01 December, 2024
एसडीजी और एशिया और प्रशांत एसडीजी प्रगति रिपोर्ट: परिवर्तनकारी कार्रवाइयों का प्रदर्शन 2024
Sat 17 Feb, 2024
सन्दर्भ
- एशिया और प्रशान्त के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) ने 2024 एसडीजी प्रगति रिपोर्ट जारी की है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार , एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में, 2062 तक की देर हो सकती है, जो कि निर्धारित समय सीमा से 32 साल अधिक है।
पृष्ठभूमि
- वर्ष 2015 में विश्व नेताओं द्वारा अपनाए गए 17 लक्ष्य, 2030 तक अत्यधिक निर्धनता व भुखमरी को समाप्त करने, स्वच्छ पानी एवं साफ़-सफ़ाई तक पहुँच सुनिश्चित करने और अन्य लक्ष्यों के अलावा गुणवत्तापूर्ण सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करने पर केन्द्रित हैं।
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट में ग़रीबी और असमानता की मौजूदा चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, उसमें लिंग और स्थान की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
- वार्षिक एसडीजी प्रगति रिपोर्ट एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में वैश्विक लक्ष्यों पर प्रगति का एक सिंहावलोकन प्रदान करती है।
- यह रिपोर्ट, ESCAP और उसके भागीदारों की गतिविधियों एवं नीति प्रतिक्रियाओं के लिए एक आधार के रूप में कार्य करती है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष
लैंगिक विभाजन
- रिपोर्ट में पुरुषों और महिलाओं के सामने मौजूद विभिन्न सामाजिक चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है।
- महिलाओं के सामने मुख्य रूप से शिक्षा व रोज़गार सम्बन्धित चुनौतियाँ रहीं।उनकी नामांकन दर कम थी और साक्षरता लक्ष्यों पर स्थिति संघर्षपूर्ण थी। इसके अलावा श्रम बाज़ारों तक युवा महिलाओं की पहुँच भी कठिन रही, जिससे युवा बेरोज़गारी की दर में वृद्धि हुई।
- पुरुष, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत सुरक्षा से अधिक जुड़े हुए थे, जिनमें नए एचआईवी संक्रमण, बीमारियों के कारण होने वाली मृत्यु दर, आत्महत्या की दर, शराब का सेवन, सड़क यातायात से होने वाली मौतें, विषाक्तता के कारण होने वाली मृत्यु दर, तम्बाकू का व्यापक उपयोग शामिल हैं।
शहरी-ग्रामीण विभाजन
- रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले लोगों को, बुनियादी पेयजल एवं स्वच्छता सुविधाओं तक सीमित पहुँच जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट नुक़सान का सामना करना पड़ा।
- इसके अलावा, इन क्षेत्रों में भोजन पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन की कमी से गम्भीर श्वसन रोगों में वृद्धि हुई, ख़ासतौर पर उन महिलाओं और लड़कियों में जो रसोई में अधिक समय बिताती थीं।
- सामान्य तौर पर, शहरी क्षेत्रों में बेहतर हालात देखने को मिले, लेकिन फिर भी विरोधाभासी रूप से, इन क्षेत्रों में, सबसे निर्धन लड़कों व लड़कियों को उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने में अनगिनत बाधाओं का सामना करना पड़ा।
भारत के संदर्भ में निष्कर्ष
- इस रिपोर्ट के अनुसार इन लक्ष्यों के 85 मापदंडों पर भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है, जबकि 27 मामलों में प्रगति करीब करीब रुक गई है। वहीं 36 मामलों में प्रगति खराब हुई है।
- भारत से जुड़े आंकड़ों पर दृष्टिपात करें तो ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनकी दिशा में होती प्रगति पहले से पिछड़ी है। उदाहरण के लिए देश में कुपोषण की स्थिति पहले से बदतर हुई है।
- जहां 2015 में देश की 14 फीसदी आबादी अल्पपोषण का शिकार थी, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 16.6 फीसदी पर पहुंच गया। इसी तरह देश में महिलाएं में खून की कमी की समस्या करीब-करीब पहले जितनी ही है।
- इसी प्रकार देश में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा भी बढ़ा है।
- वहीं घरों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के मामले में भी प्रगति पिछड़ी है।
- जहां 2020 में घरों से निकलने वाला 26.6 फीसदी दूषित जल साफ किया जा रहा था। वहीं 2022 में यह आंकड़ा घटकर 20 फीसदी रह गया है।
- इसी तरह देश में संसाधनों का उपयोग बढ़ा है, जहां 2015 में भारत में प्रति व्यक्ति मैटेरियल फुटप्रिंट 4.8 टन था वो 2019 में बढ़कर 5.2 टन पर पहुंच गया।
- देश में बेरोजगारी दर 2018 में 7.7 फीसदी से बढ़कर 2020 में 7.9 पर पहुंच गई।
- सतत पर्यटन के मुद्दे पर भी प्रगति में गिरावट हुई है। देश में शरणार्थियों का जो आंकड़ा 2015 में प्रति लाख पर 0.8 था वो 2022 में बढ़कर एक हो गया है।
- वहीं अनुसंधान और विकास पर होने वाले व्यय में भी कोई वृद्धि नहीं दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक 2015 से 2019 के बीच कृषि क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
- इसके अलावा समुद्री प्रदूषण और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग के मामले में भी प्रगति पिछड़ी है।
वर्तमान आवश्यकताएं
- रिपोर्ट के अनुसार, 17 एसडीजी में से, जलवायु कार्रवाई पर लक्ष्य 13 पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके सभी लक्ष्यों पर प्रगति पटरी पर नहीं है और कुछ विपरीत दिशा में हैं।
- इसमें जलवायु कार्रवाई को राष्ट्रीय नीतियों में एकीकृत करने, सहनसक्षमता को मज़बूत करने तथा जलवायु सम्बन्धी आपदाओं से निपटने के लिए अनुकूलन क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
- रिपोर्ट में टिकाऊ बुनियादी ढाँचे और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश बढ़ाने का भी आहवान किया गया है।
परीक्षापयोगी तथ्य
संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा 2030 (17 विकास लक्ष्य)
- लक्ष्य 1 - गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति।
- लक्ष्य 2 -भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा।
- लक्ष्य 3 - सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा।
- लक्ष्य 4 -समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना।
- लक्ष्य 5 -लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना।
- लक्ष्य 6 -सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत् प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- लक्ष्य 7 -सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
- लक्ष्य 8 -सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।
- लक्ष्य 9 -लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा।
- लक्ष्य 10 -देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना।
- लक्ष्य 11 -सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण।
- लक्ष्य 12 -स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।
- लक्ष्य 13 -जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना।
- लक्ष्य 14 -स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
- लक्ष्य 15 -सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
- लक्ष्य 16 -सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेहपूर्ण बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके।
- लक्ष्य 17 -सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।