12 November, 2024
वोट के बदले नोट मामले पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
Thu 07 Mar, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वोट के बदले नोट मामले पर अपने 26 साल पुराने फैसले को पलट दिया है।
पृष्ठभूमि
- गौरतलब है कि ‘पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले’ में पिछले 25 वर्ष अर्थात 1998 में सदन में ‘वोट के बदले नोट’ मामले में सांसदों को मुकदमे से छूट की बात कही थी।
- फलतः उस समय 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि ऐसे मामलों में जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में पुनः इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। ततपश्चात डी. वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है कि अब यदि सांसद पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देती है।
- फलस्वरूप अब रिश्वत लेकर किसी सांसद या विधायक ने सदन में वोट दिया या सवाल पूछा तो उन्हें विशेषाधिकार के तहत मुकदमे से छूट नहीं प्राप्त होगी।
- इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में रिश्वत से छूट का प्रावधान नहीं है क्योंकि रिश्वतखोरी आपराधिक कृत्य है और ये सदन में भाषण देने या वोट देने के लिए आवश्यक नहीं है।
- संविधान पीठ ने यह भी कहा पीवी नरसिम्हा राव मामले में दिए फैसले की जो व्याख्या की गई है, वो संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है।
- उपर्युक्त संविधान पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस पी एस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे।
परीक्षापयोगी तथ्य
- अनुच्छेद 105 और 194 संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की शक्तियों और विशेषाधिकारों से संबंधित हैं।
सुप्रीम कोर्ट
- भारत का सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायालय है।
- वर्तमान में इस शीर्ष अदालत में 33 न्यायाधीश हैं।
- संविधान के भाग V में अनुच्छेद 124 से 147 तक सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, स्वतंत्रता, अधिकार क्षेत्र, शक्ति प्रक्रियाओं से संबंधित हैं।