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दी ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2024

Thu 21 Mar, 2024

सन्दर्भ

  • संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (यूएनआईटीएआर) और इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन (आईटीयू) द्वारा जारी नई रिपोर्ट ‘द ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2024’ के अनुसार ,वैश्विक स्तर पर सालाना 6.2 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा हो रहा है। वर्ष 2010 के बाद से इस कचरे में 82 फीसदी की वृद्धि हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में यह भी इंगित किया है कि यदि यह इलेक्ट्रॉनिक कचरा इसी तरह से बढ़ता रहा तो यह 2030 तक 32 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 8.2 करोड़ टन पर पहुंच सकता है। 
  • आंकड़ों के अनुसार ई-कचरे का वार्षिक उत्पादन 23 लाख टन प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में यूरोप, ओशिनिया और अमेरिका ने प्रति व्यक्ति सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा किया था। 
  • इस कचरे में यूरोप प्रति व्यक्ति 17.6 किलोग्राम के हिसाब से सबसे आगे है।
  • इसके बाद ओशिनिया ने प्रति व्यक्ति 16.1 किलोग्राम और अमेरिका ने 14.1 किलोग्राम कचरा पैदा किया था।
  • गौरतलब है कि दुनिया में जिस तेजी से इलेक्ट्रॉनिक कचरा बढ़ रहा है उसके रीसाइक्लिंग की दर उस गति से नहीं बढ़ रही है। 
  • रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में पैदा हुए इस ई-कचरे का महज 22.3 फीसदी हिस्सा आधिकारिक तौर पर एकत्र और रिसाइकिल किया गया था।

ई- वेस्ट के बारे में

  • कंप्यूटर तथा उससे संबंधित अन्य उपकरण तथा टी.वी., वाशिंग मशीन एवं फ्रिज जैसे घरेलू उपकरण और कैमरे, मोबाइल फोन तथा उससे जुड़े अन्य उत्पाद जब चलन/उपयोग से बाहर हो जाते हैं तो इन्हें संयुक्त रूप से ई-कचरे की संज्ञा दी जाती है।
  • बढ़ते डिजिटलीकरण के कारण ई-कचरे में भी पर्याप्त वृद्धि देखने को मिली है।
  • इसका गैर-वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा निपटान ही सबसे बड़ी समस्या है जो मिट्टी, पानी और हवा को जहरीला बनाती है। 

ई - वेस्ट के स्रोत

  • घरेलू उपकरण,
  • मोबाइल फ़ोन एवं सम्बंधित अन्य उत्पाद,
  • खिलौने, 
  • माइक्रोवेव ओवन, 
  • वैक्यूम क्लीनर ,
  • ई-सिगरेट ,
  • ट्यूबलाइट, बल्ब, सीएफएल इत्यादि 
  • पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव
  • इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस ई-कचरे का सही निपटान और प्रबंधन न करने से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। 
  • यह बढ़ते उत्सर्जन के साथ-साथ हर साल करीब 58 हजार किलोग्राम पारा और साढ़े चार करोड़ किलोग्राम प्लास्टिक युक्त ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट पर्यावरण में मुक्त कर रहा है।

प्रबंधन की आवश्यकता

  • उपर्युक्त आंकड़ों के मद्देनजर यदि इस इलेक्ट्रॉनिक कचरे का प्रभावी प्रबंधन और निपटान किया जाये तो पर्यावरण पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सकता है ।
  • इसके साथ ही इससे वैश्विक स्तर पर बढ़ते उत्सर्जन को कम करने में भी सहायता मिल सकती है। 
  • ई-कचरा और स्वास्थ्य
  • ई-कचरे में मरकरी (Mercury), कैडमियम (Cadmium) और क्रोमियम (Chromium) जैसे कई विषैले तत्त्व शामिल होते हैं, जिनके निस्तारण के असुरक्षित तौर-तरीकों से मानव स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और तरह-तरह की बीमारियाँ होती हैं।
  • लैंडफिल में ई-वेस्ट, मिट्टी और भूजल को दूषित करता है, जिससे खाद्य आपूर्ति प्रणालियों और जल स्रोतों में प्रदूषकों का जोखिम बढ़ जाता है।
  • भारत में ई-कचरे के क्षेत्र में किये गए प्रयास  
  • ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022
  • ई-अपशिष्ट संग्रह को औपचारिक बनाना 
  • विनिर्माताओं के लिये ई-अपशिष्ट टैक्स क्रेडिट
  • ई-अपशिष्ट एटीएम
  • ई-अपशिष्ट ट्रैकिंग और प्रमाणन

परीक्षापयोगी तथ्य

संयुक्त राष्ट्र

  • स्थापना: 24 अक्टूबर 1945
  • मुख्यालय: न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका
  • प्रकार: अंतर सरकारी संगठन
  • सदस्य: 193 सदस्य देश और 2 पर्यवेक्षक देश

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