01 December, 2024
ज्ञानपीठ सम्मान 2023
Sun 18 Feb, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में वर्ष 2023 के ज्ञानपीठ पुरस्कारों की घोषणा की गई।
- इस वर्ष संस्कृत के लिए जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को संस्कृत के लिए और गुलजार जी को उर्दू के लिए सम्मानित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
गुलज़ार
- गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1936 को दीना, जिला झेलम पाकिस्तान में हुआ था।
- प्रमुख कृतियां पुखराज, एक बूंद चांद, चौरस रात, रवि पार, कुछ और नज़्में, यार जुलाहे आदि हैं।
- गुलज़ार का पूरा नाम संपूरण सिंह कालरा है।
- वे त्रिवेणी छंद के सृजक हैं। इसके अलावा वे कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक हैं।
- गुलजार का पहला गीत 'मोरा गोरा अंग लै ले' बिमल राय की फिल्म बंदिनी से था।
- इन्हें फिल्म कोशिश, मौसम और इजाजत के लिए 3 नेशनल अवार्ड और 47 फिल्म फेयर अवार्ड मिले।
- इसके अलावा 2004 में पद्मभूषण, 2013 में दादा साहेब फाल्के अवार्ड भी प्राप्त हुआ ।
स्वामी रामभद्राचार्य
- इनका जन्म 14 जनवरी 1950 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ।
- इनका वास्तविक नाम गिरिधर मिश्र है।
- वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 ई. से प्रतिष्ठित हैं।
- वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं।
- यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है।
- वे बहुभाषाविद् हैं । उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं।
- उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है।
परीक्षापयोगी तथ्य
ज्ञानपीठ पुरस्कार
- भारत का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार
- यह पुरस्कार केवल एक भारतीय नागरिक को प्रदान किया जा सकता है।
- यह पुरस्कार विभिन्न भाषाओं की भारतीय साहित्यिक प्रतिभाओं को प्रदान किया जाता है जिन्होंने भारतीय साहित्य में बेहतरीन कार्यों और कृतियों का योगदान दिया है।
- भारतीय संविधान (8 वीं अनुसूची) में उल्लिखित अन्य भाषाओं के साथ अंग्रेज़ी में भी यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- इस पुरस्कार के अंतर्गत 11 लाख रुपए की नकद राशि, एक प्रशस्ति पत्र और ज्ञान की देवी वाग्देवी (सरस्वती) की एक कांस्य प्रतिकृति प्रदान की जाती है।
- यह पुरस्कार 1961 में स्थापित किया गया था और पहली बार 1965 में एक मलयालम कवि, जी शंकर कुरुप को ओडक्कुझल नामक कविताओं के इस संकलन के लिए दिया गया था।
- ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता बनने वाले पहले अंग्रेजी भाषा के लेखक - अमिताव घोष (2018)
- यह पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान नहीं किया जाता है।
अन्य साहित्यिक पुरस्कार
- भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रदान किए जाने वाले कुछ अन्य साहित्यिक पुरस्कारों में ज्ञाननगरिमा पुरस्कार, मूर्तिदेवी पुरस्कार और नवलेखन पुरस्कार शामिल हैं।