20 November, 2024
मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई)
Sun 25 Feb, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अगस्त 2022 और जुलाई 2023 के बीच किए गए अखिल भारतीय घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के व्यापक निष्कर्ष जारी किए।
प्रमुख बिंदु
- घरेलू उपभोग व्यय पर इस सर्वेक्षण का उद्देश्य घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) का अनुमान तैयार करना है।
- एमपीसीई से संबंधित एचसीईएस: 2022-23 के सारांश परिणाम एक फैक्टशीट के रूप में जारी किए जा रहे हैं।
- यह डेटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), गरीबी स्तर और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) सहित महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों की समीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- एमपीसीई का अनुमान देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले केंद्रीय नमूने में 2,61,746 परिवारों (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,55,014 और शहरी क्षेत्रों में 1,06,732) से एकत्र किए गए डेटा पर आधारित है।
- एचसीईएस:2022-23 में, (i) घरेलू/घरेलू उत्पादित स्टॉक और (ii) उपहार, ऋण, मुफ्त संग्रह और वस्तुओं और सेवाओं के बदले में प्राप्त वस्तुओं के उपभोग के लिए मूल्य आंकड़ों को लागू करने की सामान्य प्रथा आदि जारी रखा गया है और तदनुसार, एमपीसीई का अनुमान तैयार किया गया है।
- इसके अलावा, विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से परिवारों द्वारा निःशुल्क प्राप्त और उपभोग की जाने वाली कई वस्तुओं की खपत की मात्रा के बारे में जानकारी एकत्र करने का प्रावधान एचसीईएस:2022-23 में किया गया है।
- इस सर्वेक्षण के अनुसार, मौजूदा कीमतों पर शहरी क्षेत्रों में औसत एमपीसीई (बिना वैकल्पिक आंकड़ों के) 2011-12 के 2,630 रुपये से 2022-23 में दोगुना से अधिक होकर 6,459 रुपये हो गया है।
- इसी तरह ग्रामीण इलाकों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 3,773 रुपये हो गया है।
- स्टडी के अनुसार, 2011-12 की कीमतों पर शहरी क्षेत्रों में औसत एमपीसीई (बिना वैकल्पिक आंकड़ों के) 2011-12 के 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 3,510 रुपये हो गया है।
उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण की उपयोगिता
- मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग के अनुमान से किसी अर्थव्यवस्था में मांग तथा वस्तुओं और सेवाओं को लेकर लोगों की प्राथमिकताओं का अनुमान लगाया जाता है।
- इसके अलावा यह लोगों के जीवन स्तर एवं विभिन्न पैमानों पर आर्थिक संवृद्धि को दर्शाता है।
- यह संरचनात्मक विसंगतियों की पहचान करता है तथा आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक सिद्ध होता है जिससे मांग के पैटर्न का पता लगाया जा सके एवं वस्तु तथा सेवाओं के उत्पादकों को मदद मिल सके।
उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के बारे में
- यह एक पंचवर्षीय सर्वेक्षण है ।
- इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वन मंत्रालय के के राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण पूरे देश के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त सूचना के आधार पर घरेलू स्तर पर होने वाले व्यय के पैटर्न को दर्शाता है।
- इस सर्वेक्षण से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर किसी परिवार द्वारा वस्तुओं (खाद्य एवं गैर-खाद्य) तथा सेवाओं पर किये जाने वाले औसत खर्च एवं मासिक प्रति व्यक्ति व्यय का अनुमान लगाया जाता है।