20 November, 2024
भारत-ईएफटीए व्यापार समझौता
Sun 10 Mar, 2024
सन्दर्भ
- भारत और ईएफटीए ने निवेश को बढ़ावा देने और वस्तुओं एवं सेवाओं में दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया।
प्रमुख बिंदु
- इस समझौते में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, व्यापार सुविधा समेत कई क्षेत्र शामिल किए गए हैं।
- यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के साथ व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर करना लगभग 15 वर्षों की कड़ी मेहनत के परिणामों का प्रतीक है।
- मुक्त व्यापार समझौते के तहत दो व्यापारिक साझेदार सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाने के अलावा, उनके बीच व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को काफी कम या खत्म कर देते हैं।
- गौरतलब है कि भारत और ईएफटीए जनवरी 2008 से समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिसे आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) कहा जाता है।
- दोनों पक्षों ने अक्तूबर 2023 में बातचीत फिर से शुरू की थी।
- इस समझौते में 14 अध्याय हैं। इनमें माल में व्यापार, उत्पत्ति के नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल है।
- इसके एवज में भारत को ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा।
- इससे अंततः अच्छी नौकरियों में वृद्धि होगी।
- मुक्त व्यापार समझौते के तहत, दो व्यापारिक साझेदार सेवाओं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाने के अलावा, उनके बीच व्यापार की वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को काफी कम या समाप्त कर देते हैं।
- भारत-ईफएटीए का द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 18.65 अरब डॉलर रहा था। यह 2021-22 में 27.23 अरब डॉलर था। पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर था।
- इन देशों में स्विट्जरलैंड, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इसके बाद नॉर्वे का स्थान है।
परीक्षापयोगी तथ्य
ईएफटीए के बारे में
- EFTA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसे वर्ष 1960 में उन यूरोपीय राज्यों के लिये एक वैकल्पिक व्यापार ब्लॉक के रूप में स्थापित किया गया था जो यूरोपीय संघ (EU) में शामिल होने में असमर्थ या अनिच्छुक थे।
- EFTA में आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं, जो यूरोपीय संघ के अंग नहीं हैं, लेकिन विभिन्न समझौतों के माध्यम से इसके एकल बाज़ार तक पहुँच रखते हैं।
- उद्देश्य: मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।