28 May, 2025
इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024
Wed 27 Mar, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में मानव विकास संस्थान (IHD) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 जारी किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000-2019 के दौरान लॉन्ग टर्म गिरावट के बाद हाल के वर्षों में भारत में ओवर ऑल लेबर फोर्स भागीदारी, वर्कफोर्स भागीदारी और रोजगार दरों में सुधार हुआ है किंतु रोजगार की स्थिति खराब बनी हुई है।
- इसके अलावा गैर-कृषि रोजगार की ओर धीमी गति से बदलाव हुआ है। स्व-रोजगार और अवैतनिक पारिवारिक कार्यों में महिलाओं की संख्या बढ़ी है।
- युवाओं के रोजगार की स्थिति वयस्कों के रोजगार की तुलना में खराब है। स्थिर या घटती मजदूरी और कमाई के साथ-साथ वयस्कों की तुलना में युवाओं में अवैतनिक पारिवारिक काम का अनुपात अधिक है।
- भारत में शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी बढ़ी है। पिछले 22 साल में माध्यमिक या उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ी है।
- सन् 2000 में सभी बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी 54.2 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई।
- शिक्षित (माध्यमिक स्तर या उससे ऊपर) बेरोजगार युवाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी (76.7 प्रतिशत) पुरुषों (62.2 प्रतिशत) की तुलना में ज़्यादा है।
- इसके अलावा यह रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या युवाओं, ख़ासकर शिक्षित युवाओं और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं में तेज़ी से बढ़ रही है।
- भारत में काम की तलाश में लगे कुल बेरोजगारों में 83 प्रतिशत युवा हैं। लगभग 90% श्रमिक अनौपचारिक काम में लगे रहते हैं, जबकि नियमित काम का हिस्सा, जो 2000 के बाद लगातार बढ़ रहा था, 2018 के बाद कम हो गया है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्क फोर्स में शामिल कुल लोगों में से केवल एक छोटा प्रतिशत सामाजिक सुरक्षा के दायरे में है।
- इसके साथ ही ठेकेदारी प्रथा में भी वृद्धि हुई है, केवल कुछ प्रतिशत नियमित कर्मचारी ही दीर्घकालिक अनुबंधों के दायरे में आते हैं, जबकि भारत फिलहाल डेमोग्राफिक डिविडेंड के दौर से गुजर रहा है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि युवाओं के पास काम करने का कौशल नहीं है। 75% युवा अटैचमेंट के साथ ईमेल भेजने में असमर्थ हैं, 60% फ़ाइलों को कॉपी और पेस्ट करने में असमर्थ हैं, और 90% मैथ के फार्मूला को स्प्रेडशीट में डालने में असमर्थ हैं।
- वहीं बढ़ती सामाजिक असमानताओं पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि अफरमेटिव एक्शन (आरक्षण, आदि) और टारगेटेड पॉलिसी के बावजूद, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अभी भी बेहतर नौकरियों तक पहुंच के मामले में पीछे हैं।
- अपनी आर्थिक आवश्यकता के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की काम में भागीदारी तो है, लेकिन वे कम वेतन वाले अस्थायी आकस्मिक वेतन वाले काम और अनौपचारिक रोजगार में अधिक लगे हुए हैं।
भारत में बेरोज़गारी के लिए जिम्मेदार मुख्य कारक
- सामाजिक कारण
- जनसंख्या की तीव्र वृद्धि
- कृषि का प्रभुत्व
- कुटीर एवं लघु उद्योगों का पतन
- श्रम की गतिहीनता
- शिक्षा प्रणाली में दोष
क्या किया जाना चाहिए?
- उपर्युक्त रिपोर्ट के अनुसार नौकरियों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भारत को कुछ ऐसे कामों की खोज करके उसमें निवेश करना चाहिए जिनसे युवाओं को ज़्यादा नौकरियां मिलने की संभावना है। उदाहरण के लिए केयर वर्क, डिजिटल फ़ील्ड वर्क इत्यादि ।भारत में लोगों के शहर की ओर पलायन करने की सम्भावना को देखते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि पलायन करने वाले व्यक्तियों,महिलाओं और गरीब युवाओं की सहायता के लिए शहरों के विकास की एक ऐसी योजना बनाना आवश्यक है जिसमें सभी लोगों को शामिल किया जा सके।
परीक्षापयोगी तथ्य
आईएलओ
- स्थापना: 1919
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड
- डायरेक्टर जनरल : गिल्बर्ट एफ. होंगबो