमी का कारण उनके निवास स्थान के पास सौर संयंत्रों सहित ओवरहेड बिजली पारेषण लाइनों से उनका अक्सर टकराना है।
  • शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2021 के पहले के आदेश को वापस ले लिया, जिसमें राजस्थान एवं गुजरात राज्यों में 80,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत करने की आवश्यकता थी।
  • पीठ ने राजस्थान और गुजरात राज्य में लुप्तप्राय पक्षी ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ के संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे के बीच संतुलन के उपाय सुझाने के लिए एक समिति का गठन किया है।

परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

सर्वोच्च न्यायालय

  • न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत की जाती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • नोट - वर्ष 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के प्रवर्तन से कलकत्ता सर्वोच्च न्यायाधिकरण (Supreme Court of Judicature) की स्थापना की गई थी।

भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार

  • समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड 

  • वैज्ञानिक नाम :अर्डीओटिस नाइग्रिसप्स
  • यह भारत का सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी माना जाता है।
  • यह घास के मैदान की प्रमुख प्रजाति मानी जाती है, जो चरागाह पारिस्थितिकी का प्रतिनिधित्व करती है।
  • इसकी अधिकतम आबादी राजस्थान और गुजरात तक ही सीमित है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह प्रजाति कम संख्या में पाई जाती है।
  • यह राजस्थान का राज्य पक्षी है। 

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के सुरक्षा की स्थिति

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट (IUCN): गंभीर रूप से संकटग्रस्त 
  • वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट-1
  • प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS): परिशिष्ट-1

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