20 November, 2024
मधुमेह के लिए HbA1C टेस्ट
Mon 18 Mar, 2024
- विश्व के सभी मधुमेह रोगियों में से 17% भारत में हैं और प्री-डायबिटीज और मधुमेह (टाइप 1 और टाइप 2 दोनों) का निदान एवं प्रबंधन में सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाला परीक्षण हीमोग्लोबिन A1C (HbA1C) टेस्ट है, जिसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है।
पृष्ठभूमि
- वर्ष 2023 में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में अनुमानतः 10.13 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, और अन्य 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं।
- टाइप 2 मधुमेह प्रबंधन के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के दिशानिर्देश, 2018 के अनुसार, 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को मधुमेह की जांच की जानी चाहिए।
- 35% भारतीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और लगभग 40% पेट के मोटापे से पीड़ित हैं, ये दोनों मधुमेह के जोखिम कारक हैं।
- अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन ने 2009 में इसके निदान उपकरण के रूप में HbA1c टेस्ट को मंजूरी दी थी।
HbA1c टेस्ट के बारे में
- HbA1c को पहली बार 1955 में खोजा गया था, मधुमेह के रोगियों में उच्च HbA1c का स्तर 1968 तक नोट नहीं किया गया था। HbA1c को मधुमेह के अस्पताल में भर्ती रोगियों में रक्त शर्करा के मूल्यों के साथ सहसंबद्ध करने और ग्लाइसेमिया की निगरानी के लिए प्रस्तावित करने में आठ साल और लग गये।
- HbA1C का स्तर या तो प्रतिशत के रूप में या mmol/mol (जो प्रति मोल मिलीमोल के लिए है) में प्रदान किया जाता है।
- प्रतिशत जितना अधिक होगा, रक्त शर्करा का स्तर उतना ही अधिक होगा।
- 5.7% से कम Hb1A1C को सामान्य माना जाता है; 5.7% और 6.4% के बीच यह संकेत हो सकता है कि आप प्री-डायबिटिक हैं; और 6.5% या इससे अधिक मधुमेह का संकेत दे सकता है।
- mmol/mol में: 42 से नीचे 6.0% से नीचे है; 42-47 mmol/mol से 6.0 से 6.4%; और 48 mmol/mol से 6.5% या अधिक।
HbA1c टेस्ट क्यों अलग है
- HbA1C टेस्ट पिछले दो से तीन महीनों में आपके औसत रक्त शर्करा के स्तर को दर्शाता है, जबकि पारंपरिक रक्त शर्करा परीक्षण व्यक्ति के हाल फ़िलहाल किये गये भोजन और आखिरी बार खाये गये खाने के समय के आधार पर उतार-चढ़ाव हो सकता है।
HbA1C टेस्ट की सीमा
- टेस्ट मानकीकरण में कठिनाइयों से उत्पन्न होने वाली अपेक्षाकृत कम संवेदनशीलता को दर्शाती है।
- किसी व्यक्ति का निदान करते समय स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए, HbA1C टेस्ट के साथ ग्लूकोज परीक्षण की भी सलाह दी जाती है।
- थैलेसीमिया, आबादी में संरचनात्मक हीमोग्लोबिन भिन्नता, आयरन अल्पता से होने वाला एनीमिया (जो भारत में अपेक्षाकृत अधिक है) और कुछ दवाओं के उपयोग जैसी कुछ नैदानिक स्थितियों में सटीक माप करना कठिन होता है।
मधुमेह (Diabetes)
- मधुमेह मेलेटस एक सबसे आम अग्नाशयी अंतःस्रावी विकार (गैर-संचारी रोग) है जो इंसुलिन स्राव की कमी या विफलता के कारण होता है।
- इंसुलिन स्राव के आधार पर इसे इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है:
- हाइपरग्लेकेमिया (Hyperglycaemia)- रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि
- ग्लाइकोसुरिया (Glycosuria)- मूत्र में अतिरिक्त ग्लूकोज का उत्सर्जन
- पॉलीयूरिया (Polyuria)- बार-बार पेशाब आना
- पॉलीडिप्सिया (Polydipsia)- अधिक प्यास लगना
- पॉलीफैगिया (Polyphagia) - भूख में वृद्धि
मधुमेह के प्रकार
- टाइप 1 मधुमेह: एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है जो आपके शरीर को इंसुलिन बनाने से रोकता है।
- टाइप 2 मधुमेह: तब होता है जब शरीर इंसुलिन का अच्छी तरह से उपयोग नहीं करता है और रक्त शर्करा को सामान्य स्तर पर नहीं रख पाता है।
- गर्भावधि (Gestational) मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाले इंसुलिन-अवरुद्ध हार्मोन के कारण होता है
मधुमेह संबंधित पहल
- कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) भारत द्वारा 2010 में शुरू किया गया था।
- प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।